बिहार सरकार ने समस्तीपुर, बक्सर जिलों में तेल भंडार को लेकर खोज की प्रक्रिया शुरू की
खोज के विभिन्न चरणों की व्याख्या करते हुए खान और भूविज्ञान विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘तेल की खोज में ड्रिलिंग और निष्कर्षण के लिए संभावित स्थलों का पता लगाने में शामिल प्रक्रियाओं और विधियों को शामिल किया गया है।
पटना| बिहार सरकार ने राज्य में गंगा किनारे समस्तीपुर और बक्सर जिलों में तेल भंडार की उपस्थिति का आकलन करने को खोज (अन्वेषण) के लिए पेट्रोलियम अन्वेषण लाइसेंस (पीईएल) की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
अपर मुख्य सचिव सह खान आयुक्त बिहार हरजोत कौर बम्हरा ने बताया कि ओएनजीसी लिमिटेड ने तेल की खोज और उत्पादन के लिए जीवी-ओएनएचपी-2021/2 (बक्सर) और जीवी-ओएनएचपी-2021/1 (समस्तीपुर) के लिए पीईएल प्रदान किए जाने के लिए मुक्त क्षेत्र लाइसेंसिंग नीति (ओएएलपी) के तहत आवेदन किया है।
उन्होंने कहा कि समस्तीपुर (308.32 वर्ग किमी के क्षेत्र मेंत्र और गंगा बेसिन में बक्सर (52.13 वर्ग किमी) में तेल भंडार की स्थिति आकलन करने के लिए खोज प्रक्रिया बहुत जल्द शुरू होगी। राज्य सरकार के खान एवं भूतत्व विभाग ने इस संबंध में दोनों जिलों के प्रशासनिक प्रमुखों को पहले ही अवगत करा दिया है।
उन्होंने आगे कहा, ‘‘अन्वेषण की प्रक्रिया शुरू होने दीजिए। अगर यह फलदायी साबित होता है तो यह राज्य के लिए पासा पलटने वाला होगा। ओएनजीसी ने दोनों खंडों के लिए पीईएल प्रदान किए जाने को क्षेत्र के नक्शे और सूची की प्रतियों के साथ आवेदन शुल्क का भुगतान भी किया है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियम 1959 के नियम 5 (1) के प्रावधानों के तहत क्षेत्र के लिए एक पीईएल दिया जा सकता है।
खोज के विभिन्न चरणों की व्याख्या करते हुए खान और भूविज्ञान विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘तेल की खोज में ड्रिलिंग और निष्कर्षण के लिए संभावित स्थलों का पता लगाने में शामिल प्रक्रियाओं और विधियों को शामिल किया गया है।
पहला चरण नवीनतम भूकंपीय डेटा रिकॉर्डिंग प्रणाली का उपयोग करते हुए 2डी भूकंपीय सर्वेक्षण और फिर उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए एक भू-रासायनिक सर्वेक्षण के साथ शुरू होगा।’’ अधिकारी ने बताया कि सर्वेक्षण से उत्पन्न डेटा का अध्ययन या व्याख्या उच्च तकनीक वाले वर्कस्टेशन पर परिष्कृत सॉफ्टवेयर के साथ की जाएगी ताकि उन इलाकों में संभावित क्षेत्र का पता लगाया जा सके।
उन्होंने कहा कि इससे पहले भी राज्य के कुछ हिस्सों में तेल भंडार की खोज की गई थी लेकिन कोई व्यावसायिक खोज नहीं हुई थी। हालांकि, इसने आगे की खोज के लिए मूल्यवान भूवैज्ञानिक जानकारी एकत्र करने में मदद की।
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