मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय आईपीआर नीति को दी मंजूरी

[email protected] । May 13 2016 5:42PM

सरकार ने राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) नीति को मंजूरी दे दी है। इस नीति के जरिये देश में रचनात्मकता, नवोन्मेष और उद्यमशीलता को बढ़ावा दिया जा सकेगा।

सरकार ने राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) नीति को मंजूरी दे दी है। इस नीति के जरिये देश में रचनात्मकता, नवोन्मेष और उद्यमशीलता को बढ़ावा दिया जा सकेगा। केन्द्रीय मंत्रिमंडल की गुरुवार को हुई बैठक में लिये गये इस फैसले के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि इस नीति का लक्ष्य समाज के हर तबके में आईपीओ के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक फायदों के बारे में जागरूकता पैदा करना है।

मंत्री ने यह भी कहा कि 2017 तक ट्रेडमार्क पंजीकरण की अवधि कम होकर एक महीने रह जायेगी। उन्होंने कहा, ‘‘इस नीति का लक्ष्य है बौद्धिक संपदा के हर स्वरूप, इससे जुड़े नियम और एजेंसियों के बीच तालमेल बिठाना और इसका उपयोग करना।’’ जेटली के मुताबिक नीति के सात उद्देश्य हैं। इनमें आईपीआर के बारे में जागरूकता, आईपीआर के लिए प्रोत्साहन, सख्त एवं प्रभावी कानून की जरूरत और प्रवर्तन तथा न्याय प्रणाली को मजबूत किया जाना शामिल है ताकि नीतियों के उल्लंघन का मुकाबला किया जा सके। नीति में स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण सुरक्षा तक पहुंच के लिए प्रोत्साहन दिया गया है। उम्मीद है कि यह भारत में बौद्धिक संपदा के लिए भावी खाका तैयार करेगा। इसके अलावा इससे कार्यान्वयन, निगरानी और समीक्षा के लिए संस्थागत प्रणाली की व्यवस्था होगी। इसका लक्ष्य है भारतीय परिप्रेक्ष्य में वैश्विक स्तर पर प्रचलित बेहतरीन कार्य-व्यवहार को लागू करना और उसे अनुकूल बनना।

आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस नीति से सरकार, अनुसंधान एवं विकास संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, एमएसएमई, स्टार्ट-अप समेत कारपोरेट इकाइयों और अन्य संबद्ध पक्षों को नवोन्मेष-अनुकूल माहौल तैयार करने में मदद मिलेगी। इसमें कहा गया कि अंतिम उत्पाद से सभी क्षेत्रों में रचनात्मकता और नवोन्मेष के साथ-साथ देश में स्थिर, पारदर्शी और सेवा केंद्रित आईपीआर प्रशासन को भी बढ़ावा मिलेगा। वैश्विक स्तर पर आईपीआर के बढ़ते महत्व को तवज्जो देते हुए इस खाके में भारत में इसकी जागरूकता बढ़ाने का प्रावधान किया गया है चाहे यह अपने लिए हो या दूसरों के लिए।

बयान में कहा गया है, ‘‘विपणनयोग्य वित्तीय परिसंपत्ति और आर्थिक उपाय के तौर पर आईपीआर के महत्व को मान्यता दिये जाने की जरूरत है। इसके लिए घरेलू बौद्धिक संपदा आवेदन और दिए गए पेटेंट का वाणिज्यीकरण भी बढ़ना चाहिए। नवोन्मेष और अनुसंधान एवं विकास पर खर्च के मुद्दे पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।’'

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