चालू वित्त वर्ष में दो प्रतिशत रह सकती है भारत की आर्थिक वृद्धिर, तीन दशक में सबसे कम

India economic growth

इंडिया रेटिंग्स ने भी अपना अनुमान 5.5 प्रतिशत से घटाकर 3.6 प्रतिशत कर दिया है। मूडीज ने भी भारत की जीडीपी की वृद्धि दर का अनुमान वर्ष 2020 के लिये पिछले सप्ताह ही 5.3 प्रतिशत से घटाकर 2.5 कर दिया था।

नयी दिल्ली। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने अन्य प्रतिस्पर्धी रेटिंग एजेंसियों तथा एशियाई विकास बैंक (एडीबी) जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्त संगठनों के सुर में सुर मिलाते हुए 2020-21 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटा दिया। फिच रेटिंग्स ने शुक्रवार को कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2020-21 में आर्थिक सुधारों के बाद यानी तीन दशक के निचले स्तर पर आ सकती है। फिच ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण आ रहे अवरोधों के चलते 2020-21 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर महज दो प्रतिशत रह सकती है। कोरोना वायरस के संक्रमण से अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान को लेकर एडीबी, एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स,मूडीज और इंडिया रेटिंग्स ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में कटौती की है। एडीबी के अनुसार भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2020-21 में चार प्रतिशत पर आ सकती है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भी 5.2 प्रतिशत के पिछले पूर्वानुमान को और घटाकर 2020-21 में वृद्धि दर के 3.5 प्रतिशत रहने की आशंका व्यक्त की है। इंडिया रेटिंग्स ने भी अपना अनुमान 5.5 प्रतिशत से घटाकर 3.6 प्रतिशत कर दिया है। मूडीज ने भी भारत की जीडीपी की वृद्धि दर का अनुमान वर्ष 2020 के लिये पिछले सप्ताह ही 5.3 प्रतिशत से घटाकर 2.5 कर दिया था। 

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ये अनुमान वित्त वर्ष 2019-20 में पांच प्रतिशत वृद्धि दर रहने के अनुमान के मुकाबले लगाये गये हैं। वर्ष 2019 कैंलेंडर वर्ष की यदि बात की जाये तो भारत की वृद्धि दर पांच प्रतिशत रही है। फिच रेटिंग्स ने एक बयान में कहा, ‘‘फिच को इस साल वैश्विक मंदी की आशंका है और मार्च 2021 में खत्म हो रहे वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर के अनुमानों को घटाकर दो प्रतिशत कर दिया गया है।’’ इससे पहले फिच ने भारत के वृद्धि अनुमानों को घटाकर 5.1 प्रतिशत कर दिया था, जिसे अब और घटा दिया गया है। राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान के प्राध्यापक एन.आर.भानुमूर्ति ने कहा कि मौजूदा बंद से भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति और खराब होगी। उन्होंने कहा कि आर्थिक सुधारों के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे कम वृद्धि हासिल कर सकती है। हालांकि, एडीबी ने अपने प्रमुख प्रकाशन- एशियाई विकास परिदृश्य (एडीओ) में कहा कि व्यापक आर्थिक बुनियाद मजबूत होने से भारत अगले वित्त वर्ष में जोरदार वापसी करेगा। एडीबी के अध्यक्ष मसात्सुगु असाकावा ने कहा, ‘‘कई बार काफी चुनौतीपूर्ण समय का सामना करना पड़ता है।

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कोविड-19 से विश्वभर में लोगों की जिंदगियां प्रभावित हुई हैं और उद्योग एवं अन्य आर्थिक गतिविधियां बाधित हो रही हैं।’’ बैंक ने अपने ‘एशियन डेवलपमेंट आउटलुक’ (एडीओ) 2020 में कहा कि भारत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)की वृद्धि अगले वित्त वर्ष में 6.2 प्रतिशत तक मजबूत होने से पहले वित्त वर्ष 2020- 21 में घटकर चार फीसदी रह सकती है। कोरोना वायरस महामारी से दुनिया भर में 50,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 10 लाख से अधिक संक्रमित हैं। भारत में इस बीमारी से 50 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है और 2,000 से अधिक संक्रमित हैं। एडीबी की मुख्य अर्थशास्त्री यासुयाकी स्वादा ने कहा कि कोविड-19 महामारी से वैश्विक वृद्धि प्रभावित हुई है और भारत भी इससे अछूता नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत की व्यापक आर्थिक बुनियाद मजबूत है, और एडीबी को उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था में जोरदार सुधार होगा। उन्होंने कहा कि भारत ने महामारी का मुकाबला करने के लिए तेजी से कदम उठाए। एडीबी ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी से वैश्विक अर्थव्यवस्था को 4100 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। ऐसा अमेरिका, यूरोप और अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के इसकी चपेट में आने के चलते होगा।

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