वाहन कलपुर्जा उद्योग 14% वृद्धि के साथ तीन लाख करोड़ रुपये का हुआ
जीएसटी को लेकर अनिश्चितता तथा नोटबंदी के बावजूद देश का वाहन कलपुर्जा उद्योग बीते वित्त वर्ष में 14.3 प्रतिशत बढ़कर 2.92 लाख करोड़ रुपये हो गया।
जीएसटी को लेकर अनिश्चितता तथा नोटबंदी के बावजूद देश का वाहन कलपुर्जा उद्योग बीते वित्त वर्ष में 14.3 प्रतिशत बढ़कर 2.92 लाख करोड़ रुपये हो गया। वाहन कलपुर्जा विनिर्माताओं के संगठन एक्मा का कहना है कि बिक्री बाद सेवा (आफ्टर मार्केट) खंड में मजबूत मांग से इस उद्योग को बल मिला। बीते साल यह खंड 25.6 प्रतिशत बढ़कर 56,096 करोड़ रुपये हो गया जो कि पूर्व वर्ष में 44,660 करोड़ रुपये था।
संगठन के आंकड़ों के अनुसार 2016 17 में निर्यात 3.1 प्रतिशत बढ़कर 73,128 करोड़ रुपये हो गया जबकि आयात 0.1 प्रतिशत घटकर 90,662 करोड़ रुपये रहा। एक्मा के अध्यक्ष रतन कपूर ने कहा, ‘नोटबंदी की चुनौतियों व जीएसटी के कार्यान्वयन को लेकर अनिश्चितता के बावजूद वाहन उत्पादन मजबूत रहा। इस लिहाज से वाहन कलपुर्जा उद्योग का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा।’ उन्होंने कहा कि 25.6 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ आफ्टर बाजार चमकता हुआ खंड रहा। उद्योग परिदृश्य पर कपूर ने कहा, 'हमारा मानना है कि वाहन उद्योग का प्रौद्योगिकीय कार्यांतरण अनिवार्य है जो कि अनुसंधान व विकास तथा बौद्धिक संपदा सृजन में निवेश की मांग करता है।
एक्मा के महानिदेशक विन्नी मेहता ने कहा कि यह उद्योग फिलहाल 2020 तक बीएस चार से बीएस छह मानकों की तैयार कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए न केवल प्रौद्योगिकी में भारी निवेश करना होगा बल्कि लोगों को कौशल संपन्न भी करना होगा। वाहन बनाने वाली कंपनियों को वाहन कलपुर्जों के वितरण में हिस्से की बात की जाए तो एक्मा के अनुसार 49 प्रतिशत कलपुर्जे यात्री वाहनों, 22 प्रतिशत दुपहिया वाहनों को, 11 प्रतिशत मझौले व भारी वाणिज्यिक वाहनों को तथा आठ प्रतिशत हल्के वाणिज्यिक वाहनों को भेजे गए।
अन्य न्यूज़