एक वाणिज्यिक पायलट (Commercial Pilot) कैसे बनें, जानिये चरण-दर-चरण प्रक्रिया

Commercial Pilot

वाणिज्यिक पायलट यात्री और कार्गो विमानों को नेविगेट और उड़ाते हैं। अपने प्रशिक्षण, अनुभव और योग्यता के आधार पर वे अग्निशमन और बचाव कार्यों में इस्तेमाल होने वाले विमानों को भी उड़ा सकते हैं।

कमर्शियल पायलट बनना एक डिमांडिंग और चुनौतीपूर्ण भरा काम है, लेकिन यह एक बहुत ही फायदेमंद करियर भी हो सकता है। व्यावसायिक पायलट बनने के लिए काफी प्रशिक्षण और व्यावहारिक आवश्यकताएं होती हैं। भारत में दो तरह के पायलट होते हैं-  पहला, जो भारतीय वायुसेना में शामिल होता है और दूसरा जो कमर्शियल पायलट बनता है।

एक वाणिज्यिक पायलट क्या करता है?

वाणिज्यिक पायलट यात्री और कार्गो विमानों को नेविगेट और उड़ाते हैं। अपने प्रशिक्षण, अनुभव और योग्यता के आधार पर वे अग्निशमन और बचाव कार्यों में इस्तेमाल होने वाले विमानों को भी उड़ा सकते हैं। कुछ को चार्टर उड़ानों, क्रॉप डस्टिंग और हवाई फोटोग्राफी का संचालन करने का भी काम सौंपा जाता है।

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बड़े विमानों में आमतौर पर विमान उड़ाने के लिए दो पायलट जिम्मेदार होते हैं। अधिक अनुभवी पायलट विमान और चालक दल की कमान संभालने वाले कप्तान के रूप में कार्य करता है। दूसरे पायलट को पहले अधिकारी के रूप में जाना जाता है, जिसकी प्राथमिक जिम्मेदारी कप्तान को विमान संचालित करने और आवश्यकता पड़ने पर उसे संभालने में मदद करना है। पहला अधिकारी भी आमतौर पर नियंत्रण टावर के साथ संचार करता है और सुधारात्मक उपाय करता है।

वाणिज्यिक पायलटों को उत्कृष्ट दृष्टि की आवश्यकता होती है और एक ही समय में कई विमान प्रणालियों की निगरानी करते हुए वस्तुओं की दूरी को मापने में सक्षम होना चाहिए। यहां तक कि नियंत्रणों में एक छोटा सा बदलाव विमान की गति और प्रदर्शन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है, इसलिए पायलटों को बारीकी से ध्यान देना चाहिए और डायल और गेज की निगरानी करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सब कुछ प्लान  के अनुसार काम कर रहा है।

वाणिज्यिक पायलट दो प्रकार के होते हैं- 

1. शेडूल पायलट- इंडियन एयरलाइंस जैसे इंडिया, स्पाइसजेट, एयर इंडिया आदि के पायलट।

2. नॉन-शेडूल पायलट- चार्टर्ड विमान, एयर एम्बुलेंस आदि उड़ाने वाले पायलट।

कमर्शियल पायलट कैसे बनें?

लगभग कोई भी व्यक्ति उचित प्रशिक्षण के साथ विमान उड़ाना और विमान संचालित करना सीख सकता है। हालांकि एक वाणिज्यिक पायलट बनने के लिए कुछ विशिष्ट चरणों से गुजरना पड़ता है। व्यावसायिक पायलट बनने के लिए आपको छह चरणों का पालन करना चाहिए:

1. एक निजी पायलट प्रमाणपत्र प्राप्त करें।

2. एक इंस्ट्रूमेंट रेटिंग प्राप्त करें।

3. एक वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस प्राप्त करें।

4. एक उड़ान प्रशिक्षक प्रमाणपत्र प्राप्त करें।

5. अनुभव प्राप्त करें।

6. फिर एक वाणिज्यिक पायलट के रूप में काम करें।

एक वाणिज्यिक पायलट बनने के लिए बुनियादी आवश्यकताएं:

- वह एक भारतीय नागरिक होना चाहिए।

- उसकी उम्र 18-32 साल के बीच होनी चाहिए।

- उसकी दृष्टि 6/6 होनी चाहिए। चश्मा पहनने से कोई दिक्कत नहीं है।

- उसे कलर ब्लाइंडनेस नहीं होना चाहिए।

- उसे भौतिकी, गणित और अंग्रेजी में 55% के साथ 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए। यदि आप कॉमर्स के छात्र हैं या जीव विज्ञान के छात्र हैं तो आपको ओपन स्कूल के माध्यम से इन विषयों को पास करना होगा। फिर आपको अपनी मार्कशीट को बोर्ड द्वारा सत्यापित करवाना होगा और आपको उन्हें डीजीसीए को भेजना होगा।

- उसे अंग्रेजी भाषा में दक्ष होना चाहिए।

- उसके पास क्लास 2 और क्लास 1 का चिकित्सा प्रमाण पत्र होना चाहिए।

- परीक्षा के लिए आवेदन करने के लिए उसे केंद्रीय परीक्षा संगठन (Central Examination Organisation) द्वारा कंप्यूटर नंबर के लिए आवेदन करना होगा।

- पुलिस वेरिफिकेशन करवाना होगा।

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एजुकेशन और कॉस्ट:

अपनी शिक्षा पूरी करने और एक व्यावसायिक पायलट बनने के दो तरीके होते हैं।

मेथड 1

यह विधि आपको एक वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस (Commercial Pilot License) देगी।

1- फ्लाइंग स्कूल में आवेदन करना 

आपको  फ्लाइंग स्कूल की प्रवेश परीक्षा पास करनी होगी। यह मुख्य रूप से मौसम विज्ञान, नेविगेशन, विनियमों पर आपके ज्ञान का परीक्षण करता है। इस कोर्स की अवधि लगभग 18 महीने से 2 साल तक होती है। पाठ्यक्रम में थ्योरी और प्रैक्टिकल शामिल हैं जिसमें 200 घंटे का उड़ान समय शामिल है। इस कोर्स में आपको लगभग रु. 38-45 लाख खर्च करने होंगे।

2- नौकरी के लिए आवेदन करें 

फ्लाइंग स्कूल में प्रशिक्षण पूरा करने के बाद आप किसी भी इंडियन एयरलाइंस में नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं।

3- टाइप रेटिंग 

यहां आपको बड़े प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग दी जाती है। इस पर आपको लगभग रु. 15-20 लाख का खर्च आता है। पायलट बनने की औसतन कुल लागत रु. 60-80 लाख के करीब हो सकती है।

मेथड 2

यह तरीका आसान है लेकिन काफी महंगा है। इस पद्धति में आपको उस विशेष एयरलाइन द्वारा संचालित कैडेट पायलट कार्यक्रम से गुजरना होगा जिसके लिए आपने आवेदन किया था। इस पर आपको लगभग रु. 1 करोड़ खर्च करने होंगे।

वेतन:

चयन के बाद रु 25,000 का न्यूनतम स्टाइपेंड मिलना निश्चित होता है। हालांकि यह 75,000 से 1 लाख रुपये तक जा सकता है। यह एयरलाइंस पर निर्भर करता है। 

पदोन्नति होने और पहले अधिकारी बनने के बाद आपको प्रति माह 2 लाख रुपये का वेतन मिल सकता है । एक कप्तान को 6 लाख रुपये प्रति माह और एक चेक पायलट को 7.5-12 लाख प्रति माह का वेतन मिल सकता है। 

- जे. पी. शुक्ला

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