भारत सहित विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक बढ़ा रहे है अपने स्वर्ण भंडार

gold reserves
Prabhasakshi

भारत को इस स्वर्ण भंडार को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिवर्ष फी के रूप में कुछ राशि बैंक आफ इंग्लैंड को अदा करनी होती थी अतः अब भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 100 टन स्वर्ण भंडार को भारत लाने के बाद इस फी की राशि को अदा करने से भी भारत बच जाएगा।

हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विदेशी बैंकों में रखे भारत के 100 टन सोने को ब्रिटेन से वापिस भारत में ले आया गया है। यह सोना भारत ने ब्रिटेन के बैंक में रिजर्व के तौर पर रखा था और इस पर भारत प्रतिवर्ष कुछ फीस भी ब्रिटेन के बैंक को अदा करता रहा है।   

समस्त देशों के केंद्रीय बैंक अपने यहां सोने के भंडार रखते हैं ताकि इस भंडार के विरुद्ध उस देश में मुद्रा जारी की जा सके (भारत में 308 टन सोने के विरुद्ध रुपए के रूप में मुद्रा जारी की गई है, यह सोने के भंडार भारतीय रिजर्व बैंक के पास जमा हैं) और यदि उस देश की अर्थव्यवस्था में कभी परेशानी खड़ी हो एवं उस देश की मुद्रा का तेजी से अवमूल्यन होने लगे तो इस प्रकार की परेशानियों से बचने के लिए उस देश को अपने स्वर्ण भंडार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचना पड़ सकता है। इस कारण से विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक अपने पास स्वर्ण के भंडार रखते हैं। पूरे विश्व में उपलब्ध स्वर्ण भंडार का 17 प्रतिशत हिस्सा विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के पास जमा है। भारतीय रिजर्व बैंक के पास भी 822 टन के स्वर्ण भंडार हैं। सुरक्षा की दृष्टि से इसका 50 प्रतिशत से अधिक भाग, अर्थात लगभग 413.8 टन, भारत के बाहर अन्य केंद्रीय बैंकों विशेष रूप से बैंक आफ इंग्लैंड एवं बैंक आफ इंटर्नैशनल सेटल्मेंट के पास रखा गया है। उक्त वर्णित 308 टन के अतिरिक्त 100.3 टन स्वर्ण भंडार भी भारतीय रिजर्व बैंक के पास जमा है। वर्ष 1947 में भारत के राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व ही भारत ने अपने स्वर्ण के भंडार बैंक आफ इंग्लैड में रखे हुए हैं। इसके बाद 1990 के दशक में भी भारत ने अपनी आर्थिक परेशानियों के बीच अपने स्वर्ण भंडार को बैक आफ इंग्लैंड में गिरवी रखकर अमेरिकी डॉलर उधार लिए थे। विभिन्न देशों द्वारा लंदन में स्वर्ण भंडार इसलिए रखे जाते हैं क्योंकि लंदन पूरे विश्व का सबसे बड़ा स्वर्ण बाजार है और यहां स्वर्ण को सुरक्षित रखा जा सकता है। यहां के बैकों द्वारा विभिन्न देशों को स्वर्ण भंडार के विरुद्ध अमेरिकी डॉलर एवं ब्रिटिश पाउंड में आसानी से ऋण प्रदान किया जाता है बल्कि यहां पर स्वर्ण भंडार को आसानी से बेचा भी जा सकता है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण के कई खरीदार यहां आसानी से उपलब्ध रहते हैं। कुल मिलाकर इंग्लैंड स्वर्ण का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत बड़ा बाजार हैं। लंदन के बाद न्यूयॉर्क को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण का एक बड़ा बाजार माना जाता है। 

