By डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा | May 26, 2020
इसे राजनीति और आलोचना-प्रत्यालोचना से अलग रख कर देखा जाए तो निश्चित रूप से लॉकडाउन चार आते-आते राजस्थान की वस्त्र नगरी भीलवाड़ा में टैक्सटाइल उद्योगों का चक्का घूमना अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत ही माना जाएगा। कोरोना महामारी के इस दौर में देश के उद्योग जगत के लिए यह राहत भरी खबर भी है तो उत्साहजनक भी मानी जा सकती है। यह वही भीलवाड़ा है जिसमें एक निजी डॉक्टर की गलती से समूचे प्रदेश को हिला के रख दिया था। फिर जिस तरह से कोरोना पर काबू पाया गया वह भी समूचे देश में एक मॉडल बन कर उभरा और भीलवाड़ा मॉडल के नाम से समूचे देश में जाना जाने लगा। अब भीलवाड़ा में टैक्सटाइल उद्यमों का शुरू होना भी इस बात का संकेत है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना भी हम सबका दायित्व है।
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दरअसल देखा जाए तो कोरोना महामारी के चलते दुनिया दोहरे संकट में फंस कर रह गई है। एक और इस महामारी के प्रकोप से लोगों के जीवन को बचाना सबसे बड़ी चुनौती सरकारों के सामने है तो दूसरी और थमी हुई जिंदगी और अर्थव्यवस्था खासतौर से उद्योग धंधों को पटरी पर लाना बड़ी चुनौती है। राजस्थान की सरकार ने इस दिशा में लॉकडाउन-एक से ही दोहरे प्रयास जारी रखे और इसी का परिणाम है कि प्रदेश में केन्द्र व राज्य सरकार की एडवाइजरी और स्वास्थ्य प्रोटोकाल की पालना करते हुए उद्योगों को पटरी पर लाने के सार्थक कदम उठाए गए। इसका श्रेय राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दृष्टिकोण और प्रयासों को जाता है तो राजस्थान के उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा, अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग डॉ. सुबोध अग्रवाल और इनकी टीम, आयुक्त उद्योग मुक्तानन्द अग्रवाल और एमडी रीको आशुतोष पेडनीकार को जाता है। देश के टैक्सटाइल उद्योग में राजस्थान का खास स्थान रहा है।
राजस्थान में खासतौर से भीलवाड़ा, बालोतरा, पाली, ब्यावर, किशनगढ़, जयपुर के बगरु, सांगानेर, बांसवाड़ा, रीगंस आदि की जाने माने स्थान है। भीलवाड़ा को तो समूचे देश में राजस्थान की वस्त्र नगरी के रूप में जाना जाता है। यहां 9 मेगा टैक्सटाइल यूनिट हैं तो करीब 45 बड़ी और एक मोटे अनुमान के अनुसार साढ़े चार सौ के आसपास टैक्सटाइल क्षेत्र की लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम आकार की इकाइयां स्थापित हैं। कोरोना के कारण दुनिया पिछले पांच माह से थमी-सी पड़ी है। हमारे देश में भी लगभग तीन माह से तो सब कुछ थम कर ही रह गया है। प्रदेश में सबसे पहले कर्फ्यू भीलवाड़ा में ही लगा। इससे भीलवाड़ा में स्पिनिंग, वीविंग और प्रोसेसिंग इकाइयों के चक्के जाम हो गए। पर अब भीलवाड़ा की 10 मेगा इकाइयों में से 9 टैक्सटाइल व एक अन्य सहित सभी 10 इकाइयों में उत्पादन शुरू हो गया है। भीलवाड़ा की 9 मेगा टैक्सटाइल इकाइयों में मंडपम, खारीग्राम और कान्याखेडी में राजस्थान स्पिनिंग व विविंग मिल्स, चित्तोड़ रोड भीलवाड़ा में नितिन स्पिनर्स, सरेरी व हुरडा में सुदिवा स्पिनर्स, हमीरगढ़ व सरेरी में संगम इण्डिया और नानकपुरा माण्डल में कंचन इण्डिया स्थापित है और अब इन सभी 9 मेगा टैक्सटाइल इकाइयों में उत्पादन आरंभ हो गया है। भीलवाड़ा में ही टैक्सटाइल क्षेत्र की करीब 45 मेगा व वृहदाकार इकाइयों के साथ ही 250 एमएसएमई इकाइयों में भी उत्पादन शुरू हो गया है। बालोतरा की 25 फीसदी व पाली की 50 इकाइयों ने भी उत्पादन शुरू कर दिया है।
यह सब संभव हुआ है प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियों को सामान्य स्तर पर लाने के समन्वित व योजनावद्ध प्रयासों से। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा स्वयं औद्योगिक परिसंघों से वीडियो कॉफ्रेंस के माध्यम से संवाद का परिणाम रहा है कि राज्य में औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आई है। सभी सीमेंट कंपनियां उत्पादन करने लगी हैं वहीं 700 खाद्य तेलों मिलों में उत्पादन होने लगा है। असल में इसका कारण रणनीतिक प्रयासों को जाता है। लॉकडाउन-1 से लॉकडाउन-3 तक अनुमत श्रेणी से लेकर अधिकांश औद्योगिक गतिविधियां आरंभ करने को आसान बनाया और रीको के औद्योगिक क्षेत्रों सहित सेज, ग्रामीण व निजी क्षेत्र के औद्योगिक क्षेत्रों व पार्कों को खोल दिया जिससे औद्योगिक गतिविधियों की शुरुआत होने लगी। अब राजस्थान की सरकार ने लोकडाउन-4 को प्रदेश में ओपनिंग-1 के रूप में लिया है और इससे आशा बंधने लगी है कि प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियां जल्दी ही सामान्य स्तर पर आने लगेंगी। यह इसलिए भी संभव है कि राजस्थान उद्योग विभाग का प्रशासनिक अमला डॉ. सुबोध अग्रवाल के दिशा-निर्देशों में आयुक्त मुक्तानन्द अग्रवाल व रीको एमडी आशुतोष पेडनेकर के साथ परस्पर समन्वय से प्रदेश में औद्योगिक गतिविधियों को आरंभ कराने में पहले दिन से ही जुटे रहे और प्रक्रिया को आसान बनाने के साथ उद्यमियों की शंकाओं व जिज्ञासाओं का समाधान किया जिससे प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्र में बेहतर माहौल बन सका। यहां खास यह कि केन्द्र व राज्य सरकार की समय-समय पर जारी एडवाइजरी, स्वास्थ्य प्रोटोकाल और सोशल डिस्टेंस आदि की पालना सुनिश्चित कराने में किसी तरह का समझौता नहीं किया गया और सोशल डिस्टेंस व प्रोटोकाल के अनुसार कम श्रमिकों से ही उत्पादन शुरू करने की समझाइश की गई।
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कोरोना के इस दौर में अर्थव्यवस्था और उद्योग धंधों को भी पटरी पर लाना बड़ी जिम्मेदारी है और इसके लिए राजनीतिक प्रतिबद्धताओं से ऊपर उठकर राजस्थान को रोल मॉडल मानते हुए आगे बढ़ने में कोई बुराई नहीं होनी चाहिए क्योंकि श्रमिकों का पलायन और उद्योगों के बंद होने से जिस तरह से बेरोजगारी के हालात सामने आने वाले हैं और जिस तरह से बाजार को पटरी पर लाना अब आवश्यक हो गया है उसमें समूचे देश को समन्वित प्रयास करने ही होंगे।
-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा