गोदरेज की अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा बढ़ाने पर 30 दिन में फैसला करने का मुंबई हाईकोर्ट ने दिया निर्देश

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मुंबई के विक्रोली इलाके में स्थित गोदरेज एंड बॉयस के एक भूखंड का राज्य सरकार ने बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए अधिग्रहण कर लिया था। लेकिन कंपनी इसके लिए दिए जा रहे मुआवजे को कम बताते हुए बढ़ाने की मांग कर रही है।

मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए उपनगरीय इलाके विक्रोली में अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा बढ़ाने की गोदरेज एंड बॉयस कंपनी की अर्जी पर महाराष्ट्र सरकार को एक महीने में फैसला करने का सोमवार को निर्देश दिया। न्यायमूर्ति बी पी कोलाबावाला और न्यायमूर्ति एम एम साठ्ये की खंडपीठ ने कंपनी की तरफ से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जमीन का मुआवजा बढ़ाने के अनुरोध पर 30 दिनों के भीतर फैसला करने को कहा।

मुंबई के विक्रोली इलाके में स्थित गोदरेज एंड बॉयस के एक भूखंड का राज्य सरकार ने बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए अधिग्रहण कर लिया था। लेकिन कंपनी इसके लिए दिए जा रहे मुआवजे को कम बताते हुए बढ़ाने की मांग कर रही है। गोदरेज समूह की कंपनी का कहना है कि पहले इस अधिग्रहीत जमीन के लिए 572 करोड़ रुपये का मुआवजा तय किया गया था लेकिन आखिर में उसे घटाकर 264 करोड़ रुपये कर दिया गया था।

कंपनी इसे बढ़ाकर 993 करोड़ रुपये किए जाने की मांग कर रही है। इसके पहले साल की शुरुआत में भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिका को उच्च न्यायालय ने नकार दिया था। इसके खिलाफ उसने उच्चतम न्यायालय में भी अपील की थी लेकिन उसे वहां से भी राहत नहीं मिल पाई थी। हालांकि शीर्ष अदालत ने मुआवजे की राशि बढ़ाने के मुद्दे पर छह महीने में फैसला किए जाने का निर्देश दिया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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