'तीसरी बार मोदी सरकार' के लक्ष्य को साधने में अभी से जुट गयी है भाजपा

Narendra Modi
ANI

भाजपा लोकसभा चुनावों को लेकर अभी से कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी से मिल जाता है कि वह लगातार जातिगत और सामाजिक समीकरणों को साध रही है। साथ ही 2019 में किये गये वादों को पूरा करने पर भी जोर दिया जा रहा है।

लोकसभा चुनावों में भले दो साल से ज्यादा का समय बचा हो लेकिन भाजपा ने 2019 से भी ज्यादा बड़ी विजय 2024 में हासिल करने के लिए अभी से प्रयास शुरू कर दिये हैं। यही नहीं, एक ओर जहां अभी यह तय नहीं है कि विपक्ष के गठबंधन में कौन-कौन-से दल शामिल होंगे और विपक्ष का नेता कौन होगा वहीं भाजपा ने यह भी बता दिया है कि उसके गठबंधन एनडीए में कौन-कौन से दल 2024 का लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे। साथ ही पार्टी ने यह भी साफ कर दिया है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में भी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ही होंगे।

भाजपा लोकसभा चुनावों को लेकर अभी से कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी से मिल जाता है कि वह लगातार जातिगत और सामाजिक समीकरणों को साध रही है। साथ ही 2019 में किये गये वादों को पूरा करने पर भी जोर दिया जा रहा है। 2024 के चुनावों में जिन बड़ी विकास परियोजनाओं के नाम पर वोट मांगा जाना है, वह समय पर पूरी हो सकें इसके लिए उनके निर्माण कार्य की प्रगति की लगातार समीक्षा की जा रही है।

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इसके अलावा भाजपा ने अपने सभी सांसदों को उनके संसदीय क्षेत्रों में आने वाले बूथों की सूची भी सौंप दी है जिसमें बूथ का नाम और उसके नंबर के साथ इस बात का विस्तार से वर्णन है कि पिछली बार किस उम्मीदवार को कितने वोट मिले थे। भाजपा ने अपने सांसदों को निर्देश दिया है कि हर बूथ पर कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी तय करें ताकि चुनावों के समय आसानी हो। भाजपा ने इसको 'बूथ सशक्तिकरण अभियान' नाम दिया है। यही नहीं जहां एक ओर सांसदों को बूथों को मजबूत करने का काम सौंपा गया है वहीं सांसदों के काम का मूल्यांकन भी शुरू हो गया है। सरकार और पार्टी के स्तर पर सभी सांसदों के कामों का मूल्यांकन/परीक्षण तो किया ही जा रहा है साथ ही जनता के बीच उनकी उपस्थिति और पार्टी कार्यक्रमों में उनकी भागीदारी कितनी रहती है, इस बात का भी आकलन किया जा रहा है।

भाजपा ने इसके अलावा अपने सांगठनिक ढांचे को भी दुरुस्त करने की कवायद शुरू की है। विभिन्न राज्यों में पार्टी ने अध्यक्ष बदले हैं। दो साल बाद पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पिछले महीने हैदराबाद में आयोजित की गयी थी जिसमें आगे की रणनीति भी बनाई गयी। यही नहीं, गत सप्ताह पटना में भाजपा के सभी सात मोर्चों की पहली संयुक्त राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। इस बैठक का उद्घाटन भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने किया और समापन गृहमंत्री अमित शाह ने किया। भाजपा ने इस बैठक के लिए एनडीए शासित राज्य बिहार का चयन करके भी कई संकेत दिये हैं। इस बैठक में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा गया कि वह 2024 के चुनावों की तैयारी शुरू कर दें और प्रधानमंत्री मोदी की लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी सुनिश्चित करें। कार्यकर्ताओं को पिछली बार की तुलना में अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य भी दिया गया है। उल्लेखनीय है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 303 सीटें जीती थीं।

वैसे भाजपा के हालिया चुनावी जीत के रिकॉर्ड को देखते हुए 2024 के लोकसभा चुनावों में उसके 303 सीटों के पार जाने के लक्ष्य को असंभव नहीं कहा जा सकता। पिछले सप्ताह ही इंडिया टीवी की ओर से 'देश की आवाज' नामक ओपिनियन पोल के नतीजे भी दर्शाते हैं कि यदि आज की तारीख में लोकसभा चुनाव होते हैं तो भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन लोकसभा की कुल 543 में से 362 सीटों पर जीत दर्ज कर सकता है। यही नहीं इंडिया टीवी-मैट्रिज़ न्यूज़ कम्युनिकेशन का देशव्यापी ओपिनियन पोल इस निष्कर्ष पर भी पहुँचा है कि प्रधानमंत्री पद के लिए 48 फीसदी लोगों की पहली पसंद नरेंद्र मोदी हैं जबकि 11 फीसदी लोगों ने राहुल गांधी को पसंद किया। इन दो नेताओं की लोकप्रियता के बीच का यह अंतर दर्शाता है कि भाजपा विपक्ष से कितनी आगे है।

