By अभिनय आकाश | Oct 12, 2022
एक व्यक्ति जोर से मंत्रों का जाप करते नजर आता है, ताल में ढोल बजा रहे हैं और आकाश की ओर देख रहे लोग जैसे ग्रहण शुरू होने वाला है। यह आखिरी कदम है, भगवान को खुश करने के लिए आखिरी बलिदान। व्यक्ति अपनी चेतना और वास्तविकता में डूबा हुआ है, जो वह हमेशा से चाहता था उससे कुछ ही क्षण दूर है। नहीं, यह पैसे या प्रसिद्धि के बारे में नहीं है। वो केवल और केवल एक चीज चाहता है - अमरता। एक शक्ति के लिए सारा जोखिम उठा रहा है। वह सिर्फ हमेशा के लिए जीना चाहता है। इस तरह के कई सीन हमने फिल्मों और धारावाहिकों में देखें हैं। लेकिन वास्तविकता में अगर ऐसा हो तो इसका चर्चा में होना लाजिमी है। आप स्थानीय समाचार पत्रों को उठाकर देखें तो हर दूसरे दिन मानव बलिदान की कहानी देखने-पढ़ने को मिल जाएगी। लेकिन केरल के मामले ने देश को झकझोर कर रख दिया है। जैसा कि मामले के अनसुलझे विवरण सामने आ रहे हैं, आपको अतीत के कुछ ऐसे मामलों से रूबरू करवाते हैं जो हमें ये सवाल खुद से करने पर मजबूर करते हैं कि क्या हम वास्तव में 21वीं सदी में रह रहे हैं?
केरल में समृद्धि के लिए मानवबलि
दरअसल, केरल से दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। ये मामला कथित तौर पर काला जादू के लिए दो महिलाओं की बलि देने से जुड़ी है। आपको पूरी कहानी बताएंगे लेकिन उससे पहले ये बता दें कि पुलिस ने इस मामले में 11 अक्टूबर को एक दंपत्ति सहित तीन लोगों को कस्टडी में लिया था। अब कोर्ट ने उन्हें 26 अक्टूबर तक न्याययिक हिरासत में भेज दिया है। पुलिस के मुताबिक जिन महिलाओं की हत्या की गई वो सड़क पर लॉटरी टिकट बेचकर गुजर-बसर कर रही थीं। पुलिस ने आरोपियों के हवाले से बताया कि पहले महिलाओं का गला रेता गया, फिर उनके शरीर के टुकड़े किए गए। पुलिस ने बताया कि महिलाओं की उम्र 50 से 55 के बीच थी।
ओडिशा में ट्रिपल मर्डर
जुलाई 1985 में ओडिशा में मानव बलि और ट्रिपल मर्डर के एक मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। तीन किशोर लड़कों को भुवनेश्वर से 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित में रणपुर के पास एक पहाड़ी के ऊपर एक मंदिर में ले जाया गया, जहाँ उन्हें बेरहमी से मार दिया गया और देवी को प्रसन्न करने के लिए उनका खून चढ़ाया गया। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अमानवीय कृत्य पर रिपोर्ट मांगी थी। शुरू से ही यह स्पष्ट था कि यह मानव बलि का मामला था। बच्चों के सिर नुकीले पत्थरों से कुचले गए थे। रानपुर में मणिनाग मंदिर के लॉन में एक जात्रा देखने के लिए ग्रामीण एकत्र हुए थे। एक राजा और उसकी रानी के साथ ही एक तांत्रिक द्वारा मंत्रमुग्ध होने के बारे में एक सस्पेंस से भरा नाटक देखने को मिला। तांत्रिक अपने लिए गौरव हासिल करने के लिए दंपति की बलि देने को तैयार नजर आया, इस दृश्य ने लोगों को सांसे थामने पर मजबूर कर दिया। लेकिन बलिदान की इस कहानी का सुखद अंत तब हुआ जब राजा के सैनिकों ने आकर दुष्ट तांत्रिक को मार डाला। इस बीच, असली आतंक तीन लड़कों के साथ कुछ ही दूरी पर हो रहा था।
मदुरै मामला
2004 में सर्वाकोडियन ने आरोप लगाया था कि 16 साल पहले उसने दो आदमियों की बलि और उनके शवों को कब्रिस्तान में गाढ़ते हुए देखा था। उसने लॉरी संचालक पर आरोप लगाते हुए स्थानीय थाने को बताया कि वर्ष 1999 में उसे मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों को लेने के लिए कहा गया था। वो एक दर्जन मानसिक रूप से विकलांग लोगों को लाया और दावा किया कि उनमें से दो का गला काट दिया गया एक खदान में दफन कर दिया गया। सितंबर 2015 में उच्च न्यायालय द्वारा 16,000 करोड़ रुपये के ग्रेनाइट घोटाले की जांच के लिए कानूनी आयुक्त के रूप में नियुक्त किए गए आईएएस अधिकारी यू सगयम ने इन आरोपों की जांच करने का फैसला किया। सबूतों की रक्षा के लिए दफन स्थल पर सो रहे इस अधिकारी की फोटो वायरल हो गई। सुबह उन्होंने 4 कंकाल निकाले। कुछ दिनों बाद, दो और मिले। हालांकि कंपनी ने आरोपों से इनकार किया है।
कोरोना भगाने के लिए पुजारी ने दी इंसान की बलि
साल 2020 में कोरोना वायरस संकट के बीच ओडिशा में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया। कटक जिले के नरसिंहपुर में एक मंदिर के पुजारी ने एक शख्स को मारकर देवी मां को इसलिए चढ़ा दिया कि कोरोना वायरस संकट थम जाएगा। 72 वर्षीय पुजारी को तथाकथित 'भगवान से आदेश' मिला था। उसने भगवान को प्रसन्न करने और महामारी को समाप्त करने के लिए एक 52 वर्षीय व्यक्ति को धारदार हथियार से मार डाला। हालांकि, आरोपी ने अपराध करने के तुरंत बाद पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। पूछताछ के दौरान, पुजारी ने कहा कि उसने अपने सपने में 'भगवान से आदेश' प्राप्त करने के बाद हत्या की, पुजारी ने सपने में देखा था कि मानव बलि कोरोना वायरस को दूर कर देगी।