दास ने कहा कि वैश्विक झटकों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत है
दास ने 26वीं वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट की भूमिका में लिखा है कि दुनिया के ज्यादातर देशों में मौद्रिक नीति सख्त किये जाने के साथ अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था चुनौतीपूर्ण बनी हुई है और वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को कहा कि वैश्विक झटकों और चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती की तस्वीर पेश कर रही है और सभी संबद्ध नियामक वित्तीय स्थिरता बनाये रखने के लिये उपयुक्त कदम उठाने को पूरी तरह से तैयार हैं। दास ने 26वीं वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट की भूमिका में लिखा है कि दुनिया के ज्यादातर देशों में मौद्रिक नीति सख्त किये जाने के साथ अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था चुनौतीपूर्ण बनी हुई है और वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल है।
उन्होंने कहा कि खाद्य और ऊर्जा आपूर्ति तथा कीमतों पर दबाव है। कई उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में कर्ज को लेकर दबाव की स्थिति बननी शुरू हो गयी है। प्रत्येक अर्थव्यवस्था विभिन्न चुनौतियों से जूझ रही है। दास ने कहा, ‘‘ऐसे वैश्विक झटकों और चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती की तस्वीर पेश कर रही है। वित्तीय स्थिरता बनी हुई है। घरेलू वित्तीय बाजार स्थिर और पूरी तरह से काम कर रहे हैं। बैंक व्यवस्था मजबूत बनी हुई है और उनमें पर्याप्त पूंजी है।’’
उन्होंने कहा कि विकट वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत के बाह्य खाते बेहतर और व्यावहारिक बने हुए हैं। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रबंधन के प्रमुख मुद्दे अगर कोई अप्रत्याशित और ताजा झटके आते हैं, तो उससे निपटना, वित्तीय प्रणाली को और मजबूत करना, वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नवान्मेष का पूरा उपयोग करना और वित्तीय समावेश को मजबूत बनाना नियामकों और नीति निर्माताओं की प्राथमिकता में बना रहेगा।
उन्होंने कहा कि भारत 2023 में जी-20 के अध्यक्ष के रूप में वैश्विक मंच पर प्रमुख भूमिका निभाने को लेकर बेहतर स्थिति में है। एक समूह के रूप में जी-20 के लिये सबसे बड़ी चुनौती बहुपक्षवाद को फिर से प्रभावी बनाना है। दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत वृहत आर्थिक बुनियाद के बावजूद केंद्रीय बैंक वैश्विक जोखिमों के चलते अस्थिरता की आशंका को भली-भांति पहचानता है। उन्होंने कहा, ‘‘जब भी आवश्यक हो, रिजर्व बैंक और अन्य वित्तीय नियामक भारतीय अर्थव्यवस्था के हित में उचित हस्तक्षेप के माध्यम से वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और सुदृढ़ता सुनिश्चित करने के लिये सतर्क और तैयार हैं।
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