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हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार के रूप में द्रौपदी मुर्मू की जीत से भाजपा जहां आदिवासी समाज के बीच अपनी पकड़ बनाने में मजबूत हुई है वहीं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी का केंद्रीय कैबिनेट में अब तक का सबसे बेहतर प्रतिनिधित्व है। वंचितों को उनका हक दिलाने पर केंद्र और राज्यों की भाजपा सरकार का ज्यादा जोर नजर आ रहा है। इसके साथ ही भाजपा देश के सांस्कृतिक मूल्यों, ऐतिहासिक व पौराणिक मुद्दों आदि को लेकर भी बेहद सक्रिय है जिससे सर्वसमाज का समर्थन उसे हासिल हो सके। साथ ही भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खिलाफ जिस तरह की छापेमारी जारी है उससे जनता में यही संदेश जा रहा है कि व्यक्ति चाहे कितना भी रसूख वाला क्यों ना हो, सरकार उसे बख्शने के मूड में नहीं है।

लोकसभा सीटों के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश पर भाजपा का खासतौर पर ध्यान है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में केंद्र में मोदी सरकार बनवाने में यूपी का ही सर्वाधिक योगदान रहा है। हाल ही में विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने राज्य की सत्ता में शानदार वापसी की है। लोकसभा चुनावों की तैयारी के सिलसिले में चित्रकूट में भाजपा का प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। तीन दिवसीय इस शिविर में उत्तर प्रदेश के भाजपा पदाधिकारियों, प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्रियों, पार्टी के मोर्चों के अध्यक्षों, प्रकोष्ठों एवं विभागों के प्रदेश संयोजकों, क्षेत्रीय अध्यक्षों व क्षेत्रीय महासचिवों सहित जिला प्रभारियों तथा वरिष्ठ नेताओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। लोकसभा चुनावों की तैयारियों से संबंधित एक प्रेजेंटेशन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने दिया और इस प्रशिक्षण शिविर में लक्ष्य रखा गया कि जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरते हुए 2024 में अभूतपूर्व विजय की तैयारियों के साथ जुटना है। भाजपा का लक्ष्य इस बार प्रदेश की सभी 80 सीटों पर विजय हासिल करने का है इसीलिए अभी से तैयारी शुरू कर दी गयी है।

भाजपा के केंद्रीय नेताओं के विभिन्न प्रदेशों के बढ़ते दौरे भी दर्शा रहे हैं कि पार्टी की नजर सिर्फ इस साल या अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों पर ही नहीं है बल्कि 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी भी तेज हो गयी है। केंद्रीय मंत्रियों को विभिन्न संसदीय सीटों की जिम्मेदारी सौंप कर उन्हें उन क्षेत्रों में प्रवास करने को कहा गया है। इसी कड़ी में भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वह जनसंवाद का कार्यक्रम तेजी से आगे बढ़ायें और मोदी सरकार की उपलब्धियां बताते हुए पिछले आठ सालों के एनडीए के कामकाज और उससे पहले की सरकारों के कामकाज की तुलना से भी जनता को अवगत करायें। जनता तक यह संदेश भी पहुँचाया जायेगा कि कैसे मोदी के नेतृत्व में भाजपा राष्ट्र के पुनर्निर्माण के अभियान को आगे बढ़ा रही है। साथ ही यह भी बताया जायेगा कि चाहे कल्याणकारी योजनाओं का लाभ आम जनता तक पहुँचाने की बात हो, विदेशों में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने की बात हो, रक्षा क्षेत्र में भारत की क्षमता बढ़ाने की बात हो... हर क्षेत्र में सरकार तेजी से काम कर रही है। जनता भाजपा की विचारधारा से तो भलीभांति परिचित है लेकिन उसके शासन वाली सरकारों के कामों से भी भलीभांति परिचित हो...इसी उद्देश्य के साथ बड़ा अभियान छेड़ा जा रहा है। अभियान का लक्ष्य यही है...'तीसरी बार मोदी सरकार'।

बहरहाल, यह सही है कि कोरोना काल में चाहे देश की अर्थव्यवस्था को संभालने की बात हो, लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं खासतौर पर कोरोना से बचाव का टीका उपलब्ध कराने की बात हो, मुफ्त अनाज या अन्य प्रकार की राहतें देने की बात हो...अनेक कदमों से यही संदेश गया है कि मुश्किल हालात में देश को संभालने में नरेंद्र मोदी सक्षम हैं। लेकिन फिर भी भाजपा को यदि 2024 में 303 के पार जाने का लक्ष्य हासिल करना है तो उसके नेतृत्व वाली सरकार को रोजगार और महंगाई के मोर्चे पर तेजी से काम करना होगा।

-नीरज कुमार दुबे

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