New UPI rule : मोबाइल नंबरों से संबंधित नया यूपीआई नियम होने वाला है लागू, जानें विस्तार से यहां

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रितिका कमठान । Mar 26 2025 3:41PM

बैंक और पेमेंट सेवा प्रदाता (पीएसपी) अपने डेटाबेस को नियमित रूप से अपडेट करने के लिए मोबाइल नंबर निरस्तीकरण सूची या डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म का उपयोग करेंगे। यह अपडेट कम से कम साप्ताहिक आधार पर किया जाएगा, जिससे यूपीआई लेनदेन में सुरक्षा और दक्षता में सुधार हो सके।

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन की सुरक्षा और दक्षता में सुधार के लिए नए नियम बनाए हैं। ये नियम 1 अप्रैल, 2025 से लागू होंगे। नए नियमों के अनुसार, बैंकों और यूपीआई सेवा प्रदाताओं जैसे फोनपे, जीपे और पेटीएम को संख्यात्मक यूपीआई आईडी के लिए कुछ सुरक्षा उपायों को लागू करना होगा।

एनपीसीआई के नए निर्देश के अनुसार, बैंक और पेमेंट सेवा प्रदाता (पीएसपी) अपने डेटाबेस को नियमित रूप से अपडेट करने के लिए मोबाइल नंबर निरस्तीकरण सूची या डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म का उपयोग करेंगे। यह अपडेट कम से कम साप्ताहिक आधार पर किया जाएगा, जिससे यूपीआई लेनदेन में सुरक्षा और दक्षता में सुधार हो सके। इसका मकसद यह है कि पुराने या बदले हुए मोबाइल नंबरों की वजह से होने वाली यूपीआई लेनदेन में गलतियों को कम किया जा सके। दूरसंचार विभाग के नियमों के अनुसार, यदि किसी का मोबाइल नंबर बंद कर दिया गया है, तो उस नंबर को 90 दिनों के बाद किसी नए ग्राहक को मिल सकता है।

आमतौर पर, यदि कोई उपभोक्ता तीन महीने तक अपने मोबाइल नंबर का उपयोग नहीं करता है, तो दूरसंचार कंपनी उस नंबर को बंद कर देती है और बाद में उसे किसी अन्य ग्राहक को दे दिया जाता है। नए यूपीआई नियमों के अनुसार, यदि कोई मोबाइल नंबर निष्क्रिय हो जाता है, तो उस नंबर से जुड़ी यूपीआई आईडी भी निष्क्रिय हो जाएगी। अगर यूजर का मोबाइल नंबर निष्क्रिय हो जाता है, तो आप उस नंबर से जुड़ी यूपीआई आईडी का उपयोग नहीं कर पाएंगे। इसके कारण, उपयोगकर्ताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके बैंकों के साथ पंजीकृत मोबाइल नंबर सक्रिय और उपयोग में हैं।

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, एनपीसीआई ने धोखाधड़ी की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए यूपीआई से “कलेक्ट पेमेंट्स” सुविधाओं को खत्म करना शुरू कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि यह प्रणाली केवल बड़े, सत्यापित व्यापारियों तक ही सीमित रहेगी, जबकि व्यक्ति-से-व्यक्ति भुगतान की सीमा 2,000 रुपये तक होगी।

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