Basant Panchmi 2024: इस दिन से मथुरा में शुरु होगी 40 दिन की होली, बांके बिहारी में उडे़गा रंग-गुलाल

banke bihari temple
प्रतिरूप फोटो
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बसंत पंचमी के मौके पर मथुरा के ठाकुर बांके बिहारी महाराज रंग-गुलाल उड़ाकर बृज की विश्वप्रसिद्ध 40 दिवसीय होली उत्सव की शुरुआत करेंगे. 14 फरवरी दिन बुधवार को बसंत पंचमी है इस अवसर पर मंदिरों की तैयारियां भी शुरु हो चुकी है। मथुरा की होली पूरी दुनिया में मशहूर है यहां पर 40 दिन तक होली का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।

बृज की होली का इंतजार कई महीनों से हर किसी को रहता है। मथुरा की होली विश्वप्रसिद्ध है इसे देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि दुनिया के भर से कई लोग शमिल होते है। बृज की होली की खास बात है कि यह 40 दिवसीय का रंग उत्सव है। मथुरा की होली में उल्लास देखने को मिलता है, बसंत पंचमी से इसकी शुरुआत हो जाती है और यह रंग उत्सव 40 दिन चलता है। 14 फरवरी दिन बधुवार को बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर ठाकुर बांके बिहारी महाराज  अबीर-गुलाल उड़ाकर बृज के विश्वप्रसिद्ध 40 दिवसीय होली उत्सव का आगाज करेंगे। इसके लिए मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में  तैयारियां जोरो शोरो पर चल रही है। मंदिर के सेवायत और इतिहासकर  आचार्य प्रहलाद वल्लभ गोस्वमी ने बताया बसंती रंग में ठाकुर जी का श्रृंगार किया जाएगा।

ठाकुर जी का होगा विशेष श्रृंगार 

14 फरवरी बुधवार को बसंत पंचमी के दिन बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर बांके बिहारी का बसंती रंग से श्रृंगार किया जाएगा। उन्हें बसंती रंग यानि पीले वस्त्र पहनाए जाएंगे इसके साथ ही  रंग बिरंगे फूलो और गहनों से सजाया जाएगा। उसके बाद बांके बिहारी जी को गुलाल अर्पित किया जाएगा। ठाकुर जी को पंच मेवा युक्त केसरिया मोहनभोग लगाया जाएगा। इतना ही नहीं वसंत 

ऋतु से संबंधित फल और अन्य भोग लगाया जाएगा। 

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मंदिरों में हो रही हैं भव्य तैयारियां

बृज की होली 40 दिवसीय का रंगो का उत्सव है इस मौके पर मंदिरों की सजावाट जोरो शोरो से हो रही है। बसंत पंचमी के दिन ठाकुर जी को सरसों के फूलों से गुथे हुए गुंजे (माला) पहनाई जाएगी। बांके बिहारी मंदिर को गेंदा समेत सरसों के फूलों से मंदिर को सजाया जाएगा. वहीं मंदिर में सुगंघ से भरपूर इत्र का छिडकाव किया जाएगा. इसी के साथ मंदिर में आए सभी श्रद्धालु बांके बिहारी जी पर गुलाल वर्षा कर सकते है।

20 मार्च को रंगीली एकादशी से 24 मार्च पूर्णिमा तक विश्वप्रसिद्ध सरस रंगीली होली का आयोजन होगा। वहीं 25 मार्च को धुलैड़ी के दिन डोलोत्सव का आयोजन होगा. इसके बाद 26 मार्च को ग्रीष्मकालीन सेवाओं का दौर शुरु हो जाएगा। जो भाईदूज तक चलेगा।

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