चंदा कोचर और धूत की बढ़ी मुश्किलें, सीबीआई ने मामला दर्ज किया
एजेंसी ने मामला दर्ज करने के बाद विभिन्न स्थानों पर छापे मारे। इन स्थानों में वीडियोकॉन समूह के मुंबई और औरंगाबाद कार्यालय, न्यूपावर रिन्यूएबल्स प्रा. लि. और सुप्रीम एनर्जी के कार्यालय शामिल हैं। न्यूपावर कंपनी का संचालन दीपक कोचर द्वारा किया जाता है।
नयी दिल्ली। सीबीआई ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन समूह के एमडी वेणुगोपाल धूत के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है। एजेंसी ने बैंक द्वारा 2012 में समूह को दिए गए ऋण में कथित अनियमितताओं और धोखाधड़ी के सिलसिले में यह मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
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एजेंसी ने मामला दर्ज करने के बाद विभिन्न स्थानों पर छापे मारे। इन स्थानों में वीडियोकॉन समूह के मुंबई और औरंगाबाद कार्यालय, न्यूपावर रिन्यूएबल्स प्रा. लि. और सुप्रीम एनर्जी के कार्यालय शामिल हैं। न्यूपावर कंपनी का संचालन दीपक कोचर द्वारा किया जाता है।सीबीआई प्रवक्ता ने कहा कि यह आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक को धोखा देने के लिए आपराधिक साजिश कर निजी कंपनियों को ऋणों की मंजूरी दी गयी।
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उन्होंने कहा कि चंदा, उनके पति दीपक और धूत के अलावा एजेंसी ने प्राथमिकी में न्यूपावर रिन्यूएबल्स, सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रोनिक्स लि. और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लि. को भी आरोपी बनाया गया है। प्राथमिकी आपराधिक साजिश से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण कानून के प्रावधानों के तहत दर्ज की गयी है।
CBI files its first FIR in the Videocon loan case, names Chanda Kochhar, her husband and Venugopal Dhoot. What does it mean for the bank as a whole? @dugalira, @PayaswiniLLB, HP Ranina, Shantonu Sen & Saswata Guha discuss. #BQLive https://t.co/fRvvuFocLu
— BloombergQuint (@BloombergQuint) January 24, 2019
आरोप है कि 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का ऋण मिलने के कुछ महीनों बाद वीडियोकॉन के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत ने कथित तौर पर न्यूपावर में करोड़ों रुपये का निवेश किया। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने पिछले साल मार्च में वेणुगोपाल धूत, दीपक कोचर और अज्ञात लोगों के खिलाफ प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी। सीबीआई प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पीई दर्ज करती है ताकि वह सबूतों के आधार पर आपराधिक आरोपों की जांच के लिए प्राथमिकी दर्ज कर सके।
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