बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचारों पर चुप क्यों है भारत का विपक्ष

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बांग्लादेश में देश में 1 करोड़ 31 लाख के करीब हिंदू हैं। उनके घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। अराजक तत्व हिंदू मंदिरों को भी निशाना बनाने से नहीं चूके। वैसे तो बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले कोई नई बात नहीं है।

बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे हमलों पर भारत के विपक्षी दलों की खामोशी बताती है कि वोट बैंक की राजनीति किस हद तक हावी है। यदि ऐसे ही हमले भारत या किसी पड़ौसी देश में मुसलमानों पर हुए होते तो विपक्षी दल आसमान सिर पर उठा लेते। इजराइल के हमास आतंकियों के खिलाफ हमले में मारे गए मुसलमानों के मामले में कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी नेताओं के दिए गए बयान इसका प्रमाण हैं। उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने कांवडिय़ों के रास्तें में दुकानदारों से नामों के खुलासो के निर्देश पर विपक्षी दलों ने लोकतंत्र को खतरे में बताया था। विपक्षी दलों का कहना था कि इससे अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है। इधर जब मुसलमान बांग्लादेश में हिन्दुओं के घर-मंदिर और व्यवसायिक प्रतिष्ठान जला रहे हैं, तब विपक्षी दलों को खास चिंता नहीं है। लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों की हार के एक प्रमुख वजह यही दोमुंही नीति भी रही है।   

बांग्लादेश में देश में 1 करोड़ 31 लाख के करीब हिंदू हैं। उनके घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। अराजक तत्व हिंदू मंदिरों को भी निशाना बनाने से नहीं चूके। वैसे तो बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले कोई नई बात नहीं है। पहले भी हिंदुओं को यहां निशाना बनाया जाता रहा है। बांग्लादेश में जारी अनिश्चितता और अराजकता के माहौल के बीच वहां के करीब 27 राज्यों में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों को टारगेट किया जा रहा है। मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ ने करीब 27 जिलों में हिंदुओं के घरों के साथ ही उनके व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया है। इतना ही नहीं अराजक तत्व उनका कीमती सामान भी लूट ले गए। वहां पर मंदिरों और गुरुद्वारों में तोडफ़ोड़ की जा रही है। शेख हसीना के सत्ता और देश छोडऩे के बाद से वहां हालात बदतर हो गए हैं। 

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बांग्लादेश के कट्टरपंथी हिंदुओं की संपत्तियों को चुन-चुन कर नुकसान पहुंचा रहे हैं। मंदिर हो या गुरुद्वारा किसी को भी बख्शा नहीं जा रहा है। बांग्लादेश के पंचगढ़, दिनाजपुर, बोगुरा, रंगपुर, शेरपुर किशोरगंज, सिराजगंज, मुगरा, नरैल, पश्चिम जशोर, पटुआखली, दक्षिण-पश्चिम खुलना, मध्य नरसिंगड़ी, सतखीरा, तंगैल,फेनी चटगांव, उत्तर-पश्चिम लक्खीपुर और हबीगंज जैसी जगहों पर कट्टरपंथिओं का आतंक जारी है। वह यहां रहने वाले हिंदुओं पर न सिर्फ हमले कर रहे हैं बल्कि उनकी संपत्तियों को भी लूट कर ले जा रहे हैं। उग्र भीड़ ने पंचगढ़ जिले में 22, झीनैदाह में 20 घरों और जैसोर में 22 दुकानों को निशाना बनाया।   कट्टरपंथियों ने ढाका में हिंदू म्यूजिशियन राहुल आनंद के घर में न सिर्फ लूटपाट की बल्कि वहां आग भी लगा दी। राहुल आनंद, उनकी पत्नी और उनका बेटा वहां से सुरक्षित निकलने में कामयाब रहे, लेकिन हमलावरों ने उसके घर नें जमकर लूटपाट की। भीड़ उनके घर से महंगी चीजें चुरा कर ले गई, जिसमें राहुल का 3,000 से ज्यादा हस्तनिर्मित संगीत वाद्ययंत्रों का बड़ा कलेक्शन भी शामिल था। खुलना डिविजन स्थिति मेहेरपुर में करीब 4 हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया है। एक इस्कॉन केंद्र जला दिया गया, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा देवी की मूर्तियां शामिल हैं। राजधानी ढाका में इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र में भीड़ ने धावा बोल दिया और वहां पर जमकर तोडफ़ोड़ की। इस सांस्कृतिक केंद्र को मार्च 2010 में खोला गया था। यहां पर सांस्कृतिक संगोष्ठियों, कार्यशालाओं के आयोजन के जरिए योग, हिंदी, भारतीय शास्त्रीय गायन जैसे भारतीय नृत्यों के जरिए भारत-बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा दिया जाता है। केंद्र सरकार का कहना है कि भारत हर स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पड़ोसी देश की स्थिति चिंताजनक है। भारत सरकार वहां के मौजूदा तंत्र के साथ संपर्क में है।   

