नागालैंड से AFSPA हटाने पर क्यों विचार कर रही केंद्र सरकार? 45 दिनों की रिपोर्ट के बाद होगा फैसला

By अभिनय आकाश | Dec 28, 2021

नागालैंड से जल्द ही सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को वापस लिया जा सकता है। नागालैंड सरकार की मांग पर गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की और राज्य में अफस्पा को वापस लेने पर विचार करने वाली एक समिति का गठन किया है। केंद्र शासित प्रदेश नागालैंड से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून यानी अफस्पा हटाने को लेकर 26 दिसंबर को एक पैनल गठित कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से गठित पैनल में पांच  सदस्य होंगे। ऐसे में आज आपको बताते हैं कि क्या है अफस्पा और क्यों इसे नागालैंड से हटाने की बात की जा रही है। 

अमित शाह ने की अहम बैठक 

पैनल गठन की जानकारी नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की तरफ से दी गई है। नागालैंड के मुख्य सचिव और डीजीपी भी इस पैनल का हिस्सा होंगे। 23 दिसंबर को हुई मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह के अलावा नागालैंड के सीएम नेफ्यू रियो, नागालैंड के उपमुख्यमंत्री वाई पटट्न, असम के सीएम हेमंता विश्व सरमा और क्षेत्रिय दल नागा पीपुल्स फ्रंट लेजिश्लेचर पार्टी क ेनेता टीआर जेलियांग शामिल हुए। इस मीटिंग में नागालैंड के वर्तमान हालातों पर चर्चा की गई। राज्य सरकार के मुताबिक समिति 45 दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी और नागालैंड से अशांत क्षेत्र और अफस्पा को वापस लेना इसकी सिफारिशों के आधार पर होगा।

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क्या है अफस्पा

भारत के पूर्वोत्तर में पिछले पाच-छह दशकों से चले आ रहे कई पृथक्तावादी आंदोलनों की चुनौती से निपटने के लिए उस इलाके  में सरकार ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून लागू किया है, जिसके तहत सेना की कार्रवाई किसी भी कानूनी जांच से परे है। यह कानून 1958 में संसद द्वारा पारित किया गया था। अरुणाच प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा के 'अशांत इलाकों में तैनात सैन्य बलों को शुरू में इस कानून के तहत विशेष अधिकार हासिल थे। 

क्या हैं इस पॉवरफुल एक्ट के प्रावधान

सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून , 1958 (अफस्पा) के तहत केंद्र सरकार राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर किसी राज्य या क्षेत्र को अशांत घोषित कर वहां केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात करती है। अफस्पा के तहत सशस्त्र बलों को कहीं भी अभियान चलाने और बिना पूर्व वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार प्राप्त है। 

सेना को मिल जाते हैं ये अधिकार

किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी वारंट के सेना द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है।

बिना किसी वारंट के सशस्त्र बल द्वारा किसी के भी घर की तलाशी ली जा सकती है और इसके लिए जरूरी बल का इस्तेमाल भी कर सकती है।

बार-बार कानून तोड़े जाने और अशांति फैलाने वाले पर इस कानून के तहत मृत्यु तक बल का प्रयोग किया जा सकता है।

वाहन को रोक कर उसकी तलाशी ली जा सकती है।

सशस्त्र बलों को अंदेशा होने पर कि विद्रोही या उपद्रवी किसी घर या इमारत में छुपा है ( जहां से हथियार बंद हमले का अंदेशा हो) उस आश्रय स्थल को तबाह किया जा सकता है। 

सशस्त्र बलों द्वारा गलत कार्यवाही करने की दशा में भी, उनके ऊपर कानूनी कार्यवाही नही की जाती है।  

 

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