भोपाल में होगा Aqua Park का निर्माण, मंजूर हुए 25 करोड़ रुपये, मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने दी जानकारी
एकीकृत एक्वा पार्क, मत्स्य पालन मंत्रालय की पेश अभिनव अवधारणा है जहां मछली पालन की अलग-अलग गतिविधियों को एक ही स्थान पर संचालित किया जाता है। समारोह के बाद संवाददाताओं से बातचीत में रूपाला ने बताया कि पीएमएमएसवाई के तहत 20,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करने के लिए मात्स्यिकी की 31 गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
इंदौर। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने शुक्रवार को कहा कि मध्यप्रदेश में मछली पालन को बढ़ावा देने के मकसद से राज्य की राजधानी भोपाल में एकीकृत ‘एक्वा पार्क’ की स्थापना के लिए 25 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। रूपाला ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाय) की तीसरी वर्षगांठ पर इंदौर में आयोजित समारोह में कहा,‘‘हमने पीएमएमएसवाई के तहत भोपाल में एकीकृत एक्वा पार्क की स्थापना को मंजूरी दी है। केंद्र सरकार ने इसके लिए 25 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।’’
उन्होंने कहा कि एकीकृत एक्वा पार्क से राज्य के मछली पालकों को उत्तम गुणवत्ता के बीजों के साथ ही मछली पालने का बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त करने में बड़ी सहायता मिलेगी। मंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में समुद्र तट का अभाव है और एकीकृत ‘एक्वा पार्क’ स्थापित होने के बाद राज्य के अलग-अलग जलस्त्रोतों में मछली पालन की गतिविधियां तेज होंगी। रूपाला ने कहा कि केंद्र सरकार ने देश भर में पांच एकीकृत एक्वा पार्क मंजूर किए हैं। इनमें तमिलनाडु और अरुणाचल प्रदेश में स्वीकृत एक्वा पार्क शामिल हैं।
एकीकृत एक्वा पार्क, मत्स्य पालन मंत्रालय की पेश अभिनव अवधारणा है जहां मछली पालन की अलग-अलग गतिविधियों को एक ही स्थान पर संचालित किया जाता है। समारोह के बाद संवाददाताओं से बातचीत में रूपाला ने बताया कि पीएमएमएसवाई के तहत 20,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करने के लिए मात्स्यिकी की 31 गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि फिलहाल भारत में हर साल करीब 174 लाख टन मछली उत्पादन किया जाता है और 60,000 करोड़ रुपये मूल्य के समुद्री उत्पादों का देश से निर्यात किया जाता है। रूपाला ने कहा, ‘‘देश में कुल 8,000 किलोमीटर लम्बे समुद्र तट हैं। लिहाजा समुद्री उत्पादों का उत्पादन बढ़ने की खासी संभावनाएं हैं।’’ उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार उन राज्यों में भी मछली, मोती और झींगा के उत्पादन को लगातार बढ़ावा दे रही है जहां समुद्र तट नहीं हैं।
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