आजम खान को सपा ने दिखाया था बाहर का रास्ता फिर भी जारी हैं विवादित बोल
आजम की बदजुबानी हमेशा सुर्खियों में रहती है। आजम ने जयाप्रदा को आहत किया है तो इससे पहले भी उनकी विवादित बयानबाजी से कई हस्तियां आहत हो चुकी हैं। यहां तक की जिन मुलायम सिंह यादव ने आजम को सियासत की एबीसीडी सिखाई थी, उन्हीं मुलायम सिंह से जब अमर सिंह को लेकर आजम खान नाराज हो गए तो उन्होंने मुलायम के बारे में घटिया से घटिया शब्दों का इस्तेमाल करने में परहेज नहीं किया था।
उत्तर प्रदेश की सियासत और समाजवादी पार्टी में आजम खान का रूतबा किसी से छिपा नहीं है। वह कभी सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के खास हुआ करते थे तो अब अखिलेश यादव की 'नाक के बाल' बने हुए हैं। अखिलेश ने गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर आजम खान को रामपुर लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है। उनके मुकाबले में भाजपा ने गुजरे जमाने की फिल्मी अदाकारा जयाप्रदा को मैदान में उतारा है। आज भले ही जयाप्रदा रामपुर में कमल खिलाने की कोशिश कर रही हों, लेकिन अतीत को भुलाया नहीं जा सकता है। जयाप्रदा रामपुर साइकिल पर सवार होकर संसद तक का सफर पूरा कर चुकी हैं। रामपुर में जयाप्रदा को लाने वाले आजम खान ही थे, उन्होंने ही जयाप्रदा को पहली बार सांसद बनाने में महत्वपूर्ण किरदार निभाया था। परंतु आज स्थितियां काफी बदल गई हैं। अबकी आजम खान साइकिल पर सवार होकर स्वयं लोकसभा पहुंचना चाहते हैं, इसलिए उन्हें ज्याप्रदा की दावेदारी रास नहीं आ रही है। इसकी के चलते आजम खान के जयाप्रदा के प्रति बोल बिगड़ते जा रहे हैं। अति तो तब हो गई जब आजम खान अपने प्रतिद्वंदी जयाप्रदा के अंतर्वस्त्रों को बहस का मुद्दा बनाते हुए उनके अंतर्वस्त्रों का रंग बताने लगे। आजम खान साहब यह सब किसी बंद कमरे में नहीं बता रहे थे, बल्कि एक चुनावी सभा में ऐसा कर रहे थे। उससे भी शर्मनाक बात यह थी कि उस मंच पर वह अखिलेश यादव भी मौजूद थे, जो सबको महिलाओं की इज्जत का पाठ पढ़ाते रहते हैं। आजम को महिला आयोग ने नोटिस भेज दिया। उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो गई तो चुनाव आयोग ने भी आजम को 72 घंटे के लिए चुनाव प्रचार से रोक दिया। बताते चलें पूर्व में आजम खान पर चुनाव आयोग इस तरह का प्रतिबंद्ध लगा चुका है।
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आजम की बदजुबानी हमेशा सुर्खियों में रहती है। आजम ने जयाप्रदा को आहत किया है तो इससे पहले भी उनकी विवादित बयानबाजी से कई हस्तियां आहत हो चुकी हैं। यहां तक की जिन मुलायम सिंह यादव ने आजम को सियासत की एबीसीडी सिखाई थी, उन्हीं मुलायम सिंह से जब अमर सिंह को लेकर आजम खान नाराज हो गए तो उन्होंने मुलायम के बारे में घटिया से घटिया शब्दों का इस्तेमाल करने में परहेज नहीं किया था। आज भी आजम के सुर बिगड़ते देर नहीं लगती है। इसी लिए तो जया प्रदा पर अश्लील बयान देकर चौतरफा घिरे एसपी नेता आजम खान का एक और विडियो भी वायरल है। इस विडियो में वह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि गठबंधन की सरकार आई तो डीएम से वह जूते साफ करवाएंगे। इसमें दिख रहा है कि वह चुनाव प्रचार के लिए पब्लिक के बीच पहुंचे हैं। एक गाड़ी में खड़े होकर हाथ में माइक लेकर वह पब्लिक को संबोधित कर रहे हैं।
पब्लिक आजम खान की गाड़ी को चारों तरफ से घेरकर खड़ी है। वह कह रहे थे, 'सब डटे रहो, कलेक्टर−पलेक्टर से मत डरियो, ये हैं तनखैया..। हम इनसे नहीं डरते हैं। देखें हैं मायावती के कई फोटो कैसे बड़े−बड़े अफसर रुमाल निकालकर जूते साफ करते रहे हैं। हां, उन्हीं से है गठबंधन, हां उन्हीं के जूते साफ कराऊंगा इनसे अल्लाह ने चाहा तो...।' कहा जा रहा है कि यह विडियो भी रामपुर का है, जब आजम खान वहां चुनाव प्रचार कर रहे थे।
