भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून बनाने में केंद्र की कोताही

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प्रधानमंत्री मोदी ने भ्रष्टाचार और काले धन पर और अधिक कार्रवाई करने का संकल्प लेते हुए कहा कि सरकार ने जांच एजेंसियों को भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए पूरी आजादी दे दी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कार्रवाई में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।

विपक्षी दलों के नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाली केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद जनप्रतिनिधियों के भ्रष्टाचार रोकने के लिए कानून बनाने में नाकाम रही है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई को लेकर याचिका पर सुनवाई स्वीकार करना स्वीकार कर लिया है। देश की शीर्ष अदालत ने वर्ष 2018 में एक जनहित रिट याचिका पर आदेश दिया था कि चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशियों के अलावा उनके परिवार के लोगों की सम्पत्ति और आय के स्त्रोतों की जानकारी देने के लिए केंद्र सरकार कायदे-कानून बनाए। करीब 6 साल बीतने के बावजूद केंद्र सरकार इस आदेश की पालना करने में विफल रही। इस पर केंद्र सरकार के खिलाफ अवमानना कार्रवाई को लेकर दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है।   

आश्चर्य की बात यह है कि लोकसभा और चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने विपक्षी दलों के नेताओं को भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा बनाया था। प्रधानमंत्री मोदी सहित अन्य वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने विपक्षी दलों पर भ्रष्टाचार को लेकर जमकर कटाक्ष किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी गुट को भ्रष्ट लोगों का जमावड़ा बताया था। प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विपक्ष पर निशाना साधते हु कहा था कि विपक्षी नेता नोटों के बंडलों के साथ रंगे हाथों पकड़े जा रहे हैं। झारखंड और बंगाल में ऐसे मामले उजागर हो रहे हैं। वे दिल्ली की जनता को लूटने का कोई मौका नहीं छोड़ते। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए पीएम ने कहा कि राजनीति में बदलाव के लिए आए लोगों ने दिल्ली की जनता को धोखा दिया है। पीएम ने कहा था कि शराब घोटाला हो या नेशनल हेराल्ड घोटाला, भ्रष्टाचारियों से एक-एक पैसा वसूला जाएगा। यह मोदी की गारंटी है। जिसने भी लूट की है, उसे जनता का पैसा वापस करना होगा। हम इस पर कानूनी राय लेंगे। उन्होंने कहा कि मोदी भ्रष्ट लोगों के धन का एक्स-रे करेंगे। जिन्होंने लूट की है, उन्हें जेल जाना होगा। इतना ही नहीं राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करना एनडीए सरकार का एक मिशन है, न कि चुनावी लाभ का मामला।

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प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार और काले धन पर और अधिक कार्रवाई करने का संकल्प लेते हुए कहा कि सरकार ने जांच एजेंसियों को भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए पूरी आजादी दे दी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कार्रवाई में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने पहले आम आदमी पार्टी (आप) के खिलाफ सबूतों के साथ गंभीर आरोप लगाने और बाद में लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए उसके साथ गठबंधन करने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधा। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं बिना किसी झिझक के यह कहना चाहता हूं और देशवासियों को भी बताना चाहता हूं कि मैंने एजेंसियों को भ्रष्ट लोगों और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की पूरी आजादी दी है। सरकार कहीं भी हस्तक्षेप नहीं करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें (जांच एजेंसियों को) ईमानदारी के लिए ईमानदारी से काम करना चाहिए। भ्रष्टाचार में लिप्त कोई भी व्यक्ति कानून से बच नहीं पाएगा। यह मोदी की गारंटी है। विपक्षी सदस्यों के इस आरोप का जिक्र करते हुए कि सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है, प्रधानमंत्री मोदी ने दिवंगत मुलायम सिंह यादव जैसे विपक्षी नेताओं के बयानों का हवाला दिया, जिन्होंने यूपीए सरकार पर उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। उन्होंने यह भी कहा कि यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता करार दिया था। 

