DBS बैंक का बड़ा अनुमान, दूसरी छमाही में बनी रह सकती है आर्थिक सुस्ती
रिजर्व बैंक की सर्वेक्षण रिपोर्टों में आय और रोजगार की स्थिति को लेकर उपभोक्ता धारणा में गिरावट का रुख परिलक्षित होता है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रह भी मांग में कमी को दर्शाते हैं।
सिंगापुर। भारत की आर्थिक वृद्धि दर में आने वाले महीनों में खपत क्षेत्र की कमजोरी के चलते दूसरी छमाही के दौरान आर्थिक सुस्ती और गहरा सकती है।सिंगापुर के डीबीएस बैंक ने सोमवार को यह अनुमान व्यक्त किया। डीबीएस ने अपनी दैनिक आर्थिक रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2019 में अप्रैल से जून के पांच प्रतिशत के मुकाबले जुलाई से सितंबर में साल दर साल आधार पर वास्तविक जीडीपी वृद्धि 4.3 प्रतिशत रह सकती है।
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बैंक ने कहा है कि निजी क्षेत्र में गतिविधियों के कमजोर रहने के साथ साथ आर्थिक वृद्धि के लिहाज से अहम माने जाने वाले खपत क्षेत्र में सुस्ती बढ़ सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नई परियोजनाओं की घोषणा की रफ्तार कई साल के निम्न स्तर पर पहुंच गई है।दूसरी तरफ मध्यवर्ती और पूंजीगत सामानों, टिकाऊ उपभोक्ता क्षेत्र की कमजोर मांग की वजह से उत्पादन की रफ्तार भी धीमी पड़ी है।
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रिजर्व बैंक की सर्वेक्षण रिपोर्टों में आय और रोजगार की स्थिति को लेकर उपभोक्ता धारणा में गिरावट का रुख परिलक्षित होता है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रह भी मांग में कमी को दर्शाते हैं। बैंकों और गैर- बैंकिंग क्षेत्र में रिण वृद्धि भी पहले के मुकाबले धीमी पड़ी है। बैंकों ने कर्ज देने के मामले में छानबीन और दस्तावेजों की पड़ताल में सख्ती बरतनी शुरू की है।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थिति में संतुलन लाने के प्रयासस्वरूप वर्ष के शुरुआती महीनों में आम चुनाव की वजह से खर्च आवंटन धीमा रहने के बाद अब वित्तीय खर्च में तेजी आ सकती है। हालांकि, व्यापार की यदि बात की जाये तो निर्यात की सुस्ती के साथ गैर-तेल और गैर- स्वर्ण आयात की गिरावट से संतुलन बना रह सकता है। जुलाई- सितंबर तिमाही के जीडीपी वृद्धि के आंकड़े इसी सप्ताह जारी होने हैं।
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