राहुल−प्रियंका का हिन्दुत्व कार्ड, एक कदम आगे तो दो कदम पीछे

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अजय कुमार । Apr 2 2019 4:26PM

आम चुनाव में कांग्रेस के बनावटी हिन्दुत्व को भाजपा मजबूत हथियार बना रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस जंग में पूरी मुस्तैदी से जुटे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव के प्रचार को धार देते हुए लगातार कांग्रेस पर ''हिंदू आतंकवाद'' को लेकर तीखा हमला कर रहे हैं।

प्रियंका वाड्रा का अयोध्या दौरा और राहुल गांधी का अमेठी के साथ−साथ केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ने की घोषणा कांग्रेस के लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है। हिन्दुत्व का कार्ड खेल रहे राहुल गांधी और उनके पद चिन्हों पर चल रहीं प्रियंका वाड्रा भारतीय जनता पार्टी और हिन्दूवादी संगठनों के निशाने पर आ गए हैं। प्रियंका का अयोध्या जाकर भी भगवान राम लला के दर्शन नहीं करना और राहुल का मुस्लिम और ईसाई बाहुल्य वाली वायनाड सीट से चुनाव लड़ने का फैसला यह बताने के लिए पर्याप्त आधार है कि गांधी परिवार का हिन्दू प्रेम छलावा है। इसी के साथ राहुल गांधी के विदेश में दिए गए एक पुराने इन्टरव्यू की भी जनता को याद दिलाई जा रही है, जिसमें राहुल गांधी ने देश (भारत) के लिए मुस्लिम से अधिक हिन्दू आतंकवाद को खतरनाक बताया था। इसी तरह से मनमोहन सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए गये उस हलफनामें को भी मुद्दा बनाया जा रहा है जिसमें उनकी सरकार ने रामसेतु को तोड़े जाने की बात कहते हुए यह कहा था कि भगवान राम एक काल्पनिक सोच है। 

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भाजपा और हिन्दूवादी संगठन जिस तरह से हिन्दुत्व को लेकर गांधी परिवार को घेरने में लगे हैं, इसका नुकसान कांग्रेस को आम चुनावों में उठाना पड़ सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि कांग्रेस हिन्दुत्व को लेकर जितनी सफाई देती है, उतना ही धरती चली जाती है। कांग्रेसी नेताओं का पाक प्रेम, दिग्गी राजा का हिन्दुओं को लेकर समय−समय पर दिया गया विवादित बयान, आतंकवादियों के प्रति कांग्रेस की नरमी और यूपीए सरकार के समय भगवा आतंकवाद शब्द की की रचना करने वाले और इसे साबित करने के लिए हैदराबाद की एक मस्जिद में हुए ब्लास्ट के आरोप में कुछ हिन्दू धर्मगुरूओं की गिरफ्तारी और अब उनको कोर्ट द्वारा छोड़े जाने का आदेश भी कांग्रेस की तत्कालीन सरकार की नियत पर सवाल खड़ा करता है। 

गौरतलब हो, 18 मई 2007 के मक्का मस्जिद में विस्फोट हुआ था। रिमोट कंट्रोल के जरिये 400 साल से अधिक पुरानी मस्जिद में जुमे की नमाज के दौरान शक्तिशाली विस्फोट की घटना में नौ लोगों की मौत हो गई थी और 58 अन्य घायल हुए थे। इस मामले में स्वामी असीमानंद, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत कई लोगों को आरोपी बनाया गया था। बाद में यह पता चला कि यह कारनामा यूपीए राज में साजिशन किया गया था ताकि राहुल गांधी की भगवा आतंकवाद वाली थ्योरी को अमली जामा पहनाया जा सके, लेकिन कोर्ट में यह थ्योरी टिक नहीं सकी और हाल ही में असीमानंद सहित कई आरोपी बरी हो गए।

आम चुनाव में कांग्रेस के बनावटी हिन्दुत्व को भाजपा मजबूत हथियार बना रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस जंग में पूरी मुस्तैदी से जुटे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव के प्रचार को धार देते हुए लगातार कांग्रेस पर 'हिंदू आतंकवाद' को लेकर तीखा हमला कर रहे हैं। महात्मा गांधी की कर्मभूमि कहे जाने वाले महाराष्ट्र के वर्धा में पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि कहा कि कांग्रेस ने देश के करोड़ों लोगों का रिश्ता आतंकवाद से जोड़ दिया था। अब लोग जाग गए हैं तो वे भाग रहे हैं। उनका इशारा सीधे तौर पर राहुल गांधी के अमेठी के अलावा केरल की वायनाड से चुनाव लड़ने की ओर था। पिछले दिनों समझौता ब्लास्ट केस में असीमानंद को सुप्रीम कोर्ट से बरी किए जाने के फैसले के बाद मोदी ने कांग्रेस पर यह हमला बोला। मोदी बार−बार दोहरा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कांग्रेस की साजिश उजागर हुई है। इस बात को कांग्रेस भी समझ रही है कि देश ने उन्हें सबक सिखाने का मन बना लिया है। अब मैदान छोड़कर भागने लगे हैं। उन्होंने जिन्हें आतंकवादी कहा है, वे अब जग चुके हैं। हिंदुओं के साथ आतंकवाद जोड़ दिया, इसलिए जहां हिंदू आबादी अधिक है, वहां चुनाव नहीं लड़ सकते। इसलिए ऐसी जगह भागे हैं, जहां हिंदुओं की आबादी कम है। 

