सेंसेक्स के उतार-चढ़ाव और बाजार की उथल-पुथल से निपटने के तरीके
चारों तरफ से उड़ती हुयी सुर्ख़ियों का असर अपनी निवेश रणनीति पर नहीं होने दें. वित्तीय जानकारियों के अतिभार से खुद को थोड़ा अलग करें और सीधा-सपाट ढंग से सोचें।
इक्विटी बाज़ार में मन भटकना कोई नयी बात नहीं है। बस इतना है कि हर समय कारण अलग-अलग होते हैं। लेकिन आप पायेंगे कि जब-जब सेंसेक्स ऊपर या नीचे होता है, निवेशकों और दर्शकों का मन हिचकोले खाने लगता है। हमें इसे स्वीकार करना चाहिए कि यह उतार-चढ़ाव स्टॉक मार्केट्स का अभिन्न हिस्सा है. इस बाज़ार का यही चरित्र है और यह हमेशा ऐसा ही रहेगा। बस इतना है कि सेंसेक्स के उतार-चाढ़ाव की तीव्रता और गति में पूंजी बाज़ारों की गहराई और विस्तार पर आधारित परिवर्तन हो सकते हैं।
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तो जब ऐसा दौर आये तब निवेशकों को क्या करना चाहिए ?
1. अपनी भावनाओं पर काबू रखें
चारों तरफ से उड़ती हुयी सुर्ख़ियों का असर अपनी निवेश रणनीति पर नहीं होने दें. वित्तीय जानकारियों के अतिभार से खुद को थोड़ा अलग करें और सीधा-सपाट ढंग से सोचें। यह कहना आसान है लेकिन अक्सर किसी निवेश रणनीति को हासिल करना सबसे कठिन काम होता है। इसलिए अपने वित्तीय योजना पर फोकस करना और खरीद का समय, बेचने का समय और अपने पोर्टफोलियो तथा आस्ति आवंटन के लिए बदलाव का समय तय करने में उसका अनुसरण करें।
2. अपने आस्ति आवंटन और पोर्टफोलियो की समीक्षा करें
आपने निवेश का जो उद्देश्य तय किया था, उसकी अपेक्षा में आपके पोर्टफोलियो का प्रदर्शन कैसा रहा है? अगर आपकी इक्विटी होल्डिंग में 10% या इससे अधिक गिरावट है तो अपना मौजूदा स्तर में वृद्धि पर देखें (केवल सुदृढ़ कारोबारों [स्टॉक्स] और सुप्रबंधित विविधीकृत इक्विटी फंड्स के मामले में)। हाई क्वालिटी के ब्लू चिप्स स्टॉक्स जमा करने और म्यूच्यूअल फंड्स में अपनी मौजूदा होल्डिंग्स के लिए स्टैगर्ड दृष्टिकोण अपनाएं।
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अगर आपको लगता है कि आप उच्च इक्विटी एक्सपोज़र नहीं झेल पायेंगे और भावनात्मक रूप से लगातार परेशान हैं तो आपको अपना इक्विटी एक्सपोज़र कम करना चाहिए (ज्यादा आरामदेह स्तर तक) और इसकी शुरुआत जहां आपने पैसा बनाया है वहाँ से, और टैक्स के असर का विचार करते हुए करें. अगर कहीं फायदा और कहीं बड़ा घाटा हो, तब आप फायदे वाले फण्ड में बने रह सकते हैं और घाटे वाले को छोड़ दें. मैं यह नहीं कह रहा कि आपको हरेक घाटे वाले स्टॉक या फण्ड से निकल जाना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी बुनियादी रूप से बढ़िया स्टॉक और म्यूच्यूअल फण्ड भी थोड़ा पिछड़ जाते हैं. उनकी भावी संभावना अल्पकालिक अस्थायी लक्ष्यों से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है और इसलिए सभी निवेशों की अलग-अलग समीक्षा ज़रूरी है.
3. एकदम अंत में निवेश का इंतज़ार नहीं करें, अधिक महत्वपूर्ण है कि कारवाई करें
बाज़ार जब लुढ़क रहा हो और टीवी पर अचानक निराशाजनक चर्चाओं का बाज़ार गर्म हो, उस समय निवेश करने के लिए हिम्मत की ज़रुरत होती है. लेकिन ऐसे वक्त में आपने मंहगा होने के कारण जहां से हाथ खींच लिया था वहाँ निवेश करें। संक्षेप में यह कि अपनी क्रय सूची तैयार रखें और लगातार लेवाली करते रहे। एकदम अंत में खरीद के लिए नहीं रुकें क्योंकि अंतिम अवसर के लिए हर कोई एक समान भाग्यशाली नहीं होता।
सबसे महत्वपूर्ण है अपने आस्ति आवंटन पर पैनी नजर रखना और आपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य से कोई बड़ा विचलन होने पर बदलाव करना। और हां, जोखिम का स्वागत करें और इसे फायदेमंद बनाने का हुनर सीखें. एक दीर्घकालिक निवेशक के रूप में बाज़ार के नकारात्मक भाव को अपना दोस्त बनाएं और इससे भागें नहीं।
अमर पंडित
(CFA & Founder of HappynessFactory.in)
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