रंग को लेकर पूर्वाग्रह हमारे पितृसत्तात्मक समाज की देन है: नंदिता दास
अभिनेत्री-निर्देशक नंदिता दास का मानना है कि सुंदरता की कोई एक परिभाषा नहीं हो सकती और सुंदरता देखने वाले की आंखों में निहित है। नंदिता दास के अनुसार यह विचार मुख्य रूप से समाज की पितृसत्तात्मक स्थापना से उपजा है और वह उम्मीद करती हैं कि एक समय आएगा जब रंग रुप को नहीं बल्कि उपलब्धियों को महत्व दिया जाएगा।
नयी दिल्ली। अभिनेत्री-निर्देशक नंदिता दास का मानना है कि सुंदरता की कोई एक परिभाषा नहीं हो सकती और सुंदरता देखने वाले की आंखों में निहित है। नंदिता दास के अनुसार यह विचार मुख्य रूप से समाज की पितृसत्तात्मक स्थापना से उपजा है और वह उम्मीद करती हैं कि एक समय आएगा जब रंग रुप को नहीं बल्कि उपलब्धियों को महत्व दिया जाएगा। उन्होंने कहा, मेरे लिए यह (सुंदरता) कितना महत्वपूर्ण है? यदि मेरे पास करने के लिए 10 चीजें हैं, तो मैं कैसे दिखती हूं यह मेरी सूची में 11 वीं चीज होगी।’’ उन्होंने ये बातें जेएसडब्ल्यू समूह के समर्थन से यूनेस्को द्वारा आयोजित ‘इंडिया गॉट कलर’ अभियान के लांच के मौके पर कहीं।
इसे भी पढ़ें: 2019 की वो फिल्में जिन्होंने दिवाली पर निकाला निर्माताओं का दिवाला...
इस बातचीत का संचालन यूनेस्को के निदेशक और प्रतिनिधि एरिक फाल्ट ने किया। इसमें 2009 में एक पैनलिस्ट के रूप में डार्क इज़ ब्यूटीफुल अभियान शुरू करने वाली और ‘वुमेन ऑफ वर्थ’ की संस्थापक और निदेशक कविता एमैनुअल भी शामिल रहीं। नंदिता दास वर्ष 2013 से इस अभियान का समर्थन कर रही हैं।
‘डार्क इज़ ब्यूटीफुल’ अभियान की 10वीं सालगिरह पर इसे ‘इंडिया गॉट कलर’ का नाम दिया गया। 25 सितंबर को भारत में रंगभेद के खिलाफ जागरुकता फैलाने वाला एक वीडियो ऑनलाइन रीलीज किया गया था। इसमें स्वरा भास्कर, राधिका आप्टे, अली फज़ल, दिव्या दत्ता, तनिष्ठा चटर्जी, तिलोत्तमा शोम और विक्रांत मैसी जैसे कलाकार नजर आए थे।
अन्य न्यूज़