सार्वजनिक उपक्रमों ने 5 माह में MSME का 13,400 करोड़ रुपये का बकाया चुकाया : सरकार
केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसई) ने पिछले पांच माह के दौरान सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) का 13,400 करोड़ रुपये का बकाया चुकाया है। इसमें से 3,700 करोड़ रुपये का भुगतान सितंबर महीने में किया गया है।
नयी दिल्ली। केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसई) ने पिछले पांच माह के दौरान सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) का 13,400 करोड़ रुपये का बकाया चुकाया है। इसमें से 3,700 करोड़ रुपये का भुगतान सितंबर महीने में किया गया है। सरकार ने सोमवार को यह जानकारी दी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एमएसएमई मंत्रालय ने इसी महीने 2,800 कंपनियों के शीर्ष प्रबंधन को पत्र लिखकर एमएसएमई का बकाया चुकाने को कहा है। पिछले महीने मंत्रालय ने देश की शीर्ष 500 कंपनियों को एमएसएमई का बकाया चुकाने के लिए पत्र लिखा था।
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अपने ताजा पत्र में एमएसएमई मंत्रालय ने कहा है कि इस समय भुगतान करना काफी महत्वपूर्ण होगा। इससे छोटे उपक्रम त्योहारी सीजन के दौरान कारोबारी अवसरों का लाभ उठा सकेंगे। मंत्रालय ने कहा कि यदि एमएसएमई क्षेत्र को नकदी का प्रवाह सुधरेगा, तो वह इस त्योहारी सीजन के दौरान वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति के अवसर का लाभ उठा सकेगा। बयान में कहा गया है, ‘‘वास्तव में एमएसएमई पूरे साल इस समय का इंतजार करते हैं। ऐसे में समय पर भुगतान से एमएसएमई और उनपर निर्भर लोगों को न केवल त्योहारी सीजन में ही फायदा मिलेगा, बल्कि इससे कई को पूरे साल के लिए राहत मिल सकेगी।’’
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ऐसे में मंत्रालय ने कंपनियों से कहा है कि वे एमएसएमई को जल्द से जल्द भुगतान करने के लिए कदम उठाएं। बेहतर होगा कि वे इसी महीने उनका भुगतान करें। इसके अलावा मंत्रालय ने उद्योग जगत का ध्यान एमएसएमई के भुगतान के लिए महत्वपूर्ण प्रशासनिक, कानूनी और फिनटेक आधारित प्रावधानों की ओर भी दिलाया है। इन प्रावधानों के तहत कहा गया है कि उचित होगा कि एमएसएमई का भुगतान निर्धारित समय में किया जाए।
एमएसएमई को नकदी प्रवाह की समस्या के समाधान को रिजर्व बैंक ने ट्रेड्स रिसीवेबल डिस्काउंटिंग सिस्टम (टीआरईडीएस) की शुरुआत की है। मंत्रालय ने कहा कि 500 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाले सभी सीपीएसई और कंपनियों के लिए इस मंच से जुड़ना अनिवार्य है। हालांकि, बहुत सी कंपनियां अब तक इस मंच से नहीं जुड़ी हैं। मंत्रालय ने उद्योग जगत से कहा है कि वे इस बात की जांच करें कि उनका समूह या कंपनियां टीआरईडीएस मंच जुड़ी हैं या नहीं।
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