सुशांत सिंह राजपूत की मौत से आया सामने बॉलीवुड में बाहरी बनाम अंदरूनी विवाद
अभिनेता अमोल पाराशर ने कहा कि राजपूत की मौत ने उनके जैसे युवा अभिनेताओं को हिलाकर रख दिया है, जिन्होंने परिवार से दूर रहकर बॉलीवुड में नाम कमाने के लिए काफी संघर्ष किया है।
फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने अपने हालिया पोस्ट में संकेत दिया कि राजपूत को उद्योग के लोगों ने अकेला छोड़ दिया था। निर्देशक और अभिनेता अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म ‘‘पानी’’ के लिए साथ काम कर रहे थे, लेकिन बाद में फिल्म का काम रुक गया। कपूर ने रविवार को ट्वीट किया, ‘‘आप जिस दर्द से गुजर रहे थे, उसके बारे मुझे पता था। मैं उन लोगों की कहानियां जानता हूं जो आपको इस हद तक निराश कर देते थे कि आप मेरे कंधे पर सिर रखकर रोते थे। काश मैं छह महीने आपके साथ रहता। काश आप मुझसे संपर्क करते। आपके साथ जो हुआ वह उनका कर्म था आपका नहीं। # सुशांत सिंह राजपूत।’’ 2015 में आई राजपूत की जासूसी पर आधारित फिल्म ‘‘डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी’’ के निर्देशक दिबाकर बनर्जी ने बताया कि कैसे बाहरी लोगों को उद्योग में नाम कमाने के लिए दोगुनी प्रतिभा दिखाने और कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। बनर्जी ने पीटीआई-को बताया, ‘‘इस सब में सबसे बड़ी अनुचित बात यह है कि दर्शकों और उद्योग का विश्वास हासिल करने के लिए किसी बाहरी व्यक्ति को दोगुनी प्रतिभा, ऊर्जा और मेहनत से काम करना पड़ता है।’’ अभिनेता रणवीर शौरी ने बिना किसी का नाम लिए, बॉलीवुड के उन शक्तिशाली लोगों पर सवाल खड़ा किया जो हर तरफ से बॉलीवुड को प्रभावित करते हैं। शौरी ने कहा, ‘‘किसी को इस कदम के लिए दोषी ठहराना उचित नहीं होगा जो उन्होंने खुद उठाया है। वह एक उच्च दांव वाला खेल खेल रहे थे, जिसमें कोई या तो जीतता है या सब खो देता है। लेकिन बॉलीवुड के स्वयंभू द्वारपाल के बारे में कुछ कहना होगा।’’Naming few people has no value. They themselves are products and victims of a ‘system’ everyone is protesting against.
— Shekhar Kapur (@shekharkapur) June 16, 2020
If you really care, if you’re really angry, then bring down the system. Not the individual. That’s guerilla warfare. Not a spurt of anger. #SushantSinghRajput
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समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्म ‘‘सोनचिड़िया में राजपूत के साथ काम करने वाले शौरी ने कहा, ‘‘उनके बारे में कुछ कहा जाना चाहिए जो यह खेल खेलते हैं और उनके दो चेहरे हैं। वे जिन शक्तिशाली लोगों के साथ काम करते हैं, उनकी कोई जवाबदेही नहीं होती है।’’ अभिनेता विवेक ओबेरॉय के अनुसार, राजपूत की मृत्यु उद्योग के लिए एक वेक-अप कॉल है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि हमारा उद्योग जो खुद को एक परिवार कहता है, जिसे कुछ गंभीर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए, हमें बेहतर के लिए बदलाव की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को पावर प्ले बंद करना चाहिए और अहंकार भरे रवैये को खत्म करने की आवश्यकता है और उन्हें योग्य प्रतिभाओं को स्वीकार करना चाहिए, उनका सम्मान करना चाहिए।’’ उन्होंने एक पोस्ट में कहा, ‘‘इस परिवार को वास्तव में एक परिवार बनने की जरूरत है... एक ऐसी जगह जहां प्रतिभा को प्रोत्साहित किया जाता है और उसे कुचला नहीं जाता है, एक ऐसी जगह जहां एक कलाकार की सराहना की जाती है और उसे गिराता नहीं है।’’ कई लोगों ने बॉलीवुड में ताकतवर लोगों को बढ़ावा देने में मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाए। अभिनेत्री रवीना टंडन ने कुछ कहानी साझा की कैसे वर्षों पहले झूठी कहानियां रची गईं। कैसे लोगों का करियर बर्बाद कर दिया जाता है। अभिनेता अमोल पाराशर ने कहा कि राजपूत की मौत ने उनके जैसे युवा अभिनेताओं को हिलाकर रख दिया है, जिन्होंने परिवार से दूर रहकर बॉलीवुड में नाम कमाने के लिए काफी संघर्ष किया है।
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