यूपी की राजनीति में आज भी है अमरमणि का दबदबा, सभी दल अपने खेमे में चाहते हैं इस बाहुबली को
अमरमणि की रिहाई को उनकी बीजेपी से करीबी के रूप में जोड़कर देखा जा रहा है। अमरमणि का गोरखपुर और आसपास के जिले में अच्छा दबदबा है। अमरमणि त्रिपाठी के बारे में यह समझ लेना जरूरी है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा से बाहुबली नेताओं का दबदबा रहा है।
करीब 20 वर्ष पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की पेपर मिल कॉलोनी में रहने वाली कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को जेल से रिहा करने के अदालती आदेश से अमरमणि त्रिपाठी के प्रशंसकों में उत्साह का माहौल है। अमरमणि की रिहाई की खबर आते ही राजनीति के गलियारों में भी हलचल बढ़ गई है। कुछ लोग अमरमणि की रिहाई को लोकसभा चुनाव से भी जोड़कर देख रहे हैं। कहा जा रहा है कि अपनी रिहाई के बाद अमरमणि बीजेपी को फायदा पहुंचा सकते हैं। वैसे भी अमरमणि के बीजेपी के कई बड़े नेताओं से अच्छे संबंध हैं।
राजनीति के जानकार योगी सरकार में अमरमणि की रिहाई को उनकी बीजेपी से करीबी के रूप में जोड़कर देख रहे हैं। अमरमणि का गोरखपुर और आसपास के जिले में अच्छा दबदबा है। अमरमणि त्रिपाठी के बारे में यह समझ लेना जरूरी है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा से बाहुबली नेताओं का दबदबा रहा है। अपने रसूख के दम पर ये 'माननीय' चुनावी बयार का रुख अपनी तरफ मोड़ने में माहिर होते हैं। पूर्वांचल के ऐसे ही एक कद्दावर नेता हुआ करते थे अमरमणि त्रिपाठी। पूर्वांचल के 'डॉन' कहे जाने वाले हरिशंकर तिवारी के राजनीतिक वारिस रहे अमरमणि का जलवा कुछ ऐसा था कि सरकार चाहे भाजपा की रही हो या सपा-बसपा की, वह हर कैबिनेट का जरूरी हिस्सा हुआ करते थे। लगातार 6 बार विधायक रहे अमरमणि त्रिपाठी उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने जेल में रहते हुए भी जीत हासिल की थी।
इसे भी पढ़ें: Amarmani Tripathi और Madhumani Tripathi की रिहाई पर Anand Mohan ने कहा- जो मुझ पर सवाल उठा रहे थे आज वह अपने गिरेबां में झांकें
बहरहाल, अपने समय के हाई प्रोफाइल कवयित्री मधुमिता शुक्ला के हत्याकांड के मामले में आरोपियों को सजा तब मिल पाई थी जब सीबीआई ने अपनी जांच में अमरमणि और मधुमणि को दोषी करार देते हुए अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। पूर्व मंत्री अमरमणि की ताकत और दहशत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस हत्याकांड के गवाह एक-एक कर मुकर गए थे। कवयित्री मधुमिता शुक्ला के परिवार वालों को भी धमकाया जा रहा था, जिसके चलते बाद में इस हाईप्रोफाइल मामले को यूपी से बाहर उत्तराखंड में स्थानांतरित कर दिया गया था। जहां अमरमणि त्रिपाठी और उसकी पत्नी को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। इसके पश्चात यह दंपत्ति यूपी और उत्तराखंड की जेल में रहे। लेकिन अब दोनों की आयु, जेल में बिताई गई सजा की अवधि और अच्छे जेल आचरण के दृष्टिगत बाकी बची हुई सजा को माफ कर दिया गया है। कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में दोषी करार दिए जाने के बाद उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमिता त्रिपाठी को शासन ने रिहा करने का आदेश जारी कर दिया जिसके बाद इन दोनों को रिहा कर दिया गया।
अदालत के आदेश कहा गया था कि यदि दोनों को किसी अन्य वाद में जेल में निरुद्ध रखना आवश्यक न हो तो जिला मजिस्ट्रेट गोरखपुर के विवेक के अनुसार दो जमानतें तथा उतनी ही धनराशि का एक मुचलका प्रस्तुत करने पर इन्हें कारागार से मुक्त कर दिया जाए। बता दें कि लखनऊ में निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में 9 मई 2003 को मशहूर कवयित्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्याकांड के बाद मधुमिता और अमरमणि के प्रेम प्रसंग की जानकारी सामने आई। उस समय प्रदेश में बसपा की सरकार थी और अमरमणि बसपा सरकार के कद्दावर मंत्रियों में शुमार थे। बताया जाता है कि जेल जाने के बाद भी पूर्व मंत्री अमरमणि की हनक कम नहीं हुई थी। अब अमरमणि की रिहाई की खबर आते हैं कई दलों के नेताओं ने उनसे संपर्क साधने की कोशिश शुरू कर दी है। अमरमणि राजनीति की दूसरी पारी कहां से शुरू करेंगे कोई नहीं जानता, लेकिन उनके बीजेपी के करीब जाने की चर्चा ज्यादा है।
-अजय कुमार
अन्य न्यूज़