शुल्क-मूल्य, मांग बढ़ने से बीते सप्ताह सीपीओ, पामोलीन, सोयाबीन,सरसों में सुधार

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विदेशों में तेजी के रुख के बीच सरकार द्वारा आयातित खाद्य तेलों के शुल्क-मूल्य में वृद्धि के अलावा स्थानीय मांग बढ़ने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सीपीओ और सोयाबीन सहित सरसों तेल तिलहन कीमतों में सुधार दर्ज किया गया।

नयी दिल्ली।  विदेशों में तेजी के रुख के बीच सरकार द्वारा आयातित खाद्य तेलों के शुल्क-मूल्य में वृद्धि के अलावा स्थानीय मांग बढ़ने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सीपीओ और सोयाबीन सहित सरसों तेल तिलहन कीमतों में सुधार दर्ज किया गया। बीते सप्ताह सरकार ने सीपीओ के आयात शुल्क में 150 रुपये और सोयाबीन डीगम के आयात शुल्क मूल्य में 60 रुपये प्रति क्विन्टल की बढ़ोतरी की है। इस वृद्धि के बाद विदेशों में इन तेलों के भाव बढ़ने से यहां इन तेलों के भाव मजबूत हो गये।

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बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में सोयाबीन तेल का भाव 1,420 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1,460 डॉलर प्रति टन हो गया जिससे देश के घरेलू बाजारों में भी इन तेलों के भाव पर्याप्त लाभ के साथ बंद हुए। इसी तरह मलेशिया में सीपीओ का भाव 1,250 डॉलर से बढ़कर 1,300 डॉलर प्रति टन हो गया जिससे यहां सीपीओ और पामोलीन तेलों के भाव मजबूत हुए। उन्होंने कहा कि सामान्य कारोबार होने के बावजूद सोयाबीन दाना और लूज के भाव अपने पिछले सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताहांत में 50-50 रुपये की हानि दर्शाते बंद हुए। सूत्रों ने बताया कि गुजरात में मूंगफली की गर्मी की फसल की मंडियों में आवक बढ़ने तथा निर्यात मांग कमजोर होने के कारण मूंगफली तेल तिलहनों की कीमतें हानि दर्शाती बंद हुई। दूसरी ओर आयात शुल्क मूल्य बढ़ाये जाने और मांग बढ़ने की वजह से सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में अच्छा लाभ दर्ज हुआ। उन्होंने कहा कि आयातित तेलों के मुकाबले सस्ता बैठने तथा सरसों तेल में कोई मिलावट न होने से देश में सरसों की मांग बढ़ी है।

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स्वास्थ्य के लिए बेहतर होने के कारण भी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं में सरसों तेल की मांग बढ़ रही है। मांग बढ़ने से सरसों तेल तिलहनों के भाव समीक्षाधीन सप्ताहांत में पर्याप्त लाभ दर्शाते बंद हुए। सूत्रों ने कहा कि देश में हमें तेल तिलहनों के मामले में जल्द से जल्द आत्मनिर्भरता हासिल करने पर जोर देना होगा जो देश की संप्रभुता को और मजबूत करेगा और आयात पर निर्भरता को समाप्त करेगा। ऐसा हर हिसाब से देश के लिए, यहां के किसानों के लिए फायदेमंद होगा। उनका कहना है कि तिलहन की खेती बढ़ाने से विदेशी मुद्रा की बचत और खल के निर्यात से कमाई के साथ साथ गेहूं, चावल और चीनी जैसी पानी का ज्यादा उपयोग करने वाली फसलों के अति उत्पादन और भारी सब्सिडी की समस्या कम करने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा सरकार को सोयाबीन की बिजाई पर भी विशेष ध्यान देना होगा जिसके उत्पादन में काफी बढ़ोतरी होने की संभावना है क्योंकि पहले अच्छी कीमत मिलने से किसान खुश हैं और इस बार सोयाबीन खेती का रकबा काफी बढ़ सकता है।

सरसों दाना का भाव 140 रुपये के सुधार के साथ 7,550-7,600 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया जो भाव उसके पिछले सप्ताहांत 7,405-7,460 रुपये प्रति क्विंटल था। सरसों दादरी तेल का भाव भी 125 रुपये सुधरकर 15,125 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया। सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी टिनों के भाव भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में मामूली लाभ दर्शाते बंद हुए। सोयाबीन के दागी फसलों की मांग घटने से सोयाबीन दाना और लूज के भाव में 50-50 रुपये की हानि दर्ज हुई जबकि आयात शुल्क मूल्य में बढ़ोतरी और विदेशों में मजबूती होने के कारण समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली और सोयाबीन इंदौर के भाव क्रमश: 50 रुपये और 100 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 16,000 रुपये और 15,500 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। दूसरी ओर सोयाबीन डीगम 14,500 रुपये प्रति क्विन्टल पर अपरिवर्तित बना रहा। निर्यात मांग घटने और स्थानीय मांग के प्रभावित होने की वजह से मूंगफली दाना 140 रुपये की गिरावट के साथ 6,295-6,340 रुपये, मूंगफली गुजरात 300 रुपये हानि के साथ 15,500 रुपये क्विन्टल तथा मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 40 रुपये की गिरावटके साथ 2,480-2,540 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

सप्ताह के दौरान सीपीओ के आयात शुल्क मूल्य में वृद्धि किये जाने के बाद देश में कच्चा पाम तेल (सीपीओ) का भाव 210 रुपये सुधरकर 12,660 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया। पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल के भाव भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 100 रुपये और 120 रुपये लाभ के साथ क्रमश: 14,550 रुपये और 13,570 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए। अन्य सभी तेल तिलहनों के भाव पूर्ववत बंद हुए।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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