चीन खुद को अलग-थलग महसूस करेगा, भारत के लिए अवसर बढ़े : अडाणी
उन्होंने कहा, ‘मेरा अनुमान है कि वैश्वीकरण के ‘चैंपियन’ के रूप में देखा जाने वाला चीन तेजी से अपने आपको अलग-थलग महसूस करेगा। बढ़ते राष्ट्रवाद, आपूर्ति श्रृंखला जोखिम और प्रौद्योगिकी प्रतिबंधों का प्रभाव पड़ेगा।’
उद्योगपति गौतम अडाणी का मानना है कि बढ़ते राष्ट्रवाद और आपूर्ति श्रृंखला और प्रौद्योगिकी से संबंधित अंकुशों के कारण चीन खुद को अलग-थलग महसूस करने लगेगा। उन्होंने कहा कि चीन में प्रौद्योगिकी संबंधी प्रतिबंधों से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को खतरा है। अडानी समूह के संस्थापक-चेयरमैन ने मंगलवार को सिंगापुर में एक सम्मेलन में कहा कि चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ परियोजना का कई देशों में विरोध हो रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा अनुमान है कि वैश्वीकरण के ‘चैंपियन’ के रूप में देखा जाने वाला चीन तेजी से अपने आपको अलग-थलग महसूस करेगा। बढ़ते राष्ट्रवाद, आपूर्ति श्रृंखला जोखिम और प्रौद्योगिकी प्रतिबंधों का प्रभाव पड़ेगा।’’ अडाणी ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि ये सभी अर्थव्यवस्थाएं समय के साथ फिर से पटरी पर आ जाएंगी और मजबूती से वापसी करेंगी। लेकिन इस बार अर्थव्यवस्था में वापसी अधिक कठिन लग रही है।’’ अडानी ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब उनका बंदरगाह से लेकर ऊर्जा कारोबार नवीकरणीय और डिजिटल क्षेत्र में बदल रहा है।
अडाणी ने भारत को लेकर कहा कि वैश्विक अशांति ने देश के लिए अवसरों को तेज कर दिया है। इस घटनाक्रमों ने भारत को राजनीतिक, भू-रणनीतिक और बाजार के दृष्टिकोण से कुछ श्रेष्ठ स्थानों में से एक बना दिया है। उन्होंने कहा कि भारत 2030 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है और हाल ही में दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है। उन्होंने जीवाश्म ईंधन से पैदा होने वाली बिजली की मात्रा बढ़ाने की भारत की योजनाओं की आलोचना पर भी पलटवार किया।
उन्होंने कहा कि भारत को एक बड़ी आबादी को ईंधन संबंधी सेवाएं प्रदान करने की आवश्यकता है। इसलिए यह भारत के लिए काम नहीं करेगा। अडाणी ने कहा कि विश्व की 16 प्रतिशत जनसंख्या वाले भारत की कार्बन उत्सर्जन में सात प्रतिशत से भी कम हिस्सेदारी है और यह आंकड़ा लगातार घट रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘जिस लोकतंत्र का समय आ गया है उसे रोका नहीं जा सकता और भारत का समय आ गया है।
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