विश्व बैंक रैंकिंग में भारत ने मारी बाजी, क्या है चीन-पाक के हाल?
विश्वबैंक की रपट में कहा गया है कि कारोबार सुगमता को बढ़ाने वाले सभी क्षेत्रों में लक्षित प्रशासनिक सुधार किए जाने चाहिए। इसमें कर भुगतान पर विशेष ध्यान देना, सीमापार व्यापार और दिवाला समाधान शामिल हैं।
दिल्ली। कारोबार सुगमता के मामले में पड़ोसी मुल्क चीन 31वें और पाकिस्तान 108वें स्थान पर है। विश्वबैंक ने अपनी रपट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इंन इंडिया’ पहल का मुख्य लक्ष्य विदेशी निवेश को आकर्षित करना, निजी क्षेत्र विशेषकर विनिर्माण को और देश की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है। सरकार ने 2015 में भारत को 2020 तक 50 सर्वाधिक कारोबार सुगम देशों में शामिल कराने का लक्ष्य रखा है।
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इस संबंध में एक सवाल के जवाब में जानकोव ने कहा कि सूची में ऊपर चढ़ने की प्रतिस्पर्धा कड़ी हुई है लेकिन भारत अगले एक दो साल में कारोबार सुगमता सूची में शीर्ष 50 देशों में शामिल होने के सही रास्ते पर है। उन्होंने कहा कि भारत की रैंकिंग 50 से नीचे या 25 के अंदर आ सकती है। लेकिन इसके लिए सरकार को अब महत्वाकांक्षी आर्थिक सुधारों की घोषणा और उन्हें लागू करना शुरू करना होगा। इन सुधारों का जमीन पर असर दिखने में कुछ साल का वक्त लगेगा।
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विश्वबैंक की रपट में कहा गया है कि कारोबार सुगमता को बढ़ाने वाले सभी क्षेत्रों में लक्षित प्रशासनिक सुधार किए जाने चाहिए। इसमें कर भुगतान पर विशेष ध्यान देना, सीमापार व्यापार और दिवाला समाधान शामिल हैं। कारोबार सुगमता सूची 2016 में देश 130वें स्थान पर था और अब 2020 में यह 63वें स्थान पर है। यह बहुत लंबी छलांग है।
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विश्वबैंक के अधिकारी ने कहा कि भारत की रैकिंग में इस साल सुधार की एक बड़ी वजह दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता को सफलतापूर्वक लागू करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 2014 में कुर्सी संभाली थी तब इस सूची में देश की रैंकिंग 142 थी। चार साल के आर्थिक सुधारों के बाद 2018 की कारोबार सुगमता सूची में भारत शीर्ष 100 देशों में शामिल हो गया।
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