स्वयंभू गणपति करते हैं हर मनोकामना पूरी, दुनियाभर में फैले हैं खजराना गणेश के भक्त
इंदौर के खजराना इलाके में साल 1735 में रिद्धी और सिध्दी के साथ भगवान गणेश प्रकट हुए थे। यहां भगवान गणेश की प्रतिमा करीब साढ़े चार फीट ऊंची और 5 फीट चौड़ी हो गई थी। पुजारी बताते हैं कि हर साल भगवान की मूर्ति करीब एक सेंटीमीटर बढ़ जाती हैं।
मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में सबसे बड़ा श्रद्धा का केंद्र खजराना गणेश मंदिर है, जहां दुनियाभर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं। इस चमत्कारी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर में प्राणप्रतिष्ठित स्वयंभू गणपति अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
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जी हां यहां चमत्कार होते हैं। यह हम नहीं कह रहे। लेकिन यह बात खजराना मंदिर के दर पर सिर झुकाने वाले हर भक्त कहते हैं। प्रथम पूज्य के चरणों में सिर झुकाने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यहां भगवान गणपति के मुखारविंद को देखने के बाद ही सैंकड़ों लोगों का सवेरा रोजाना होता है, यह परंपरा कई सालों से जारी है। वहीं गणेश चतुर्थी के मौके पर दूर दूर से लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। मगर इस बार कोरोना संक्रमण के कारण कम संख्या में भक्तों के प्रवेश दिया जा रहा है।
1735 में रिद्धी और सिद्धी के साथ प्रकट हुए थे गणेश
इंदौर के खजराना इलाके में साल 1735 में रिद्धी और सिध्दी के साथ भगवान गणेश प्रकट हुए थे। यहां भगवान गणेश की प्रतिमा करीब साढ़े चार फीट ऊंची और 5 फीट चौड़ी हो गई थी। पुजारी बताते हैं कि हर साल भगवान की मूर्ति करीब एक सेंटीमीटर बढ़ जाती हैं। बीते 284 सालों में प्रतिमा का आकार बढ़कर दोगुना से ज्यादा हो गई है। भगवान को रोजाना सवा किलो घी में आधा किलो सिंदूर मिलाकर चोला चढ़ाया जाता है। सिंदूर चढ़ाने की पंरपरा 284 सालों से चल रही है।
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जब सपने में आए थे भगवान
खजराना गणेश मंदिर का निर्माण 1735 में होलकर वंश की शासक अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था। उस समय पुजारी मंगल भट्ट को भगवान की मूर्ति दबी होने का सपना आया और प्रतिमाएं वहीं से निकली। पुजारी ने दरबार में जाकर अहिल्याबाई को सपने के बारे में बताया तो अहिल्याबाई ने सेना भेज खुदाई कराई और पुजारी की बताई मुर्तियां निकली। खुदाई वाली जगह पर आज मंदिर के गेट पर तप कुंड बना हुआ है। खजराना गणेश मंदिर की तीन परिक्रमा लगाते हुए यहां भक्त धागा बांधने की परंपरा निभाते हैं। कहा जाता है कि यहां गणेश जी के मंदिर के पीछे की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाने से मनोकमाना पूरी होती हैं। खजराना गणेश मंदिर परिसर में 33 मंदिर है, जिनमें कई देवी-देवता दर्शन देते हैं। मंदिर परिसर में ही एक पीपल का कई सालों पुराना पेड़ भी हैं, यह भी मनोकामना पूर्ण करने वाला माना जाता है। खजराना गणेश मंदिर मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला माना जाता है, यही वजह है कि यहां भक्तों की ओर से नकद-चढ़ावा भी सबसे ज्यादा आता है। यह प्रदेश ही नहीं देशभर के मंदिरों में सबसे धनी मंदिरों में से एक है। खजराना गणेश जी के भक्त दुनियाभर में फैले हुए हैं।
- कमल सिंघी
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