बड़े तेवरों के साथ सपा छोड़ने वाले शिवपाल अब घर वापसी के लिए मजबूर

By अजय कुमार | Nov 21, 2019

उत्तर प्रदेश की सियासत में अगर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेता एकजुट होकर लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं तो कहा जा सकता है कि प्रदेश की राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है। फिर शिवपाल यादव और अखिलेश यादव तो चाचा−भतीजे ठहरे। शिवपाल ने अखिलेश को दोबारा मुख्यमंत्री बनते देखने की इच्छा जताई है तो इसे अप्रत्याशित नहीं कहा जा सकता है। कई परिवारों में समय−समय पर टकराव और उसके बाद समझौते की ऐसी ही 'पटकथा' लिखी जाती रही है। शिवपाल यादव के बयान के बाद अब गेंद अखिलेश के पाले में है, वह इस क्या प्रतिक्रिया देंगे, या मौन रहना पसंद करेंगे इस बात की थोड़ी−बहुत सुगबुगाहट 22 नवंबर को नेताजी मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर मिल सकती है।

 

खैर, इससे हटकर बात जरूरत की कि जाए तो इस समय शिवपाल को भतीजे अखिलेश की काफी जरूरत है। जबकि अखिलेश अकेले भी आगे बढ़ रहे हैं और बढ़ सकते हैं। गौरतलब है कि शिवपाल को 2016 के आखिर में लखनऊ में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। वह जिन तेवरों और ताकत की उम्मीद में सपा से अलग हुए थे, समय के साथ इस पर धुंधलका बढ़ता ही गया। सबसे बड़ी बात यह है कि अब शिवपाल की वापसी होगी तो वह अखिलेश की मर्जी से और ऐसे में वह समाजवादी पार्टी में दूसरा पॉवर सेंटर नहीं बन पायेंगे।

इसे भी पढ़ें: नये लोगों के साथ उत्तर प्रदेश की ज़मीन को साधने में जुटी प्रियंका गांधी

शिवपाल यादव ने 22 नवंबर को मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन से दो दिन पूर्व जो इच्छा जताई है उसका अखिलेश कितना सम्मान करेंगे यह तो बाद की बात है, लेकिन खास बात यह है कि शिवपाल ने सपा में वापसी के लिए एक बार फिर उन्हीं मुलायम सिंह को आधार बनाया है, जिन्होंने बेटे अखिलेश से नाराज भाई शिवपाल का साथ पूरी ईमानदारी से नहीं दिया था।

 

ज्ञातव्य हो कि 2017 के विधानसभा चुनाव के पहले सपा के दो मजबूत ध्रुवों अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की तल्खी परवान चढ़ चुकी थी। चुनाव के बाद शिवपाल यादव ने न केवल पार्टी छोड़ी, बल्कि अपना अलग दल भी बना लिया। इस दौरान मुलायम के आशीर्वाद के लिए चाचा−भतीजे में खूब जंग चली थी। इसमें भी पलड़ा अंततः अखिलेश यादव का ही भारी रहा। शिवपाल के मंच से मुलायम सिंह यादव सपा को जिताने की अपील कर गए और लोकसभा चुनाव में भी सपा की रणनीति तय करते रहे। अब एक फिर 22 नवंबर को मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन के पहले शिवपाल यादव ने अपना परिवार प्रेम जाहिर किया है।

 

बात बीते तीन सालों में शिवपाल की नाकामयाबी की करें तो सपा से अलग होकर विधान सभा/लोकसभा चुनाव लड़ी शिवपाल की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी कहीं भी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई। लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस से लेकर दूसरे दलों के साथ गठबंधन की उसकी कोशिशें भी परवान नहीं चढ़ पाई थीं। शिवपाल, यादवों के गढ़ माने जाने वाले फिरोजाबाद से प्रो0 राम गोपाल यादव के पुत्र और अपने भतीजे अक्षय यादव के खिलाफ लोकसभा चुनाव भी लड़े पर तीसरे नंबर पर रहे। हाँ, शिवपाल के चलते अक्षय जरूर चुनाव हार गए थे। उन्हें दूसरे नंबर पर ही संतोष करना पड़ा था।

