आखिर चीनी ऑर्डर को कैंसिल क्यों नहीं करना चाहते हैं व्यापारी ? जानिए इसके पीछे की वजह

Chinese orders

कोरोना महामारी की वजह से जारी देशव्यापी लॉकडाउन के चलते वैसे भी चीन का सामान स्थानीय बाजारों तक अभी कम पहुंचा है, लेकिन बाजार खुलने के साथ ही व्यापारियों ने बड़ी संख्या में अपने-अपने ऑर्डर दे दिए हैं।

नयी दिल्ली। लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए। इस घटनाक्रम के बाद पूरा देश चीन से आहत है। जगह-जगह पर चीनी सामानों के बहिष्कार को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं। एक बार फिर लोग घरों से निकलकर चीनी राष्ट्रपति का पुतला फूंक रहे हैं। लेकिन क्या चीनी समानों का बहिष्कार कर पाएगा हिन्दुस्तान यह सवाल बहुत अहम है। व्यापार संगठनों ने चीनी सामान के बहिष्कार की बात कही लेकिन इसका असर उन व्यापारियों पर कोई खास पड़ता हुआ नहीं दिखाई दिया जो चीन से बड़े पैमाने पर आयात करते हैं। या यूं कहें कि उनकी ज्यादातर बिक्री चीनी सामानों को बेचकर ही होती है।

कोरोना महामारी की वजह से जारी देशव्यापी लॉकडाउन के चलते वैसे भी चीन का सामान स्थानीय बाजारों तक अभी कम पहुंचा है, लेकिन बाजार खुलने के साथ ही व्यापारियों ने बड़ी संख्या में अपने-अपने ऑर्डर दे दिए हैं। चीनी सुपरमार्केट्स खोल चुके स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि सरकार चाहे तो टैरिफ बढ़ा दे जिसकी वजह से चीनी वस्तुओं का आयात भी कम हो जाएगा। 

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वैकल्पिक बाजार सुझाए सरकार

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली के करोलबाग में इलेक्ट्रॉनिक सामान का व्यापार करने वाले एक व्यापारी ने कहा कि चीन के रवैये से हम सब दुखी हैं लेकिन हम ऑर्डर नहीं कैंसिल कर सकते हैं क्योंकि हम नहीं मनवाएंगे तो कोई और मनवाएगा। ऐसे में एक ही विकल्प बचता है कि सरकार टैरिफ पर विचार करें। इसके साथ ही व्यापारी ने कहा कि यदि सरकार हमें कोई और बाजार के बारे में सुझाए तो हम चीनी सामान को रोक सकते हैं।

चीनी कम्पनियां देती हैं उधार

एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के मुताबिक सफर बाजार के व्यापारी विपिन गुप्ता ने बताया कि चीनी कम्पनियां काफी ज्यादा उधार दे देती हैं। उन्होंने अपना तजुर्बा बताते हुआ कहा कि कई बार तो मैंने नो महीने बाद कम्पनियों को भुगतान किया है। इसके अलावा कुछ कम्पनियां तो सामान की बिक्री के बाद ही भुगतान का भरोसा देती हैं। 

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भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारी पवन कुमार ने बताया कि आखिर क्यों चीनी सामान पर रोक मुमकिन नहीं है। पवन कुमार का मानना है कि जब तक हम देश में कॉस्ट इफेक्टिव मैन्युफैक्चरिंग के हालात नहीं उत्पन्न कर देते हैं या फिर चीनी बाजार के अलावा कोई दूसरा किफायती बाजार का रास्ता मुहैया नहीं होता है तब तक यह शायद ही मुमकिन हो।

बता दें कि भारत के कुल आयात में चीन का हिस्सा करीब 14 फीसदी का है। चीन भारत में मोबाइल फोन, दूरसंचार, बिजली, प्लास्टिक के खिलौने, उर्वरक तथा महत्वपूर्ण फार्मा सामग्री क्षेत्र का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार चीन से निर्भरता को कम करने के बारे में विचार कर रही है। इसके लिए सरकार गैर-आवश्यक सामानों का आयात कम करने के लिए योजना बना रही है। 

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सूत्रों ने कहा कि सरकार का इरादा चीन जैसे देशों से इन गैर-आवश्यक उत्पादों का आयात घटाना है। इन उत्पादों में रसायन, इस्पात, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, भारी मशीनरी, दूरसंचार सामान, कागज, रबड़ का सामान, शीशा, औद्योगिक मशीनरी, धातु का सामान, फर्नीचर, फार्मा, उर्वरक, खाद्य और कपड़ा शामिल है।

मेड इन चाइना से छुटकारा पाना आसान नहीं

चीन से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स पर ही सबसे ज्यादा निर्भरता है। साल 2019 में देश में कुल इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का 34 फीसदी हिस्सा चीन से आया। आसान भाषा में समझाएं तो सस्ता समान लोगों तक पहुंचाकर अपने प्रति निर्भरता को चीन ने बढ़ाया है। ऐसे में एकसाथ यह समस्या समाप्त हो जाए यह मुमकिन नहीं दिख रहा है।

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