By रितिका कमठान | Dec 22, 2023
मलेरिया एक घातक बीमारी है जो कि आमतौर पर बारिश के दिनों में पैर पसारती है। ठंड और गर्मी के मौसम में भी मलेरिया आम लोगों पर प्रहार कर देती है। गंदगी और नमी वाले इलाकों में मलेरिया तेजी से फैलता है। अगर इस बीमारी को रोकने के लिए जरुरी समय पर कदम ना उठाएं जाएं तो परेशानी अधिक बढ़ सकती है। इसी बीच मलेरिया के खिलाफ भारत की ओर से उठाए जा रहे कदम को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मंजूरी दे दी है।
मलेरिया रोग के खिलाफ लड़ाई में बच्चों के लिए नई वैक्सीन का उपयोग किया जा सकेगा, जिसकी मंजूरी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दे दी है। ये मलेरिया के इलाज में उपयोग होने वाला दूसरा टीका है। इससे पहले अक्टूबर 2023 में ही मलेरिया के इलाज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैक्सीन R21/ मैट्रिक्स-M मलेरिया वैक्सीन ( R21/ Matrix-M malaria vaccine) की सिफारिश की थी। अब R21 वैक्सीन, RTS, S/AS01 वैक्सीन के बाद WHO ने इस वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। यानी WHO द्वारा प्रीक्वालिफ़ाइड की गई ये दूसरी वैक्सीन बन गई है।
बता दें कि इस वैक्सीन को भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने विकसित किया है। इस वैक्सीन को बीते वर्ष मंजूरी मिली थी। जब से इस वैक्सीन को मंजूरी मिली है तभी से ये उम्मीद जताई जा रही थी कि दूसरी वैक्सीन सस्ती है और ये आसानी से उपलब्ध होगी, जिससे बच्चों को जल्द सुरक्षा चक्र के दायरे में लाया जाएगा। गौरतलब है कि मलेरिया जीवन के लिए बेहद घातक होता है, और इस बीमारी का समय पर इलाज ना होने पर ये जीवन के लिए घातक हो सकता है। बता दें कि मलेरिया मनुष्यों में मच्छरों से फैलती है। हालांकि इसकी रोकथाम और इलाज संभव है। मलेरिया के लक्षण में मूल रूप से बुखार, कंपकंपी, सिरदर्द शामिल होता है। स्थिति गंभीर होने पर सांस लेने में परेशानी, दौरे और थकान की शिकायत भी मरीज को देखने को मिल सकती है।
जानें क्या है प्रीक्वालिफाइड वैक्सीन होने का अर्थ
विश्व स्वास्थ्य संगठन की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी की मानें तो अगर वैक्सीन का प्रासंगिक डेटा का गहन मूल्यांकन, नमूनों का परीक्षा और प्रासंगिक विनिर्माण साइटों का विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निरीक्षण किया गया है। अगर इस पूरी प्रक्रिया के बाद रिजल्ट पॉजिटिव आएगा तो प्रीक्वालीफाइड वैक्सीन की लिस्ट में इसे शामिल किया जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन में टीकाकरण, टीके और जैविक विभाग के अधिकारी ने वैक्सीन के संबंध में खास जानकारी भी साझा की है। इसके मुताबिक मलेरिया की इस नई वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित किया गया है। इसे ऑक्सफोर्ड और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने मिलकर बनाया है। मलेरिया जैसी बीमारी पर काबू पाने और इसके सफल इलाज के लिए वैक्सीन ढूंढने की दिशा में ये बड़ा कदम है। ये उपलब्धि जाहिर करती है कि देश और दुनिया विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर मलेरिया जैसी घातक बीमारी को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। मलेरिया आज भी ऐसी बीमारी है जो बच्चों की दुश्मन बनी हुई है।
वैश्विक स्तर पर मौतों का आंकड़ा है डरावना
वैश्विक स्तर पर मलेरिया से होने वाली मौतों का आंकड़ा बेहद डरावना है। वर्ष 2022 में इस घातक और जानलेवा बीमारी के कारण कुल 608,000 लोगों की जान गई है। आंकड़ों से पता चलता है कि अफ्रीकी क्षेत्र में बच्चे इस बीमारी से अधिक ग्रसित होते है। यहां हर वर्ष इस बीमारी का शिकार बन लगभग पांच लाख बच्चे अपनी जान गंवाते हैं। वहीं पूरे विश्व की बात करें तो वर्ष 2022 में 85 देशों में अनुमानित 249 मिलियन मलेरिया के मामले देखने को मिले है। इनमें से 608,000 मामलों में मरीजों की मौत हो गई। गौरतलब है कि मलेरिया एक संक्रामक रोग है जो जानलेवा भी सिद्ध हो सकता है। ये बीमारी प्लास्मोडियम परजीवियों के कारण होती है। ये बीमारी संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों द्वारा काटे जाने के बाद मनुष्यों में फैलती है।