लेबर फोर्स की कमी, कंपनियों का काम करना हुआ मुश्किल

लेबर फोर्स की कमी
निधि अविनाश । Jun 18 2020 5:16PM

बता दे कि लेबर फोर्स की डिमांड बढ़ने से अब मजदूरी भी बढ़ रही है और सप्लाई भी मंहगी होती जा रही है। इसकी वजह से कपंनियों का लागत खर्च भी बढ़ता जा रहा है। लागत बढ़ने से कपंनियों को अपने प्रोडक्ट के दामों में भी बढ़ोतरी करनी पड़ सकती है जिससे मंहगाई बढ़ेगी।

कोरोना महामारी के कारण शहर में रह रहे कई मजदूर अपने गांव लौट गए हैं। मजदूरों की कमी के कारण अब कई कंपनियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। काम में मुश्किलें आ रही है। कई कपंनियां अब 40-60 फीसदी लेबर फोर्स के साथ ही काम करने को मजबूर हो गई है। बता दे कि लेबर फोर्स की डिमांड बढ़ने से अब मजदूरी भी बढ़ रही है और सप्लाई भी मंहगी होती जा रही है। इसकी वजह से कपंनियों का लागत खर्च भी बढ़ता जा रहा है। लागत बढ़ने से कपंनियों को अपने प्रोडक्ट के दामों में भी बढ़ोतरी करनी पड़ सकती है जिससे मंहगाई बढ़ेगी और सीधा असर आम आदमी के जेब पर पड़ सकता है। 

इसे भी पढ़ें: विश्वबैंक ने भारतीय कंपनी को भ्रष्ट और धोखाधड़ी गतिविधियों के लिए चिह्लित किया

एसोचैम सर्वे के मुताबिक लेबर फोर्स की कमी आने से सबसे ज्यादा असर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर पड़ा है। इसके अलावा कई और सेक्टर जैसे टेक्सटाइल, लेदर, वूड एंड प्रॉडक्ट्स, पेपर प्रॉडक्ट्स, केमिकल्स, रबर और बेसिक मेटल जैसे सेक्टर में प्रोडक्ट का काम लेबर फोर्स की कमी के कारण बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इस सर्वे रिपोर्ट के अनुसार शहर में रह रहे करोड़ों मजदूर अपने गांव लौट गए है और अब वापस शहर आने में शायद समय लग सकता है। इसको देखते हुए कपंनियों को एक तो लेबर फोर्स मिलने में परेशानी हो रही है दूसरी और डिमांड ज्यादा होने के कारण अब मजदूरों को ज्यादा वेतन देना पड़ रहा है। बता दें कि आगे भी लेबर फोर्स में कुछ महीनों तक कमी रहने की आशांका है। जिसके कारण अब मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर में काम करने वाली कंपनियों की लागत बढ़ सकती है। 

इसे भी पढ़ें: CM उद्धव की उद्योग जगत से अपील, मेक इन महाराष्ट्र के तहत प्रदेश में कम से कम 1 परियोजना स्थापित करें

एसोचैम की सेक्रेटरी जनरल दीपक सूद के मुताबिक मई महीनें में थोक मंहगाई दर नेगेटिव जोन में पहुंच चुकी थी। इसमें 3.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। लेकिन मंहगाई दर जल्द ही नेगेटिव जोन से बाहर आ जाएगी। फेडरेशन ऑफ इंडिया माइक्रो एंड स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज के मुताबिक मजदूरों की कमी आने से सिर्फ 30 से 40 फीसदी कंपनियां ही काम शुरू कर पाई है। छोटे और ंमझोले कंपनियों के पास कैश तो है लेकिन लेबर फोर्स की भारी कमी है। अब प्रवासी मजदूर कमाने के लिए शहर वापस लौटना चाहते है तो उनको आने की भी सुविधा दी जाए इससे उत्पादन भी  सही तरीके से हो पाएगा और सप्लाई की स्थिति भी बेहतर हो सकती है। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़