बंगाल के पटाखा कारोबारियों का दावा, हरित पटाखों की मांग संतोषजनक नहीं
कोविड-19 महामारी की वजह से पिछले दो साल में कारोबार के फीका रहना के बाद पश्चिम बंगाल में पटाखा कारोबारी इस बार दीपावली के मौके पर अच्छे व्यापार की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि अभी हरित पटाखों की मांग ने जोर नहीं पकड़ा है।
कोविड-19 महामारी की वजह से पिछले दो साल में कारोबार के फीका रहना के बाद पश्चिम बंगाल में पटाखा कारोबारी इस बार दीपावली के मौके पर अच्छे व्यापार की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि अभी हरित पटाखों की मांग ने जोर नहीं पकड़ा है। कोलकाता में बाजी बाजार आयोजन समिति के एक पदाधिकारी ने कहा कि केवल हरित पटाखों की अनुमति मिलने और इस साल काली पूजा के दौरान चक्रवात की चेतावनी समेत कई कारकों के कारण बिक्री में कोई तेजी देखने को नहीं मिली है।
उन्होंने कहा कि महामारी से पहले दीपावली के दौरान तल्लाह पार्क बाजी बाजार में रोजाना 2,000 से 2,500 लोग आते थे। वहीं इस साल 20 अक्टूबर को बाजार खुलने के बाद से लगभग 1,000 से 1,500 लोग रोजाना आ रहे हैं। तल्लाह पार्क ग्रीन बाजी बाजार के कोषाध्यक्ष सरोजित एवन ने पीटीआई-को बताया कि यहां करीब 44 स्टॉल लगाए गए हैं। प्रत्येक स्टॉल प्रतिदिन औसतन एक लाख रुपये की बिक्री दर्ज कर रहा है, जो 2018-19 में इस अवधि के दौरान दो लाख रुपये के दैनिक कारोबार से कम है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम केवल केंद्रीय एजेंसियों द्वारा प्रमाणित हरित पटाखों की बिक्री कर रहे हैं। लेकिन नेटवर्क की समस्या के कारण, क्यूआर कोड को स्कैन करने और उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा प्रमाणित पत्र को डाउनलोड करने में समय लगता है। यह ग्राहकों को परेशान करता है क्योंकि उन्हें गैर हरित पटाखों को खरीदने के बारे में पुलिस के सवालों का सामना करना पड़ सकता है।’’
एवन ने कहा कि हरित पटाखों की ऊंची कीमतों के कारण भी ग्राहक उत्पाद खरीदने को लेकर सतर्क रहते हैं और यह समग्र बिक्री के आंकड़े में दिखाई देता है। इसके अलावा सारा बांग्ला आतसबाज़ी उन्नयन समिति के चेयरमैन बबला रॉय ने कहा, ‘‘शहर के तीन बाजी बाजारों में से किसी में भी उम्मीद के मुताबिक बिक्री नहीं हुई है।
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