''सांड की आंख'' की असली शूटर दादियों के साथ खास बातचीत, देखें पूरा इंटरव्यू
फिल्म ''सांड की आंख'' में दिखाया गया है कि जोहरी गांव की रहने वाली इन दो महिलाओं ने कैसे अपने सटीक निशाने से राइफल क्लब में मेडलों को जीत के झंडे गाडे। इन महिलाओं की कहानी वाकई प्रेरणादायक हैं। प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने चंद्रो तोमर और पराक्षी तोमर से उनके गांव जाकर विशेष बात-चीत की।
साल 2019 में कई बायोपिक बनी जिनमें से एक थी फिल्म 'सांड की आंख' (Saand Ki Aankh) जिसमें बागपत के जोहरी गांव में रहने वाली दो महिलाओं की कहानी दिखाई गयी हैं ये दोनों महिलाए जिनका नाम चंद्रो तोमर और पराक्षी तोमर है यह दुनियाभर में शूटर दादी के नाम से मशहूर हैं। दिवाली के मौके पर रिलीज हुई फिल्म 'सांड की आंख' में दिखाया गया है कि जोहरी गांव की रहने वाली इन दो महिलाओं ने कैसे अपने सटीक निशाने से राइफल क्लब में मेडलों को जीत के झंडे गाडे। इन महिलाओं की कहानी वाकई प्रेरणादायक हैं। प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने चंद्रो तोमर और पराक्षी तोमर से उनके गांव जाकर विशेष बात-चीत की।
कौन है शूटर दादियां
प्रकाशी तोमर को शूटर दादी और रिवॉल्वर दादी के नाम से भी जाना जाता है। वह एक बुजुर्ग महिला निशानेबाज हैं। वह उत्तर प्रदेश के बागपत के जोहड़ी गाँव की निवासी हैं जो अपनी जेठानी चन्द्रो तोमर के साथ निशानेबाजी प्रतियोगिताओं में भाग लेती हैं। उन्होंने इस पेशे को चुनने का मन तब बनाया जब ज्यादातर लोग उम्मीद छोड़ देते हैं यानी 60 वर्ष से अधिक की आयु में। 65 वर्ष की उम्र में जब उन्होंने शूटिंग रेंज में जाना शुरू किया तो लोगों, खासकर पुरुषों ने उनका खूब मजाक उड़ाया और तरह-तरह के ताने दिए। आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए उन्होंने अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाया, जिसने न केवल उन्हें प्रसिद्धी के शिखर पर पहुंचाया बल्कि समाज, आलोचकों और आने वाले पीढ़ियों के लिए एक मिसाल कायम की। अब उनकी बेटी सीमा तोमर एक अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज हैं और गांव के लोग उनका नाम गर्व और सम्मान के साथ लेते हैं।
देखिएं नीरज कुमार दुबे के साथ शूटर दादियों का पूरा इंटरव्यू-
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