इसे भी पढ़ें: अधिक ऋण के बोझ तले वैश्विक अर्थव्यवस्था कहीं चरमरा तो नहीं जाएगी

भारत को इस स्वर्ण भंडार को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिवर्ष फी के रूप में कुछ राशि बैंक आफ इंग्लैंड को अदा करनी होती थी अतः अब भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 100 टन स्वर्ण भंडार को भारत लाने के बाद इस फी की राशि को अदा करने से भी भारत बच जाएगा। दूसरे अपने यहां स्वर्ण भंडार रखने से भारत के पास सदैव तरलता बनी रहेगी। जब चाहे भारत इस स्वर्ण भंडार का इस्तेमाल स्थानीय अथवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने हित के लिए कर सकता है। 

वर्ष 2009 में भारत ने 200 टन का स्वर्ण भंडार अंतरराष्ट्रीय बाजार में 670 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि अदा कर खरीदा था। 15 वर्ष वर्ष बाद पुनः भारत ने अपने स्वर्ण भंडार में वृद्धि करने का निश्चय किया है। स्वर्ण भंडार सहित आज भारत के विदेशी मुद्रा भंडार 65,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के उच्चत्तम स्तर पर पहुंच गए हैं और यह भारत के लगभग एक वर्ष के आयात के बराबर की राशि है। अतः अब भारत को अपने स्वर्ण भंडार बेचने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी इसलिए भी भारत ने ब्रिटेन में स्टोर किए गए अपने स्वर्ण भंडार को भारत में वापिस लाने का निर्णय किया है।    

विश्व में आज विभिन्न देश अपने विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के उद्देश्य से अपने पास स्वर्ण के भंडार भी बढ़ाते जा रहे हैं। आज पूरे विश्व में अमेरिका के पास सबसे अधिक 8133 मेट्रिक टन स्वर्ण के भंडार है, इस संदर्भ में जर्मनी, 3352 मेट्रिक टन स्वर्ण भंडार के साथ दूसरे स्थान पर एवं इटली 2451 मेट्रिक टन स्वर्ण भंडार के साथ तीसरे स्थान पर है। फ्रांस (2437 मेट्रिक टन), रूस (2329 मेट्रिक टन), चीन (2245 मेट्रिक टन), स्विजरलैंड (1040 मेट्रिक टन) एवं जापान (846 मेट्रिक टन) के बाद भारत, 812 मेट्रिक टन स्वर्ण भंडार के साथ विश्व में 9वें स्थान पर है। भारत ने हाल ही के समय में अपने स्वर्ण भंडार में वृद्धि करना प्रारम्भ किया है एवं यूनाइटेड अरब अमीरात से 200 मेट्रिक टन स्वर्ण भारतीय रुपए में खरीदा था। हाल ही के समय में चीन का केंद्रीय बैंक भारी मात्रा में अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्वर्ण की खरीद कर रहा है। कुछ अन्य देशों के केंद्रीय बैंक भी अपने स्वर्ण भंडार में वृद्धि करने में लगे हैं। इसके चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्वर्ण के दामों में बहुत अधिक वृद्धि देखने में आई है और यह 2400 अमेरिकी डॉलर प्रति आउंस तक पहुंच गई है।     

कई देश संभवत: अपने विदेशी मुद्रा के भंडार में अमेरिकी डॉलर की तुलना में स्वर्ण भंडार को अधिक महत्व दे रहे हैं, क्योंकि अमेरिकी डॉलर पर अधिक निर्भरता से कई देशों को आर्थिक नुक्सान झेलना पड़ रहा है। यदि अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूत हो रहा हो तो उस देश की मुद्रा का अवमूल्यन होने लगता है। इससे उस देश में वस्तुओं का आयात महंगा होने लगता है और उस देश में मुद्रा स्फीति के बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है। इन विपरीत परिस्थितियों में घिरे देश के लिए स्वर्ण भंडार बचाव का काम करते हैं। इसलिए आज लगभग प्रत्येक देश के केंद्रीय बैंक अपने स्वर्ण भंडार को बढ़ाने के बारे में विचार करते हुए नजर आ रहे हैं।     

- प्रहलाद सबनानी 

सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक,

भारतीय स्टेट बैंक 

के-8, चेतकपुरी कालोनी,

झांसी रोड, लश्कर,

ग्वालियर - 474 009

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़