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सपा नेता आजम खान का यह बयान सामने आते ही सबसे पहले भाजपा नेत्री और केन्द्रीय मंत्री सुषमा स्वराज का बयान सामने आया,उन्होंने मुलायम सिंह यादव से कहा कि वह (मुलायम सिंह) भीष्म पितामाह की तरह चुप नहीं बैठे रहे। इसके बाद तो बीजेपी की तरफ से आजम के खिलाफ इतने 'हमले' बोले गए कि आजम खान ही नहीं अखिलेश यादव और मायावती की भी बोलती बंद हो गई। आजम के मॉफी मांगने के अलावा, उन्हें चुनाव लड़ने से रोकने तथा समाजवादी पार्टी से बाहर किए जाने तक की मांग होने लगी। भाजपा, आजम के बयान को सियासी रूप से भुनाना चाह रही है तो आजम के खिलाफ महिला आयोग ही नहीं तमाम दलों के नेताओं और खासकर महिला नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया ने समाजवादी पार्टी को अंदर तक हिला कर रख दिया है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनाव आयोग को अपनी ताकत पहचानने की नसीहत दे डाली है। सुप्रीम कोर्ट इस बात से नाराज है कि विवादित बयान देने वालें नेताओं के खिलाफ चुनाव आयोग कोई सख्त कदम नहीं उठा रहा है। इसके बाद आजम खान के प्रचार पर 72 की रोक लग गई, लेकिन दुख की बात यह है कि आजम के बयान पर मायावती चुप्पी साधे हैं तो अखिलेश यादव कह रहे हैं कि आजम खान ने जयाप्रदा का नाम लेकर कुछ नहीं कहा। अखिलेश की बातों का यही अर्थ यही निकालता है कि आजम किसी और महिला के अंतर्वस्त्रों की बात कर रहे थे। अगर ऐसा भी है तो भी आजम की गंदी सोच का दायरा छोटा नहीं हो जाता है।
बात चाहें मायावती द्वारा मुसलमानों को लेकर दिए गए बयान की हो या फिर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा इसे अली−बलि के रूप में भुनाने की हो अथवा आजम खान के बिगड़े बोलों की, चुनाव आयोग ने अमर्यादित भाषा बोलने वाले नेताओं के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की। जिससे उन नेताओं के हौसले भी पस्त पड़ेंगे जो इस तरह की बयानबाजी करते रहते हैं। आयोग का यह आदेश आज सुबह (16 अप्रैल को) 6 बजे से लागू हो भी चुका है। आयोग ने यह आदेश सीएम योगी आदित्यनाथ, बसपा सुप्रीमो मायावती, मेनका गांधी और आजम खान के चुनाव प्रचार के दौरान विवादित बयान को लेकर दिया है। बता दें इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार लगाई थी।
खैर, आजम खान के बोल पहली बार नहीं बिगड़े हैं। विवादों से उनका पुराना है। भारत माता को डायन बताना, सेना को हिन्दू−मुस्लिम में बांटना, पीएम मोदी को आतंकवादी बताना, कश्मीर को भारत का अंग नहीं मानना जैसा विवादित बयान देना उनकी फितरत में नजर आता है। जून, 2017 में आजम खान ने सेना को लेकर विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा था कश्मीर, झारखंड और असम में महिलाओं द्वारा सैनिकों को पीटा गया और उनके निजी अंगों को काट दिया गया। सच्चाई यह है कि महिलाओं को सेना के बलात्कारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया जाता है। यह संदेश है कि हिंदुस्तान को शर्म आनी चाहिए। मई, 2017 को आजम खान ने कहा था कि लड़कियों को उन जगहों से दूर रहना चाहिए, जहां पर उनके साथ छेड़छाड़ हो सकती है। उत्तर प्रदेश के रामपुर गांव के एक कॉलेज में ईव−टीजिंग की खबरों के बाद उन्होंने ये बयान दिया। अगस्त 2016 में आजम खान ने एक और विवाद खड़ा कर दिया जब उन्होंने आरोप लगाया कि बुलंदशहर के पास एक व्यस्त राजमार्ग पर नोएडा स्थित मां और बेटी के गैंगरेप में 'राजनीतिक साजिश' शामिल हो सकती है। दिसंबर 2015 में आजम खान ने कहा, 'कई आरएसएस नेता अविवाहित हैं क्योंकि वे समलैंगिक हैं।'
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अक्टूबर 2015 में आजम खान ने नाबालिगों के बलात्कार के लिए मोबाइल फोन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी द्वारा इन गैजेट्स का दुरुपयोग नाबालिगों के बलात्कार में खतरनाक वृद्धि का कारण बना है। 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान आजम खान ने कहा था, 'कारगिल की पहाडि़यों को फतह करने वाला कोई हिंदू नहीं थी, बल्कि करगिल की पहाडि़यों को नारा−ए−तकबीर अल्लाह−हू−अकबर कहकर फतह करने वाला मुसलमान फौजी था।' आजम खान के विवादित बयान यहीं खत्म नहीं होते हैं। इनके अलावा भी उन्होंने कई बार ऐसा बोला, जिन पर जमकर विवाद हुआ।
आजम खान पर जिस तरह से चौतरफा हमला हो रहा है, उससे सपा की बेचैनी तो बढ़ी हुई है ही मायावती भी नाराज चल रही हैं। याद दिला दें एक बार मुलायम सिंह के कार्यकाल में आजम को समाजवादी पार्टी से बाहर का भी रास्ता दिखाया जा चुका है। तब उन्होंने अमर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था, जिससे नाराज होकर मुलायम ने आजम को पार्टी से बर्खास्त कर दिया था। अबकी से आजम के सामने अमर सिंह तो नहीं हैं, लेकिन जयाप्रदा के पीठ पर अमर सिंह का हाथ है। ऐसे में आजम बनाम जयाप्रदा की जंग जल्द ठंडी होती नहीं दिख रही है। फिर चुनाव का भी मौसम है।
- अजय कुमार
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