घर खरीदारों की चाह, कर्ज में फंसी कंपनी जेपी इंफ्रा को खरीदे एनबीसीसी

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[email protected] । Nov 24 2019 12:35PM

धर खरीदारों के कानूनी सलाहकार का कहा है कि एनबीसीसी को कम अंक इस लिए मिला है क्यों कि मूल्यांकन एजेंसी ने एनबीसीसी की पेशकश के दो प्रस्तावों पर गौर नहीं किया है।

नयी दिल्ली। जेपी इंफ्राटेक के घर खरीदार चाहते हैं कि जारी दिवाला एवं ऋणशोधन प्रक्रिया में सरकारी कंपनी एनबीसीसी कर्ज में फंसी कंपनी को खरीद ले। उन्होंने कर्जदाताओं की समिति में शामिल अपने प्रतिनिधि को पत्र लिखकर एनबीसीसी द्वारा रखे गए प्रस्ताव पर और बातचीत करने को कहा है। कर्जदाताओं की समिति में कुलदीप वर्मा घर खरीदारों के प्रतिनिधि हैं। घर खरीदारों के नौ पंजीकृत संगठनों की वकालत करने वाली तथा उन्हें परामर्श देने वाली कानूनी सेवा कंपनी पीएंडए लॉ ऑफिसेज ने वर्मा को पत्र लिखकर इस आशय का निर्देश दिया है।

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पत्र में कहा गया है कि घर खरीदार एकमत से चाहते हैं कि एनबीसीसी जेपी इंफ्रा को खरीद ले। अत: आपको निर्देश दिया जाता है कि एनबीसीसी के साथ चर्चा करें ताकि संशोधित बोली पर पहले मतदान हो सके। पीएंडए लॉ ऑफिसेज ने इस बात का भी उल्लेख किया है कि जेपी इंफ्रा को खरीदने की दौड़ में शामिल सुरक्षा रियल्टी को दोनों प्रस्तावों की समीक्षा के परिणाम के आधार पर मतदान प्रक्रिया के लिये पहले रखा जा सकता है।

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सूत्रों ने बताया कि प्राथमिक मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा रियल्टी को 100 में से 27 अंक तथा एनबीसीसी को 100 में से 20 अंक मिले हैं। खरीदारों ने वर्मा से कहा है कि एनबीसीसी से बातचीत के दौरान यह सुनिश्चित किया जाए कि (कब्जे में विलंब के लिए) उनको मुआवजा मिले और निर्माण में देरी देरी के एवज में कंपनी की ओर से मकानों लागत में कोई बढोतरी न की जाए। धर खरीदारों के कानूनी सलाहकार का कहा है कि एनबीसीसी को कम अंक इस लिए मिला है क्यों कि मूल्यांकन एजेंसी ने एनबीसीसी की पेशकश के दो प्रस्तावों पर गौर नहीं किया है।

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इनमें बिना दावे के पड़े फ्लैटों की बिक्री का आधा पैसा तथा 858 एकड़ जमीन की बिक्री का 75 प्रतिशत धन जयप्रकाश एसोसिएट द्वारा जेपी इंफ्रा को लौटाया जा सकता है। मूल्यांकन एजेंसी ने कहा कि इन दोनों प्रस्तावों के लागू होने से कितनी आय मिलेगी इसका मूल्यांकन कठिन है। इन दो प्रावधानों से कर्जदाताओं को एनबीसीसी से 2000-2500 करोड़ रुपये मिल सकते हैं। हालांकि मूल्यांकन एजेंसी का कहना है कि जमीन का मूल्यांकन मुश्किल है तथा बिना दावा वाले फ्लैटों की संख्या स्पष्ट नहीं है।

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