कभी देखा है अपने ही देश में श्वेतों और अश्वेतों के बीच खाई चौड़ा करने वाला राष्ट्रपति
अमेरिका पहले ही धर्म और आव्रजन संबंधी मामलों को लेकर काफी बंटा हुआ नजर आ रहा है और यदि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बाद रंग के आधार पर विभाजन और गहरा हुआ तो फिर काहे का United States।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव नजदीक आने को हैं इसलिए अमेरिका में एक बार फिर 'Go Back' का नारा बुलंद हो रहा है। यह नारा लगाने की शुरुआत खुद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की है। उन्होंने चार अश्वेत डेमोक्रेट महिला सांसदों पर एक बार फिर हमला बोला है और इस बात की परवाह नहीं की है कि अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने उनकी नस्लवादी टिप्पणियों की निंदा करते हुए उसे अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ बताया है। देखा जाये तो राष्ट्रपति ट्रंप अमेरिका में श्वेतों और अश्वेतों के बीच पहले से ही बनी हुई खाई को और चौड़ा कर अपने राजनीतिक हित साधना चाहते हैं। अमेरिका पहले ही धर्म और आव्रजन संबंधी मामलों को लेकर काफी बंटा हुआ नजर आ रहा है और यदि रंग के आधार पर विभाजन और गहरा हुआ तो फिर काहे का United States । कौन नहीं जानता कि अमेरिका में जब तब श्वेतों की ओर से अश्वेतों को गोली मारने की घटनाएं होती रहती हैं। डोनाल्ड ट्रंप जो कुछ कह रहे हैं वह आग से खेलने जैसा है, उन्हें यह पता होना चाहिए कि उनके बयानों को अशांत दिमाग वाले वह लोग भी सुन रहे हैं जो अकसर भयानक चीजें और हिंसा करते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप दुहाई तो अमेरिका के विकास की दे रहे हैं लेकिन साफ दिख रहा है कि वह अपनी नाकामियों से जनता का ध्यान हटा कर चुनावी मुद्दों की हवा बदल देना चाहते हैं। डोनाल्ड ट्रंप ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति नहीं हैं बल्कि उनसे पहले भी कई उम्मीदवार ऐसा कर चुके हैं और उन्हें मिली चुनावी सफलता से ट्रंप भी उम्मीद कर रहे हैं कि वह पुनः निर्वाचित होकर व्हाइट हाउस पहुँचेंगे। डोनाल्ड ट्रंप अब सफाई में कह रहे हैं कि Send Her Back नारे लगा रहे लोगों को उन्होंने चुप कराने की कोशिश की थी लेकिन यदि आप वीडियो देखेंगे तो पाएंगे कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया।
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इस सप्ताह बुधवार को ग्रीनविले की रैली में डोनाल्ड ट्रंप ने जो कुछ कहा उसके बाद से अमेरिका में वैध तरीके से रह रहे दूसरे देशों से आये लोगों के मन में अपने जीवन और कारोबार की सुरक्षा को लेकर डर बैठ गया है। डोनाल्ड ट्रंप को यह नहीं भूलना चाहिए कि आज जो कुछ अमेरिका है वह सिर्फ अपने बलबूते नहीं बना है। अमेरिका के विकास की इस आकाशीय ऊँचाई के लिए अन्य देशों से आये लोगों ने भी जीतोड़ मेहनत की है। अमेरिका दुनिया भर को लोकतंत्र, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, नस्लभेद का विरोध और मानवता का पाठ पढ़ाता है लेकिन वह खुद क्या करता है इसके लिए उसे अपने गिरेबाँ में झाँक कर देखना चाहिए।
दरअसल यह पूरा विवाद इसलिए उठ खड़ा हुआ है क्योंकि अमेरिका की चार अश्वेत महिला सांसदों- न्यूयॉर्क की एलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोरटेज, मिनेसोटा की इल्हान उमर, मैसाचुसेट्स की राशिदा तलाइब और मिशिगन की अयाना प्रेसली पर देश से नफरत करने का आरोप लगाने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वे जहां जाना चाहें वहां जा सकती हैं, लेकिन उन्हें यहां रहना है, तो देश से प्यार करना होगा, यहां रह कर देश से नफरत करना हमें स्वीकार नहीं है। देखा जाये तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का पूरा बयान यह था कि 'यह उन प्रगतिशील डेमोक्रेट महिला सांसदों के लिए देखना कितना दिलचस्प है कि वे मूल रूप से जिन देशों से आई हैं वहां की सरकारें पूरी तरह तबाह, सबसे भ्रष्ट और दुनिया में सबसे अयोग्य हैं। वे अमेरिकी लोगों से चिल्ला कर कह रही हैं कि हमारी सरकार को किस तरह चलाया जाए? वे जहां से आई हैं वहीं वापस क्यों नहीं चली जातीं और उन तबाह व अपराध प्रभावित जगहों की समस्या को दूर करने में मदद क्यों नहीं करतीं?' गौरतलब है कि ये चारों महिला सांसद ट्रंप प्रशासन की कठोर आव्रजन नीतियों की कड़ी आलोचना करती रही हैं। ये चारों महिला सांसद अमेरिकी नागरिक हैं और इनमें से तीन का जन्म तो अमेरिका में ही हुआ है। इल्हान उमर का जन्म सोमालिया में हुआ था और वह बचपन में ही अमेरिका आ गई थीं।
