दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है भारत : जेटली

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[email protected] । Aug 30 2018 5:45PM

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि भारत अगले साल ब्रिटेन को पछ़ाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

नयी दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि भारत अगले साल ब्रिटेन को पछ़ाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। उन्होंने कहा कि देश में बढ़ती खपत तथा मजबूत आर्थिक गतिविधियों की वजह से हम ब्रिटेन से आगे निकल जाएंगे। उन्होंने यह भी विश्वास जताया कि अगले 10 से 20 साल में भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जाएगा।

जेटली ने यहां भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के कार्यालय भवन का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘‘इस साल आकार के लिहाज से हमने फ्रांस को पीछे छोड़ा है। अगले साल हम ब्रिटेन को पीछ़े छोड़ देंगे। इस तरह हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे।’’ वर्ष 2017 के अंत तक भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2,597 अरब डॉलर था वहीं फ्रांस का जीडीपी 2,582 अरब डॉलर था।

इस तरह भारत ने फ्रांस को पीछे छोड़ा था। हालांकि, प्रति व्यक्ति जीडीपी में फ्रांस की तुलना में भारत काफी पीछे है। फ्रांस का प्रति व्यक्ति जीडीपी भारत से 20 गुना अधिक है। इसकी वजह भारत की अधिक आबादी है। भारत की आबादी जहां 134 करोड़ है वहीं फ्रांस की सिर्फ 6.7 करोड़। वर्ष 2017 के अंत तक ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था का आकार 2,940 अरब डॉलर था। वित्त मंत्री ने कहा कि दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि की रफ्तार धीमी है। ऐसे में भारत में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ने की क्षमता है।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘हम औसतन 7-8 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं। ऐसे में हमें उन्हें पीछे छोड़ने सकते हैं। निश्चित रूप से 2030-40 तक भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में होगी।’’ जेटली ने कहा, ‘‘अगले 10 से 20 साल में आर्थिक गतिविधियों में विस्तार के साथ प्रतिस्पर्धा आयोग की भूमिका भी बढ़ेगी। ऐसे में बार और विशेषज्ञ स्तर तक प्रशिक्षित पेशेवरों की जरूरत होगी। ऐसे लोगों की नहीं जो स्थिति का सही तरीके से पता नहीं लगा सकते।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ेगा। कई लोग ऐसे होंगे जो उचित बाजार नियमनों का पालन नहीं करेंगे, सांठगाठ में शामिल रहेंगे, मजबूत स्थिति का दुरुपयोग करेंगे। ऐसे में सभी विलय एवं अधिग्रहणों के लिए नियामकीय तंत्र की जरूरत होगी। ‘‘इन बदलावों का असर बड़ा होगा और इनका बाजारों पर प्रभाव भी बड़ा होगा।’’ 

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