Hindenburg report: अडानी समूह के शेयरों में 7% की गिरावट, देखने को मिला बड़ा असर

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रितिका कमठान । Aug 12 2024 11:46AM

इस फंड में निवेश करने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि मुख्य निवेश अधिकारी अनिल आहूजा, धवल के बचपन के दोस्त हैं, जो स्कूल और आईआईटी दिल्ली से हैं और सिटीबैंक, जेपी मॉर्गन और 3आई ग्रुप पीएलसी के पूर्व कर्मचारी होने के नाते, कई दशकों का मजबूत निवेश करियर रहा है।

अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में इस बार सेबी चीफ मधबी बुच को लेकर कई खुलासे किए है। रिपोर्ट में दावा किया कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की बरमूडा और मॉरीशस स्थित ऑफशोर फंडों में हिस्सेदारी है, जिसके बाद अडानी समूह के शेयरों में 7% तक की गिरावट आई। 

शेयरों में गिरावट
अदाणी समूह की सूचीबद्ध सभी 10 कंपनियों के शेयर में सोमवार को शुरुआती कारोबार में गिरावट दर्ज की गई। अदाणी एनर्जी के शेयर में सबसे अधिक 17 प्रतिशत की गिरावट आई। अमेरिकी शोध एवं निवेश कंपंनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट आई। बीएसई सेंसेक्स पर सूचीबद्ध अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस में 17 प्रतिशत, अदाणी टोटल गैस में 13.39 प्रतिशत, एनडीटीवी में 11 प्रतिशत और अदाणी पावर में 10.94 प्रतिशत की गिरावट आई। अदाणी ग्रीन एनर्जी के शेयरों में 6.96 प्रतिशत, अदाणी विल्मर में 6.49 प्रतिशत, अदाणी एंटरप्राइजेज में 5.43 प्रतिशत, अदाणी पोर्ट्स में 4.95 प्रतिशत, अंबुजा सीमेंट्स में 2.53 प्रतिशत और एसीसी में 2.42 प्रतिशत की गिरावट आई।

 

ऐसी है रिपोर्ट  

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन निधियों का उपयोग गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी ने अडानी समूह में महत्वपूर्ण शेयरों को खरीदने और उनका व्यापार करने के लिए किया था। वहीं हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों पर सेबी प्रमुख ने कहा कि हिंडेनबर्ग द्वारा संदर्भित फंड में निवेश 2015 में किया गया था, जब वह और उनके पति सिंगापुर में निजी नागरिक के रूप में रह रहे थे, लगभग दो साल पहले वह सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में शामिल हुई थीं।

उन्होंने कहा, "इस फंड में निवेश करने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि मुख्य निवेश अधिकारी अनिल आहूजा, धवल के बचपन के दोस्त हैं, जो स्कूल और आईआईटी दिल्ली से हैं और सिटीबैंक, जेपी मॉर्गन और 3आई ग्रुप पीएलसी के पूर्व कर्मचारी होने के नाते, कई दशकों का मजबूत निवेश करियर रहा है।" 

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि निष्क्रिय हो रही दो परामर्श कंपनियाँ “सेबी को उनके खुलासे का स्पष्ट हिस्सा थीं” और 2019 में जब उनके पति ने हिंदुस्तान यूनिलीवर छोड़ दिया, तो उन्होंने इन दो कंपनियों के ज़रिए अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, “जब सिंगापुर की इकाई की शेयरधारिता धवल के पास चली गई, तो इसका एक बार फिर खुलासा किया गया, न केवल सेबी के सामने, बल्कि सिंगापुर के अधिकारियों और भारतीय कर अधिकारियों के सामने भी।”

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