Shiv Bhasma Puja: जानिए भगवान शिव को क्यों चढ़ाते हैं चिता की भस्म, माता सती से जुड़ा है इसका रहस्य
भस्म भगवान शिव का प्रिय वस्त्र है। भगवान भोलेनाथ के पूजन व आरती में भस्म का इस्तेमाल किया जाता है। भस्म के इस्तेमाल के पीछे कई पौराणिक कहानियां हैं। भगवान शिव को भस्म चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं। ऐसी कई चीजें हैं, जो भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं। इन्हीं में से एक भस्म है। आपने भी सुना या देखा होगा कि भगवान शिव के पूजन में भस्म का विशेष महत्व होता है। बता दें कि बारह ज्योतिर्लिंग में से उज्जैन का महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग भी बहुत फेमस है। महाकालेश्वर में भगवान शिव की भस्म से आरती की जाती है। बताया जाता है कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।
भगवान शिव जितने सरल और भोले हैं, उनके उतने ही अधिक रहस्य भी हैं। ऐसे में कई बार आपके मन में भी यह सवाल आया होगा। आखिर भगवान शिव को भस्म क्यों चढ़ाई जाती है। आज इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि भगवान शिव के पूजन के दौरान भस्म क्यों चढ़ाई जाती है।
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जानिए भस्म का महत्व
शिव पुराण के अनुसार, भस्म भगवान शिव का प्रमुख वस्त्र माना जाता है। क्योंकि भस्म ही पूरी सृष्टि का सार है। इस पूरे संसार को एक दिन भस्म के रूप परिवर्तित होना है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान भोलेनाथ के शरीर पर जो भस्म लगाई जाती है। वह साधारण आम की लकड़ी की राख नहीं होती है। बल्कि बताया जाता है कि काशी में सुबह जलने वाली पहली चिता की राख से भगवान शिव को भस्म अर्पित की जाती है। इस भस्म को चिता भस्म भी कहा जाता है।
क्या है भस्म की कथा
भगवान शिव को चढ़ाई जाने वाली भस्म को लेकर एक और कथा प्रचलित है। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक जब माता सती के पिता ने भगवान शिव का अपमान किया तो वह क्रोध में आकर हवन कुंड में प्रवेश कर गईं। इसके बाद भगवान भोलेनाथ माता सती की देह को लेकर हर जगह भ्रमण करने लगे। जिससे तीनों लोकों का संतुलन डगमगाने लगा।
वहीं भगवान श्रीहरि विष्णु से जब भगवान भोलेनाथ की यह दशा देखी नहीं गई तो उन्होंने माता सती की देह को छूकर उसे राख यानी की भस्म में बदल दिया। माता सती के शरीर को राख में परिवर्तित देख भोलेनाथ दुखी हो गई। जिसके बाद उन्होंने उस राख को अपने पूरे शरीर पर मल लिया। कहा जाता है कि इसीलिए आज भी भगवान शिव को भस्म अर्पित की जाती है।
इसके अलावा भगवान शिव को भस्म अर्पित करने के पीछे एक और कथा प्रचलित है। बताया जाता है कि भगवान शिव कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। कैलाश पर्वत चारो ओर से बर्फ से ढके होने के कारण बहुत ठंडा रहता है। इसलिए भगवान भोलेनाथ स्वयं को ठंड से बचाने के लिए अपने पूरे शरीर पर भस्म का वस्त्र पहनते हैं।
कैसे बनाएं भस्म
बता दें कि शिव पुराण में भस्म बनाने की विधि के बारे में बताया गया है। शिव पुराण के अनुसार, कपिला गाय के सूखे हुए गोबर, वट, अमलतास, बेर और पलाश, शमी और पीपल की लकड़ियों को एक साथ जलाकर मंत्रोच्चार किया जाता है। जब यह लकड़ियां राख हो जाए, तब इसको भस्म के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इस्तेमाल करने से पहले भस्म को किसी कपड़े से छानकर इसे शिव पूजन में इस्तेमाल कर सकते हैं।
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