RBI ने विदेशी मुद्रा की अदला-बदली नीलामी के जरिये 5 अरब डालर खरीदे
इससे आरबीआई को बैंकों में नकदी के प्रबंधन में मदद मिलेगी जबकि वहीं दूसरी तरफ बड़े पैमाने पर डालर प्रवाह की संभावना से होने वाले उतार- चढ़ाव से निपटने में भी मदद मिलेगी।
मुंबई। रिजर्व बैंक ने मंगलवार को दीर्घकालीन विदेशी मुद्रा की अदला-बदली नीलामी के जरिये 5 अरब डालर की खरीद की। इस कदम का मकसद चुनावों से पहले बैंकिंग तंत्र में नकदी की स्थिति को बेहतर बनाना है। तीन साल की अवधि के लिये दीर्घकालीन डालर/रुपया अदला बदली व्यवस्था के तहत आरबीआई ने सफलतापूर्वक विदेशी मुद्रा विनिमय नीलामी प्रक्रिया पूरी की है। डालर- रुपये की अदला- बदली नीलामी के तहत बैंकों में 34,561 करोड़ रुपये की पूंजी डाली गई है। आरबीआई ने कहा कि उसे इस नीलामी के तहत 16.31 अरब डालर की बोलियां प्राप्त हुई जिसके लिये 776 पैसे (7.76 रुपये) का कट- आफ तय किया गया। केंद्रीय बैंक ने इसमें से 5.02 अरब डालर की बोली स्वीकार की है।
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आरबीआई ने इस महीने की शुरूआत में बैंकों से तीन साल के लिये डालर खरीद की घोषणा की थी और बदले में उन्हें रुपये की पेशकश की थी। यह नीलामी उसी घोषणा का हिस्सा है। इस अदला-बदली व्यवस्था से देश के विदेशी मुद्रा भंडार में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। वहीं दूसरी तरफ वित्तीय प्रणाली में नकदी आएगी जिससे नकदी की समस्या दूर होगी जो अक्सर वित्त वर्ष की शुरूआत से पहले देखी जाती है। इससे आरबीआई को बैंकों में नकदी के प्रबंधन में मदद मिलेगी जबकि वहीं दूसरी तरफ बड़े पैमाने पर डालर प्रवाह की संभावना से होने वाले उतार- चढ़ाव से निपटने में भी मदद मिलेगी।
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RBI Governor holding pre-Monetary Policy consultation with market participants #rbitoday #rbigovernor pic.twitter.com/ynWL6U3E5t
— ReserveBankOfIndia (@RBI) March 26, 2019
उदाहरण के लिये आर्सेलर मित्तल द्वारा एस्सार स्टील की खरीद के लिये 42,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाता है तो इससे रुपये की विनिमय दर में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष में बाजार को नकदी समर्थन देने के लिये तीन लाख करोड़ रुपये मूल्य के बांड की खरीदारी की है। यह खरीदारी ऐसे समय की गई जब सरकार के 100 अरब डालर के उधारी कार्यक्रम को देखते हुये बाजार में ऋण मांग ठंडी पड़ी हुई थी।
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