Jio ने दूसरी दूरसंचार कंपनियां पर लगाया आरोप, कहा- ग्राहकों से वसूल रही छिपा हुआ शुल्क
जियो ने पुरानी दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनियों में पारदर्शिता के अभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि उन कंपनियों ने गलत प्रौद्योगिकी में निवेश किया है जिससे उनकी लागत पर असर पड़ रहा है।
नयी दिल्ली। रिलायंस जियो ने अपने ग्राहकों से छह पैसा प्रति मिनट के इंटरकनेक्ट उपयोग शुल्क (आईयूसी) वसूलने के निर्णय का मंगलवार को बचाव किया। कंपनी ने अन्य दूरसंचार सेवाप्रदाताओं पर इसे ‘छिपे हुए शुल्क’ (हिडेन चार्जेस) के रूप में वसूलने का आरोप लगाया। कंपनी ने कहा उसने इस मामले में पारदर्शिता बरती है। उल्लेखनीय है कि भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नियमानुसार अभी दूरसंचार कंपनियों को अपने नेटवर्क से बाहर जाने वाली कॉल के दूसरे नेटवर्क पर जुड़ने के लिए एक शुल्क देना होता है। इसे ही आईयूसी कहते हैं। वर्तमान में इसकी दर 6 पैसे प्रति मिनट है।
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— Reliance Jio (@reliancejio) October 14, 2019
जियो ने पुरानी दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनियों में पारदर्शिता के अभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि उन कंपनियों ने गलत प्रौद्योगिकी में निवेश किया है जिससे उनकी लागत पर असर पड़ रहा है। आईयूसी के नाम पर वह अपने नेटवर्क की अक्षमता को छिपा नहीं सकते हैं। जियो के अध्यक्ष मैथ्यू ओमन ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों को भविष्य में 5जी के लिए इंटरनेट प्रोटोकॉल पर आधारित पूरा नया ढांचा बनाने की जरूरत होगी और उन्हें 2जी जैसी पुरानी प्रौद्योगिकी में निवेश नहीं करना होगा।
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आईयूसी शुल्क वसूलने के निर्णय पर ओमन ने कहा कि हम चाहें तो उद्योग से जुड़ी अन्य कंपनियों की तरह असीमित प्लान दे सकते थे। किसी को कभी पता भी नहीं चलता लेकिन हमने ऐसा नहीं करने का चुनाव किया, क्योंकि हम वसूले जाने वाले हर पैसे को लेकर पारदर्शिता चाहते थे। यह चुनाव हमने किया। छह पैसे के शुल्क को आईयूसी के रूप में पहचान देने के स्थान पर हम भी अन्य कंपनियों की तरह ग्राहक को 20 से 100 रुपये के बीच की सेवा कम स्पेक्ट्रम की उपलब्ध कराकर इसे वसूल सकते थे। अन्य किसी भी नेटवर्क पर वायस कॉल के लिए न्यूनतम एक से डेढ़ रुपये का शुल्क लिया जाता है। उन्होंने कहा कि अन्य कंपनियां उनके नेटवर्क पर बने रहने के लिए ग्राहकों से 23 से 33 रुपये तक का शुल्क वसूल रही हैं। हम ग्राहकों से असीमित प्लान के नाम पर वसूली नहीं करते हैं।
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