डेमोक्रेट्स ने अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान को नस्लीय टिप्पणी करार दिया जबकि ट्रंप और व्हाइट हाउस ने इस आरोप को खारिज कर दिया। ट्रंप ने अपनी सफाई में दावा किया है कि 'मेरे पास वे क्लिप मौजूद हैं। हमारे देश के बारे में, इजराइल के बारे में उन्होंने कितना घृणित और खतरनाक बयान दिया है। यह उन पर है कि वे क्या चाहती हैं। वे यहां से जा सकती हैं या रह सकती हैं, लेकिन उन्हें हमारे देश से प्यार करना चाहिए और उन्हें हमारे देश की भलाई के लिए काम करना चाहिए।’’ ट्रंप का कहना है कि कांग्रेस के सदस्यों का इस देश के प्रति और हर देश में बड़ा दायित्व है..और यह दायित्व है अपने देश से प्रेम करना।
रिपब्लिकन नेतृत्व ने ट्रंप का बचाव करते हुए कहा है कि राष्ट्रपति नस्लवादी नहीं हैं लेकिन हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी कह चुकी हैं कि ट्रंप अपने चुनाव अभियान में कही बात पर ही अमल कर रहे हैं और वह यह है कि ‘‘अमेरिका को दोबारा श्वेत बनाया जाए।’’ प्रतिनिधि सभा में चूँकि रिपब्लिकन हावी हैं इसलिए वहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नस्लीय टिप्पणी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित हो गया। अमेरिकी कांग्रेस के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में सांसद टॉम मलिनोवस्की द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव के पक्ष में 240 मत पड़े, जबकि इसके विरोध में 184 मत पड़े।
उधर, चौतरफा आलोचनाओं से बेपरवाह ट्रंप ने चार अश्वेत अमेरिकी महिला सांसदों के तुरंत देश छोड़ने की मांग से एक कदम आगे जाते हुये दावा कर दिया है कि कई लोग उनसे सहमत हैं। उन्होंने सिलसिलेवार कई ट्वीट भी किये और दर्शा दिया कि उन्हें प्रतिनिधि सभा की ओर से पारित निंदा प्रस्ताव और अपनी हो रही आलोचनाओं की कोई फिक्र नहीं है। वह श्वेत अमेरिकियों का पूरा समर्थन हासिल करने के लिए उनके साथ दृढ़ता से खड़े नजर आ रहे हैं। ट्रंप को इस बात की भी परवाह नहीं है कि कुछ सांसदों की ओर से अमेरिकी राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की बात भी की जा रही है। अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग चलाने के प्रस्ताव को हालांकि खारिज कर दिया है जबकि इस सदन में विपक्षी दल डेमोक्रेटिक पार्टी को बहुमत प्राप्त है। ट्रंप ने इस पूरे मुद्दे पर डेमोक्रेट्स पर भड़कते हुए कहा है कि वह समाजवाद का समर्थन कर रहे हैं, इजराइल और अमेरिका से नफरत कर रहे हैं! डेमोक्रेट के लिये यह अच्छा नहीं है।
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जहाँ तक इन चार महिला सांसदों की बात है तो उनका कहना है कि श्वेत राष्ट्रवादियों का एजेंडा चैट रूम, नेशनल टीवी से होते हुए अब व्हाइट हाउस तक पहुँच गया है। इन महिला सांसदों का यह भी आरोप है कि डोनाल्ड ट्रंप ऐसे राष्ट्रपति हैं जोकि इतिहास के सबसे भ्रष्ट प्रशासन को चला रहे हैं और राष्ट्रपति के बयान के बाद अश्वेतों के बीच डर का माहौल है।
बहरहाल, डोनाल्ड ट्रंप ने जो बयान दिया है उसके बाद अमेरिका में यदि घृणा अपराध बढ़ते हैं तो इसके लिए दोषी कौन होगा आज यह एक बड़ा सवाल है। देश भर में दूसरे देशों से आये वह लोग जो दशकों से अमेरिका को समृद्ध बनाने का काम कर रहे हैं, एकाएक उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता होने लगी है तो यह सबसे सुरक्षित राष्ट्र माने जाने वाले अमेरिका की सबसे बड़ी नाकामी ही कही जायेगी। अमेरिका में आज नस्लभेद का जो माहौल है वह अश्वेतों को सबसे गंभीर स्थिति में लग रहा है और दशकों पहले 1967 में डेट्रायट में हुए नस्लभेदी दंगों की याद दिला रहा है। अपने अत्याधुनिक हथियारों और तकनीक की बदौलत अमेरिका ने अपने देश की सीमाओं को भले सुरक्षित कर रखा हो लेकिन देश के अंदर रह रहे लोग यदि सुरक्षित नहीं हैं तो यह सब तामझाम किसी काम का नहीं है। वैसे तो अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में एक साल से ज्यादा का समय बचा हुआ है लेकिन जैसे-जैसे यह समय नजदीक आयेगा इस तरह के विवादित बयान लोगों की परेशानियां और बढ़ायेंगे।
-नीरज कुमार दुबे
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