शांत स्वभाव के शिव नाडर ने गैराज से की थी बड़े सपने की शुरुआत, स्टार्टअप से ग्लोबल IT कंपनी का हासिल किया रुतबा
एचसीएल कंपनी की शुरुआत एक गैराज में महज 1.87 लाख रुपए में हुई थी। उस वक्त एचसीएल को उत्तर प्रदेश सरकार का साथ मिला था। क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार टेक्नॉलजी के क्षेत्र में स्टार्टअप्स को मजबूती देना चाहती थी। इसी वजह से एचसीएल का मेन ऑफिस नोएडा में है।
सपने वो नहीं होते हैं जो नींद में देखे जाते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते हैं। यह बात मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने कही थी। लेकिन एक व्यक्ति ऐसे भी हैं जिन्होंने बिल्कुल वैसा ही सपना देखा जैसी बात कलाम साहब ने की थी। 9 से 5 की नौकरी से बोर होकर एक व्यक्ति ने 7 दोस्तों के साथ मिलकर अपनी एक कंपनी खड़ा कर बैठा फिर भी वो ठहरने के लिए तैयार नहीं हुआ और कुछ कर गुजरने का जज्बा अभी भी उसके भीतर मौजूद था, ऐसे में उस व्यक्ति ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक और कंपनी खड़ी कर दी, जिसमें आज 1.5 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। हम बात कर रहे हैं भारत के प्रमुख उद्यमी एवं समाजसेवी शिव नाडर की…
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शिव नाडर ने अपना करियर पुणे में वॉलचंद ग्रुप कूपर इंजीनियरिंग के साथ शुरू किया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली की एक कपड़ा मिल में काम किया, जहां पर उनकी सात लोगों से मुलाकात हुई, जो इनकी तरह ही बड़े सपने देखा करते थे। ऐसे में सभी ने मिलकर एक कंपनी की शुरुआत की। 1975 में उन्होंने माइक्रोकॉप कंपनी बनाई और उसे बाद में टेलीडिजिटल कैलकुलेटर को बेच दिया। इसके बाद उन्होंने 1976 में अपने दोस्त अजय चौधरी (पूर्व अध्यक्ष, एचसीएल), अर्जुन मल्होत्रा (सीईओ और अध्यक्ष, हेडस्ट्रांग), सुभाष अरोड़ा, योगेश वैद्य, एस रमन, महेंद्र प्रताप और डीएस पुरी के साथ मिलकर HCL की स्थापना की।
आपको बता दें कि एचसीएल कंपनी की शुरुआत एक गैराज में महज 1.87 लाख रुपए में हुई थी। उस वक्त एचसीएल को उत्तर प्रदेश सरकार का साथ मिला था। क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार टेक्नॉलजी के क्षेत्र में स्टार्टअप्स को मजबूती देना चाहती थी। इसी वजह से एचसीएल का मेन ऑफिस नोएडा में है।
सिंगापुर में खुली पहली ब्रांच
शिव नाडर ने कोई छोटा सपना नहीं देखा था लेकिन उसे पूरा करने के लिए जोश, जुनून और जज्बा उनके भीतर कूट-कूट कर भरा हुआ था। वो अपने काम को सबसे ज्यादा महत्व देते थे और उन्हें कंधे से कंधा मिलकर चलने वाले 7 दोस्त भी मिले। जिसकी बदौलत आज कंपनी बुलंदियों पर है। कंपनी की स्थापना के 4 साल बाद 1980 में एचसीएल की पहली ब्रांच सिंगापुर में खुली। इसी के साथ ही एचसीएल अंतरराष्ट्रीय कंपनी बन गए और पहले साल 10 लाख रुपए की कमाई की।
कंप्यूटर बनाने का देखा था सपना
80 के दशक में आईबीएम जैसी कंपनी भारत से चली गई थी और उसने एचसीएल को कंप्यूटर मुहैया कराना भी बंद कर दिया था। ऐसे में शिव नाडर ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर अपना कंप्यूटर बनाया था। यह वो दौर था जब एचसीएल ने देश में क्रांति लाई थी।
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कर्मचारियों पर करते हैं भरोसा
शिव नाडर को पता है कि कर्मचारियों को कैसे निखारना है। वो बेहद ही सरल स्वभाव के इंसान हैं। उन्होंने अपने कर्मचारियों का हमेशा मनोबल बढ़ाने का काम किया है। इतना ही नहीं कर्मचारियों के बेहतर प्रदर्शन पर उन्हें गिफ्ट्स भी देते हैं और विदेश घूमने के लिए टिकट भी मुहैया कराते हैं। शिव नाडर अपनी कमाई का 10वां हिस्सा दान-पुण्य के काम में लगाते हैं। इसके अलावा उन्होंने कई सारे कॉलेज और शिव नाडर यूनिवर्सिटी भी खोली है।
शिव नाडर के नेतृत्व में कंपनी ने स्टार्टअप से ग्लोबल IT कंपनी का रुतबा हासिल किया। इतना ही नहीं फिस्कल ईयर 2021 में कंपनी की आमदनी 10 अरब डॉलर पहुंच गई। एचसीएल की 60 फीसदी हिस्सेदारी शिव नादर के पास है।
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