पेट्रोल और डीजल की अधिक खपत से राजस्व को प्रभावित किए बिना हो सकती है उपकर में कटौती
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि ऐसे में उपकर संग्रह के जरिए सरकार को अतिरिक्त 40,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा। इक्रा ने कहा कि यदि सरकार 40,000 करोड़ रुपये के इस अतिरिक्त उपकर संग्रह को छोड़ देती है, तो इससे पेट्रोल और डीजल के दाम में 4.5 रुपये प्रति लीटर तक कमी हो सकती है।
मुंबई। घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा ने शुक्रवार को कहा कि पेट्रोल और डीजल की खपत में बढ़ोतरी के कारण सरकार वित्त वर्ष 2020-21 के राजस्व संग्रह को प्रभावित किए बिना ईंधन के उपकर में 4.5 रुपये प्रति लीटर की कटौती कर सकती है, जिससे महंगाई के दबाव को कम करने में मदद मिलेगी। इक्रा ने कहा कि 2021-22 में पेट्रोल की खपत में 14 प्रतिशत और डीजल में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि ऐसे में उपकर संग्रह के जरिए सरकार को अतिरिक्त 40,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा। इक्रा ने कहा कि यदि सरकार 40,000 करोड़ रुपये के इस अतिरिक्त उपकर संग्रह को छोड़ देती है, तो इससे पेट्रोल और डीजल के दाम में 4.5 रुपये प्रति लीटर तक कमी हो सकती है, जिससे मुद्रास्फीति की स्थिति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
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गौरतलब है कि मई में मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के तय दायरे से आगे निकल गई है। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘ईंधन की अधिक खपत से उन पर लगाए गए अप्रत्यक्ष करों में वृद्धि होगी, जिसके आधार पर पिछले साल बढ़ाए गए उपकर में आंशिक वापसी की जा सकती है।’’ उन्होंने कहा कि एजेंसी की गणना बताती है कि वित्त वर्ष 2021-22 में कुल उपकर संग्रह को बीते वित्त वर्ष के स्तर पर बनाए रखने के साथ ही पेट्रोल और डीजल पर लगाए गए उपकर को 4.5 रुपये प्रति लीटर कम किया जा सकता है।
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