विजया बैंक, देना बैंक के बैंक आफ बड़ौदा में विलय को मंत्रिमंडल से मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुयी मंत्रिमंडल की बैठक में विलय को मंजूरी दी गई। फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, इस विलय से इन बैंकों के कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और विलय के बाद कोई छटनी भी नहीं होगी।
नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सार्वजनिक क्षेत्र के तीन बैंकों के विलय का रास्ता साफ कर दिया। मंत्रिमंडल ने देना बैंक और विजया बैंक को सरकारी क्षेत्र के ही एक बड़े बैंकिंग प्रतिष्ठान बैंक ऑफ बड़ौदा (बॉब) में मिलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस विलय के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक अस्तित्व में आएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुयी मंत्रिमंडल की बैठक में विलय को मंजूरी दी गई। फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, " इस विलय से इन बैंकों के कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और विलय के बाद कोई छटनी भी नहीं होगी।"
Cabinet approves first-ever three way merger in Indian Banking with amalgamation of Vijaya Bank, Dena Bank and Bank of Baroda.
— ANI (@ANI) January 2, 2019
इन तीनों बैंकों के निदेशक मंडलों ने प्रस्तावित विलय के लिए शेयरों की अदला-बदली की दरों को अंतिम रूप दे दिया है। विलय की योजना के मुताबिक, विजया बैंक के शेयरधारकों को इस बैंक के प्रत्येक 1,000 शेयरों के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 402 इक्विटी शेयर मिलेंगे। वहीं देना बैंक के मामले में, उसके शेयरधारकों को प्रत्येक 1,000 शेयर के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 110 शेयर मिलेंगे। यह योजना एक अप्रैल, 2019 से अस्तित्व में आएगी। मीडिया से बातचीत में प्रसाद ने कहा कि बैंक ऑफ बड़ौदा को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी ऋणदाता बनाने के लिये विलय की यह योजना तैयार की गयी है। ‘‘इससे कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और विलय के बाद किसी कर्मचारी की छंटनी नहीं की जाएगी।’’
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विलय के फलस्वरूप बैंक आफ बड़ौदा सरकारी क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा। विलय के बाद अस्तित्व में आए बैंक का कुल कारोबार 14.82 लाख करोड़ रुपये होगा। विलय के बाद देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 18 रह जाएगी। विलय की योजना को 30 दिन तक संसद में रखा जाएगा जिससे सदस्य इस पर गौर कर सकें। सूत्रों ने बताया कि इसे संसद के शीतकालीन सत्र से पहले रखा जाएगा। शीतकालीन सत्र आठ जनवरी को समाप्त हो रहा है।
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