अब मुमकिन नहीं होगी टैक्स चोरी, अथॉरिटीज के अधिकारों की समीक्षा करेगा सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने सभी उच्च न्यायालयों से कहा कि वे जीएसटी चोरी के मामलों में अग्रिम जमानत देते समय उसके पहले के आदेश को ध्यान में रखें जिसमे उसने तेलंगाना उच्च न्यायालय का फैसला बरकरार रखा है।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय माल एवं सेवा कर चोरी के आरोप में कर अधिकारियों द्वारा जीएसटी कानून के तहत किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के अधिकारों को चुनौती देने वाले प्रावधान पर विचार के लिये बुधवार को को सहमत हो गया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की अवकाश पीठ ने गिरफ्तारी के अधिकार संबंधी माल एवं सेवा कर कानून के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केन्द्र को नोटिस जारी किया।पीठ ने इसके साथ ही इस मामले को तीन न्यायाधीशों की पीठ को सौंप दिया है। पीठ ने कहा कि जीएसटी चोरी के आरोप में लोगों को अग्रिम जमानत देने के मामले में उच्च न्यायालय ने अलग अलग दृष्टिकोण अपनाया है। इसलिए इस कानून के तहत गिरफ्तारी के अधिकार के प्रावधान पर निर्णय की आवश्यकता है।
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पीठ ने सभी उच्च न्यायालयों से कहा कि वे जीएसटी चोरी के मामलों में अग्रिम जमानत देते समय उसके पहले के आदेश को ध्यान में रखें जिसमे उसने तेलंगाना उच्च न्यायालय का फैसला बरकरार रखा है। तेलंगाना उच्च न्यायालय ने कहा था कि ऐसे मामले में किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तारी से संरक्षण नहीं दिया जा सकता है। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने 27 मई को तेलंगाना उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी।
Supreme Court today decided to hear the Central Government plea seeking a clarification as to under what circumstances the power to arrest would be there under the Central Goods and Service Tax(CGST) law.Matter to be listed before a three judge bench for hearing in the case pic.twitter.com/CdLx40sNTs
— ANI (@ANI) May 29, 2019
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तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 18 अप्रैल को अपने फैसले में कहा था कि माल एवं सेवा कर कानून, 2017 के तहत हैदराबाद स्थित जीएसटी आयुक्त कार्यालय के अधीक्षक (कर वंचना) द्वारा समन जारी करने और इस कानून के तहत दंडात्मक प्रावधानों को लागू किये जाने को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तारी से राहत देने से इंकार कर दिया था।
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