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पीएम नरेंद्र मोदी इतिहास का हवाला देकर पूछ रहे हैं कि हजारों सालों के इतिहास में हिंदुओं के आतंकवाद की कोई घटना है क्या? अंग्रेज इतिहासकारों ने भी ऐसा नहीं किया। हमारी 5,000 साल पुरानी सभ्यता पर कलंक किसने लगाया? ऐसी कांग्रेस को माफ कर सकते हैं क्या? मोदी ही नहीं बीजेपी के अन्य नेता भी हिन्दुत्व के सहारे कांग्रेस का खेल बिगाड़ने में लगे हैं। इसी क्रम में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ग्रेटर नोएडा में हिंदुत्व का जिक्र कर विपक्षी पार्टियों पर जमकर हमला बोला। योगी ने कहा कि राज्य में बना गठबंधन आतंकवाद को प्रोत्साहित करने वालों का गठबंधन है। उन्हें कांग्रेस को भी निशाने पर लिया और कहा कि उस समय की कांग्रेस हमारी आस्था के प्रतीक राम सेतु को तोड़ना चाहती थी। इसी कांग्रेस ने राम और कृष्ण को काल्पनिक बताया था। योगी, प्रियंका के अयोध्या जाने और वहां राम लाल के दर्शन नहीं करने के साथ−साथ राम जन्मभूमि स्थल को विवादित बताए जाने से भी गुस्से में हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी राहुल गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने के फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं राहुल गांधी अमेठी में हार के डर से मुस्लिम−ईसाई बाहुल्य सीट से चुनाव लड़ने के लिए केरल के वायनाड भाग गए हैं। वहां राहुल को मुस्लिम लीग का भी समर्थन मिलेगा। बताते चलें कि लंदन में पैदा हुए और हिन्दुओं को गाली देने वाले कांग्रेस नेता शशि थरूर भी केरल से ही सांसद हैं। हाल ही में उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि यह 'हिंदी, हिंदू और हिंदुत्व' का विचार देश को विभाजित कर रहा है, उन्होंने आगे लिखा कि हमे एकता चाहिए न कि समानता। इससे पूर्व कांग्रेस नेता मणिशंकर का पाकिस्तान दौरे के दौरान दिया गया वह साक्षात्कार भी सामने आया था जिसमें वह पाक मीडिया से कह रहे थे कि मोदी को आप हटा दीजिए।

खैर, बात प्रियंका के अयोध्या दौरे के बाद शुरू हुए विवाद की जाए तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामजन्मभूमि को विवादित बताने को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से काफी खफा हैं। योगी कह रहे हैं कि वह (प्रियंका) कहती हैं रामजन्मभूमि विवादित स्थल है, इसलिए वहां नहीं जाऊंगी। उनका यह बयान देश−दुनिया में रहने वाले हिंदुओं का अपमान है। उधर, राहुल गांधी के वायनाड से भी चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद अमेठी में बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी के हौसले बुलंद हो गए हैं। वह अमेठी की जनता को यह समझाने की कोशिश कर रही हैं कि राहुल गांधी अमेठी की जनता का साथ छोड़कर भाग रहे है। वैसे इस हकीकत से इंकार नहीं किया जा सकता है कि केरल से चुनाव लड़ने के राहुल के फैसले से यूपी में कांगेस की उम्मीदों पर ग्रहण लग सकता है, अमेठी ही नहीं जिस तरह से राहुल गांधी उत्तर प्रदेश से दूरी बनाकर चल रहे हैं। वह भी कांग्रेस के लिऐ नुकसानदायक साबित हो सकता है। 

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सबसे बड़ी बात यह है कि राहुल और प्रियंका जब भाजपा नेताओं पर कोई आरोप लगाते हैं तो पार्टी की तरफ से इस पर तुरंत प्रतिकि्रया दी जाती है,लेकिन राहुल−प्रियंका अपनी बात तो कहते हैं, परंतु उनके ऊपर जो आरोप लगते हैं, उसके लिए कभी कुछ नहीं बोलते हैं। यह बात कांगे्रस के लिए कमजोर कड़ी साबित हो रही है। लब्बोलुआब यह है कि राहुल−प्रियंका और कांग्रेस हिन्दुत्व का कार्ड तो खेल रही हैं, लेकिन वह इस पर एक कदम आगे बढ़ती हैं तो दो कदम पीछे हट जाती हैं। इसी लिए अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन नहीं करती हैं तो राहुल अमेठी से वायनाड भी चुनाव लड़ने पहुंच जाते हैं। उन्हें हिन्दू वोटरों से अधिक मुसलमानों और ईसाइयों पर भरोसा न होता तो वह कभी वायनाड चुनाव लड़ने नहीं जाते।

- अजय कुमार

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