सरकारी बैंकों में डाली पूंजी कर्ज वृद्धि को बढ़ावा देने को काफी नहीं: फिच
बैंकों के पुनर्पूंजीकरण समेत अन्य कदमों से इसमें सुधार तो हुआ है लेकिन सरकारी बैंकों की वृद्धि के लिए जरूरी पूंजी की कमी को पूरी तरह से दूर नहीं किया गया है।
नयी दिल्ली। सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी)में सात अरब डॉलर (करीब 48,000 करोड़ रुपये)की राशि डालने से कर्ज वृद्धि को ज्यादा मदद नहीं मिलेगी। रेटिंग एजेंसी फिच ने यह बात कही। फिच का अनुमान है कि न्यूनतम पूंजीगत मानकों को पूरा करने के लिए बैंकों में 23 अरब डॉलर (करीब 1.6लाख करोड़ रुपये) की राशि और डालनी पड़ेगी।
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एजेंसी ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र को लेकर भारतीय अधिकारियों का रुख हाल के महीनों में कर्ज वृद्धि पर केन्द्रित हो गया है। बैंकों के पुनर्पूंजीकरण समेत अन्य कदमों से इसमें सुधार तो हुआ है लेकिन सरकारी बैंकों की वृद्धि के लिए जरूरी पूंजी की कमी को पूरी तरह से दूर नहीं किया गया है।
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फिच ने भारत सरकार के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण से तेज वृद्धि के आसार नहीं शीर्षक से लिखी रिपोर्ट में कहा, भारत सरकार ने 21 फरवरी को घोषणा की है कि वह पुनर्पूंजीकरण योजना के तहत सरकारी बैंकों में 7 अरब डॉलर की पूंजी डालेगी। ये पूंजी बैंकों को न्यूनतम नियामकीय जरूरतें पूरा करने में तो मदद करेगी लेकिन कर्ज वृद्धि में तेजी का समर्थन करने के लिए यह पूंजी पर्याप्त नहीं होगी। फिच ने कहा कि इस पुनर्पूंजीकरण का बड़ा हिस्सा अभी भी परिसंपत्ति वृद्धि का समर्थन करने के बजाय नियामकीय खामियों को दूर करने में काम आएगा। एजेंसी ने कहा कि सरकार के बैकों में पूंजी डालने से इलाहाबाद बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक भारतीय रिजर्व बैंक की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई की रूपरेखा से बाहर होने में मदद करेगा।
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