मातृभाषा पर महेश भट्ट ने की वकालत, कहा- लोगों पर कोई एक भाषा नहीं थोपनी चाहिए

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[email protected] । Nov 9 2019 12:34PM

भट्ट ने यहाँ 25वें कोलकाता फिल्म महोत्सव के उद्घाटन में कहा कि जब तक फिल्मकार और कलाकार हैं तब तक हम उन्हें चुनौती देते रहेंगे जो हमें एक ही भाषा में बात करने को कहते हैं।

कोलकाता। प्रख्यात फिल्मकार महेश भट्ट ने सभी क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व देने की ममता बनर्जी की मांग का प्रत्यक्ष तौर पर समर्थन करते हुए शुक्रवार को कहा कि किसी को भी किसी पर कोई एक भाषा थोपनी नहीं चाहिए और सभी को अपनी मातृभाषा में बोलने की इजाजत मिलनी चाहिए।

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गौरतलब है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सितंबर में कहा था कि हिंदी पूरे देश को जोड़ने वाली भाषा है। भट्ट ने हालाँकि शाह या किसी अन्य नेता का नाम नहीं लिया। भट्ट ने जोर देकर कहा कि देश के महापुरुषों ने अपनी मातृभाषा में बात कहने की वकालत की थी। उन्होंने कहा कि भारत की महानता उसकी विविधता में है। 

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भट्ट ने यहाँ 25वें कोलकाता फिल्म महोत्सव के उद्घाटन में कहा कि जब तक फिल्मकार और कलाकार हैं तब तक हम उन्हें चुनौती देते रहेंगे जो हमें एक ही भाषा में बात करने को कहते हैं। उन्होंने अपनी बात को पुख्ता करने के लिए रामकृष्ण परमहंस, भगिनी निवेदिता और स्वामी विवेकानंद का उदाहरण भी दिया।

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शाह ने सितंबर में हिंदी दिवस कहा था कि चूँकि हिंदी सर्वाधिक बोली जाती है इसलिए यह देश को एक कर सकती है।भट्ट ने फिल्म महोत्सव के उद्घाटन में कहा कि रामकृष्ण परमहंस में यह कहने की हिम्मत थी कि हमें सभी व्यक्तियों से उनकी ही भाषा में बात करनी चाहिए। भट्ट ने कहा कि यह बंगाल की आवाज है, यह इस देश के महात्माओं और साधुओं की आवाज है कि भगवान के लिए किसी व्यक्ति से उसकी ही भाषा में बात करो। अपनी भाषा उस पर मत थोपो।

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