 

हालात तब बदले जब हाल ही में हमीरपुर और उसके बाद 11 सीटों पर हुए उप−चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रदर्शन में सुधार आया। इसके बाद शिवपाल के भी तेवर ढीले पड़ गए। सपा हमीरपुर में दूसरे नंबर पर तो उसके बाद 11 सीटों पर हुए उप−चुनाव में तीन सीटों पर विजयी रही। बाकी जगह भी वह दूसरे स्थान या सम्मानजनक स्थिति में रही थी। सबसे बड़ी बात यह रही कि मुलसमान वोटरों ने बसपा की जगह समाजवादी पार्टी पर विश्वास जताया। इससे अखिलेश की राजनीति को बल मिला।

 

शिवपाल के समाने समस्या यह भी है कि अब मुलायम इस स्थिति में नहीं हैं कि वह शिवपाल की कोई मदद कर सकें। कुल मिलाकर शिवपाल जिस ताकत और पहचान की उम्मीद से अलग हुए थे, वह अब तक जमीन पर उतरती दिखाई नहीं दी है। यहां यह बताना भी जरूरी है कि शिवपाल अब भी समाजवादी पार्टी से ही विधायक हैं। पिछले दिनों सपा ने उनकी सदस्यता रद्द करने की याचिका जरूर दायर की थी, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश यादव ने इसे वापस लेने का इशारा किया तो परिवार में एकजुटता की चर्चा शुरू हो गई थी।

इसे भी पढ़ें: तीन तलाक पीड़िताओं के लिए जो कुछ योगी ने किया, उससे दूसरे मुख्यमंत्री भी सीख लें

दूसरी तरफ अपने कोर वोटरों और ताकतों को बटोर कर 2022 के चुनाव की तैयारी में लगी सपा और अखिलेश यादव को भी विनम्र दिख रहे शिवपाल से बहुत दिक्कत होने के आसार नहीं हैं। इसलिए बयानों में दिख रही यह नजदीकी विधानसभा चुनाव आने तक हकीकत में भी बदल सकती है। हालांकि, दोनों ही पार्टी के अधिकृत प्रवक्ता इस मामले पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। प्रसपा के मुख्य प्रवक्ता सीपी राय बाहर होने का हवाला दे रहे हैं और सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कोई भी जानकारी होने से इनकार कर रहे हैं। अब सबकी नजर नेताजी के जन्मदिन पर लगी हुई है। उसी दिन हकीकत से पर्दा हटेगा।

 

लब्बोलुआब यह है कि अगर शिवपाल की वापसी होती है तो इससे सपा को मजबूती ही मिलेगी। शिवपाल की संगठनात्मक क्षमता को अभी भी कम करके नहीं आंका जा सकता है। उन्होंने समाजवादी पार्टी को अपने कंधों पर ढोकर यहां तक पहुंचाया था तभी वह अपने बलबूते सत्तारूढ़ होने में कामयाब रही। मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी को खड़ा करने के लिए हमेशा शिवपाल की तारीफ भी किया करते हैं।

 

-अजय कुमार

 

प्रमुख खबरें

PM Modi Kuwait Visit| कुवैत में पीएम मोदी ने की 101 वर्षीय पूर्व IFS अधिकारी से मुलाकात, प्रवासी भारतीयों ने गर्मजोशी से किया स्वागत

दिल्ली की वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार, अधिकतम तापमान 23.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज

Delhi air pollution: AQI फिर से ‘गंभीर’ स्तर पर, राष्ट्रीय राजधानी में शीतलहर का कहर जारी

केरल : आंगनवाड़ी के करीब 10 बच्चे भोजन विषाक्तता की वजह से बीमार