अधिक मास में पूजा करने से होती हैं सभी मनोकामनाएं पूर्ण
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार अधिक मास को लोग मलमास कहने लगे थे। मलमास कहने से वह बहुत दुखी हो गए और अपनी परेशानी भगवान विष्णु के सामने रखा। अधिक मास का कोई स्वामी नहीं होता है इसलिए अधिक मास को मलमास कहा जाने लगा।
अधिक मास में किसी प्रकार के शुभ कर्म नहीं होते हैं लेकिन धार्मिक कार्य करने से पुण्य प्राप्त होता है, तो आइए हम आपको अधिक मास से जुड़ी कहानी तथा महत्व के बारे में बताते हैं।
जानें अधिक मास के बारे में
हिंदू धर्म में अधिक मास का विशेष महत्व है। अधिक मास को मलमास तथा पुरुषोत्तम के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष आश्विन मास में अधिक मास पड़ रहा है। इस बात का खास अर्थ है इस साल दो प्रकार के आश्विन मास होंगे। आश्विन मास में हिन्दुओं के कई प्रकार के त्यौहार मनाएं जाते हैं। लेकिन इस साल अधिक मास में कई तरह के शुभ संयोग बन रहे हैं।
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अधिक मास से जुड़ी पौराणिक कहानी
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार अधिक मास को लोग मलमास कहने लगे थे। मलमास कहने से वह बहुत दुखी हो गए और अपनी परेशानी भगवान विष्णु के सामने रखा। अधिक मास का कोई स्वामी नहीं होता है इसलिए अधिक मास को मलमास कहा जाने लगा। तब भगवान विष्णु ने अधिक मास को वरदान किया कि अब मैं तुम्हारा स्वामी हूं और पुरुषोत्तम नाम दिया। पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही नाम है इसीलिए इस मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। साथ ही भगवान विष्णु ने कहा कि जो भी व्यक्ति अधिक मास में मेरी पूजा, और आराधना करेगा उसकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी।
विशेष रूप से इन बातों का रखें ख्याल
शास्त्रों में अधिक मास महत्वपूर्ण स्थान रखता है। लेकिन पंडितों के अनुसार इस महीने में कुछ कार्यों का निषेध जरूर किया गया है। ऐसी मान्यता कि अधिक मास में नई चीज की खरीदारी नहीं करना चाहिए। सभी प्रकार के शुभ कर्म निषेध किए गए हैं इसीलिए पुरुषोत्तम मास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस महीने में कपड़े गहनें, घर, दुकान, कार की खरीदारी नहीं की जाती है। इस दौरान विवाह से जुड़े कार्य भी नहीं किए जाते हैं। साथ ही यज्ञोपवीत संस्कार, नामकरण तथा अन्य धार्मिक संस्कार भी नहीं किए जाते हैं।
यह अधिक मास है बहुत खास
इस वर्ष पड़ने वाला अधिक मास में विशेष संयोग पड़ रहा है। ऐसा संयोग 160 साल में एक बार आता है। इस प्रकार का संयोग 2039 में दुबारा आएगा। इस साल लीप ईयर और अधिक मास दोनों एक साथ पड़ रहा है। इस साल अधिक मास 18 सितंबर से प्रारम्भ हो रहा है और 16 अक्टूबर 2020 को खत्म हो रहा है। इस साल अधिक मास में कई प्रकार के शुभ संयोग भी आ रहे हैं।
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अधिक मास में सत्यनारायण भगवान की पूजा है विशेष महत्व
अधिक मास में विष्णु भगवान की पूजा का खास महत्व होता है। इस दौरान अन्य किसी प्रकार के शुभ कार्य तो नहीं किए जाते हैं लेकिन सत्यनारायण की कथा से विशेष लाभ होता है। ऐसी मान्यता है कि विष्णु भगवान की पूजा से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और घर सुख-समृद्धि से भर जाता है। साथ ही अधिक मास में महामृत्युजंय का जाप लाभकारी होता है। अगर आप पंडित को घर में नहीं बुला सकते तो स्वयं से यह पाठ करें। इससे न केवल घर के सभी वास्तु दोष दूर होते हैं बल्कि सुख-समृद्धि भी आती है।
अधिक मास का महत्व
हिन्दू धर्म में अधिक मास का खास महत्व होता है। इस महीने में विष्णु भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान स्नान, पूजा, अनुष्ठान तथा पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है तथा सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
- प्रज्ञा पाण्डेय
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