हिन्दुओं पर इतना अत्याचार होने के बावजूद उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाना तो दूर इंडिया गठबंधन के विपक्षी दलों ने इसकी तीखी आलोचना तक नहीं की। इस आलोचना में भी विपक्षी दलों को मुस्लिम वोट बैंक खतरे में नजर आता है। साफ जाहिर है कटु आलोचना करने का मतलब है कट्टरपंथी मुसलमानों की आलोचना करना। विपक्षी दलों के लिए ऐसा करना आसान नहीं है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकानदारों को अनिवार्य रूप से नेमप्लेट लगाने के फैसले पर विपक्षी दलों ने जमकर हायतौबा मचाई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा था कि जैसे दिया बुझने से पहले फडफ़ड़ाता है, ये सांप्रदायिक राजनीति का दिया फडफ़ड़ा रहा है इसलिए ऐसे फैसले ले रहे हैं। जेडीयू का कहना था कि धर्म और जाति के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए। कांग्रेस ने कहा कि क्या हिंदुओं का बेचा गया मीट, दाल-चावल बन जाएगा? ठीक वैसे ही कोई अल्ताफ या रशीद आम-अमरूद बेच रहा है, वो गोश्त तो नहीं बन जाएगा।   बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने कहा था कि पश्चिमी उप्र व मुजफ्फरनगर जिला के कांवड़ यात्रा मार्ग में पडऩे वाले सभी होटल, ढाबा, ठेला आदि के दुकानदारों को मालिक का पूरा नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करने का नया सरकारी आदेश एक गलत परम्परा है, जो सौहार्दपूर्ण वातावरण को बिगाड़ सकता है। मुसलमानों के हर मुद्दे पर संविधान की दुहाई देने वाले एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे घोर अत्याचारों पर लचर बयान देकर इतिश्री कर ली। इसके विपरीत ओवैसी ने कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस की कटु आलोचना की थी। ओवैसी ने इसकी तुलना दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद और जर्मनी में हिटलर के तानाशाही फैसले से करते हुए कहा कि इसे दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम जूडेनबॉयकॉट था।   

हिन्दुओं के हितों के मुद्दों पर विपक्षी दलों का रवैया पूर्व में भी ऐसा ही रहा है। कनाडा में एडमोंटन शहर में स्थित बीएपीएस स्वामिनारायण मंदिर में तोडफ़ोड़ की गई और दीवार पर पेंट कर दिया गया। कनाडा में पहले भी हुए मंदिरों पर हमले होते रहे हैं। खालिस्तान समर्थक यहां अक्सर हिंदू मंदिरों को निशाना बनाते हैं। अगस्त 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया में हिंदू मंदिर को निशाना बनाया गया था और खालिस्तानी जनमत संग्रह का पोस्टर लगा दिया गया था। इसके अलावा भी ब्रिटेन, अमरीका सहित कई देशों में हिन्दुओं और उनके धार्मिक-व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर हमले होते रहे हैं। इसके बावजूद विपक्षी दलों ने हिन्दु विरोधियों को कभी निशाने पर नहीं लिया। ऐसे मुद्दों पर विपक्षी नेताओं के बयान तक नजर नहीं आते। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने अमरीका यात्रा के दौरान भाजपा के कारण भारत के संविधान को खतरे में बताया था। वही राहुल गांधी बांग्लादेश में हिंदुओं के मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं।   

खास बात यह है कि बांग्लादेश में यह हालत तब है जबकि भारत ने कदम-कदम पर उसका साथ दिया है। भारत ने न सिर्फ पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों का शिकार बांग्लादेशियों को आजादी दिलाई बल्कि बांग्लादेश को पैरों पर खड़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बांग्लादेश भारत की बिजली और अन्य मदद पर निर्भर है। भारत का बांग्लादेश में अरबों का निवेश है। दक्षिण एशिया में बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वर्ष 2022-23 के बीच दोनों देशों के बीच का कुल व्यापार 15.93 बिलियन अमेरिकी डालर रहा है। ऊर्जा के क्षेत्र में दोनों देश कई प्रोजेक्ट्स पर संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। बांग्लादेश वर्तमान में 1160 मेगावाट बिजली भारत से आयात कर रहा है। दोनों देशों के बीच भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन बेहद अहम है। भारत ने पिछले एक दशक में बांग्लादेश को सड़क, रेलवे, बंदरगाहों के निर्माण के लिए हजारों करोड़ रुपये दिए हैं। भारत के हाथ खींचने से बांग्लादेश के कई प्रोजेक्ट्स रुक सकते हैं। बांग्लादेश पहले से ही चीन का कर्जदार है। चीन का कर्जा इतना बढ़ चुका है कि चीन अब बिना कुछ लिए मदद नहीं करने वाला है। ऐसे में कट्टरपंथियों के हिन्दुओं पर हमले से बांग्लादेश से भारत के संबंधों में खटास आना तय है। इसका खामियाजा बांग्लादेश को भुगतना पड़ेगा।

- योगेन्द्र योगी

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