उन्होंने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसियों पर आरोप लगाए गए हैं। कहा गया है कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आप शराब घोटाला करती है, आप भ्रष्टाचार करती है, आप बच्चों के लिए कक्षाएं बनाने में घोटाला करती है, आप पानी घोटाला भी करती है... कांग्रेस आप के खिलाफ शिकायत करती है। कांग्रेस आप को अदालत में घसीटती है और अगर कार्रवाई होती है तो वे मोदी को गाली देते हैं। इन आरोपों के जवाब में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के दलों का कहना था कि भाजपा जिन नेताओं पर करोड़ों के घोटाले का आरोप लगाती है, बाद में उन्हें ही अपनी पार्टी में शामिल करवा कर केस वापस ले लेती है। भाजपा के पास ऐसी वॉशिंग मशीन है, जिसमें 10 साल पुराना केस भी डालो तो आरोपी बेदाग होकर निकलता है। कांग्रेस ने विपक्ष के ऐसे 51 मामलो को गिनवाया जिन पर कार्रवाई चल रही है। इसके अलावा उन्होंने 20 केस ऐसे गिनाए, जिनमें भाजपा और उसकी सहयोगी दल के नेताओं पर केस दर्ज हैं। लेकिन वह अभी तक बचे हुए हैं और उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। कांग्रेस ने एनसीपी  नेता प्रफुल्ल पटेल का नाम लेकर कहा था कि भाजपा ने प्रफुल्ल पटेल पर अरबों रुपए के घोटाले का आरोप लगाया था लेकिन जब वे एनसीपी छोड़ भाजपा में शामिल हुए तब उनके सारे दाग धुल गए और वे बहुत अच्छे इंसान हो गए। उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंता सरमा का भी नाम लिया और कहा कि इनकी कहानी भी सेम है।   

गौरतलब है कि असम के मुख्यमंत्री पर गुवाहाटी में जलापूर्ति घोटाले का आरोप लगा था। नारायण राणे के खिलाफ ईडी-सीबीआई ने कई मामले दर्ज किए। अजीत पवार घोटाले के आरोप में ईडी द्वारा जांच चल रही थी। कांग्रेस की तरफ से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण पर भाजपा ने आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले का आरोप लगाया था लेकिन भाजपा में शामिल होने के बाद इनके खिलाफ मामला आगे नहीं बढ़ा। इसके अलावा हसन मुश्रीफ और छगन भुजबल इन दोनों पर भाजपा ने मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया था। जिसके बाद श्वष्ठ ने इन पर कार्रवाई भी की थी. लेकिन इनके एनसीपी से अलग हो जाने के बाद इनके खिलाफ सारी कार्रवाइयां बंद हो गईं। गौरतलब है कि भारत भ्रष्टाचार के मामले में विश्व में बदनाम है। भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2023 में 180 देशों में से भारत 93वें स्थान पर रहा। जबकि वर्ष 2022 में भारत की रैंक 85 थी। यह सूचकांक विशेषज्ञों और व्यवसायियों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के कथित स्तर के आधार पर 180 देशों और क्षेत्रों को रैंक करता है। भारत में हर तरफ भ्रष्टाचार का खुलासा एक अंतरराष्ट्रीय सर्वे में भी हो चुका है। सर्वे में शामिल कुल कंपनियों में से 80 फीसदी ने कहा है कि 2015-16 में वह भ्रष्टाचार से जुड़े धोखाधड़ी का शिकार हुई हैं। 2013-14 में ऐसी कंपनियों की संख्या 69 फीसदी थी। सवाल यही है कि देश में जब हर तरफ भ्रष्टाचार व्याप्त हो तब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के जनप्रतिनिधियों सम्पत्ति और आय स्त्रोतों आदेश पर कानून बनाने में कोताही क्यों बरती है। केंद्र सरकार का यह रवैया भ्रष्टाचार के खिलाफ वादे-दावों के अंतर को बताता है। यदि ऐसा नहीं होता तो करीब 6 साल पहले दिए गए फैसले की पालना केंद्र सरकार कर चुकी होती। अब नौबत अदालत की अवमानना की आ गई है। ऐसे में केंद्र सरकार भ्रष्टाचार को देश से जड़मूल से उखाडऩे के वादों को आत्मविश्लेष्ण करने की आवश्यकता है।

- योगेन्द्र योगी

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